लखनऊ. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर अब गर्भ में पल रहे बच्चों का भी गला घोंट रही है। कानपुर में तीन कोरोना संक्रमित महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत और बाद में प्रसूता की भी मौत होने से उनका इलाज कर रहे डाक्टर भी सदमे में हैं। कोरोना के इस संकटकाल में पहली बार जच्चा-बच्चा की मौत का मामला भी सामने आया है। जबकि पिछले साल कोरोना के मामलों में जच्चा-बच्चा दोनों संक्रमण से सुरक्षित थे।
डाक्टरों के सामने नई चुनौती
कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल के डाक्टरों के सामने कोरोना ने अब नई चुनौती खड़ी कर दी है। बीते साल जहां बगैर लक्षणों वाली संक्रमित महिलाएं आ रही थीं। वहीं इस बार कम ऑक्सीजन लेवल के साथ आ रही हैं। कोविड विंग की नोडल अधिकारी प्रो. सीमा द्विवेदी के मुताबिक इस बार काफी गम्भीर रूप से बीमार महिलाएं आ रही हैं। महिलाओं का वायरल लोड अधिक मिल रहा है। इससे दो खतरे हैं, एक तो ऑक्सीजन लेवल का नीचे गिर जाना जिससे बच्चे की मौत हो सकती है। दूसरे प्रसव के बाद बच्चे संक्रमित हो सकते हैं। प्रो. सीमा द्विवेदी के मुताबिक तीन केस ऐसे भी आए हैं जिनमें जच्चा-बच्चा की मौत हो गई है। एक महिला को अपर इंडिया अस्पताल से आईसीयू में रेफर किया गया था। जबकि दो महिलाएं सीधे इमरजेंसी में आई थीं।
डाक्टरों ने दी ये सलाह
अपर इंडिया अस्पताल में 71 संक्रमित गर्भवती महिलाएं भर्ती कराई गई हैं। इनमें 35 प्रसव कराए गए। सभी प्रसव में 22 ऑपरेशन करने पड़े हैं। प्रो. सीमा द्विवेदी के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को आयरन, कैल्शियम, जिंक और बिजेबिल प्रोटीन का भरपूर सेवन करना चाहिए। इससे वे संक्रमण से महफूज रहेंगी। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि गर्भवती महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलें। घर में ही योग और व्यायाम करें।
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