जजावर : इस भीषण गर्मी में कच्चे आम यानी केरी का नाम हर किसी के जुबां पर रहता है। इसका नाम आम जरूर है लेकिन यह कितना खास है यह इसके किसी शौकीन से पूछकर देखिए। इसके ऐसे मुरीद हैं जो इसका साल भर इंतजार करते हैं। बूंदी जिले का जजावर कस्बा केरी के लिए आसपास के क्षेत्र सहित टोंक, सवाई माधोपुर जिले तक अपनी अलग ही पहचान रखता है। क्षेत्र में गांव से लेकर शहरों तक लोगों को देसी आम की मिठास व कैरी के आचार की खटाई पहुंचाई जा रही है। जजावर कस्बे से इन दिनों बागवानी कार्य से जुड़े बागवानों ने बताया कि इस बार आम के पेड़ों पर खूब कैरी आई हैं। जजावर कस्बे के आस पास के हिस्से में बागवानी से लोग अच्छा मुनाफा कमाते हैं,यहंा तक कि क्षेत्र में कैरी की पैदावार अच्छी होने की वजह से यहा पर कैरी का अचार का व्यापार खूब फल फूल रहा है और अचार की डिमांड दूसरे जिले सहित आसपास के क्षेत्र में फैली हुई है।
दो हजार से अधिक पेड़ों पर लदे कच्चे आम
आम से जुड़े लोगों ने बताया कि कस्बे में आम के पेड़ करीब दो हजार से अधिक हैं। इस बार केरी का फलाव भी अच्छा रहा। हालांकि शुरुआत में तेज अंधड़ से काफी नुकसान उठाना पड़ा । सुबह होने के साथ ही लोग पेड़ों से कच्चा आम तोड़ने में लग जाते हैं। जिन्हें प्लास्टिक बैग में रखकर मंडियों में ले जाया जाता है। यहाँ पर कच्चे आम की बंपर आवक होती है। इन केरी की खासियत यह है कि ये रेशेदार होती हैं। किसानों ने बताया कि शुरुआत दिनों में ही पेड़ो में आ रहे पुष्पों के आधार पर आम के पेड़ की बोली लगाई जाती है।यदि पेड़ पर अच्छा फलाव आ रहा हो तो एक पेड़ को 15 हजार रुपए तक बोली लगाकर खरीदा जाता है। लोगों ने बताया कि हर साल लगभग दो से तीन लाख के पेड़ खरीदे जाते हैं। खर्चे के साथ मुनाफा डेढ़ गुना मिल जाता है।
दस क्विंटल कच्चा आम की रोजाना सप्लाई
कस्बे में से प्रतिदिन दस क्विंटल कच्चा आम की रोजाना सप्लाई हो रही है। मंडियों में यह केरी तीस से पैतीस रुपए प्रति किलो के भाव से बिकती है।यदि इन केरियों को खुले रिटेल में बेचा जाए तो साठ रुपए प्रति किलो के भाव से केरी बिक जाती है। सुबह से ही डेढ़ दर्जनों से अधिक लोग बाइक में कच्चा आम बेचने को निकल जाते हैं। (जजावर से संजय बैरागी की स्पेशल रिपोर्ट)