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शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

हैण्डटूल्स निर्यात पर अनुदान कम करने से टूटी उद्योग की कमर

हैण्डटूल्स निर्यात पर अनुदान कम करने से टूटी उद्योग की कमर
नागौर. राजस्थान ही नहीं पूरे भारत में अपनी विशेष पहचान रखने वाले नागौर के हैण्ड टूल्स (हस्त औजार) उद्योग को एक बार फिर ‘सरकारी सहारे’ की आवश्यकता है। हस्त-औजार निर्यात पर वर्ष 1995 तक भारत सरकार की ओर से 7.5 प्रतिशत अनुदान दिया जाता था, जिसे सरकार ने घटाकर 1.9 रुपए प्रति किलो कर दिया है। इसके चलते जो लोग सीधा निर्यात नहीं करते थे, उन्हें नुकसान झेलना पड़ा। आज से 25-30 साल पहले नागौर के हैण्ड टूल्स दुबई, ईरान, ईराक, नाइजीरिया आदि देशों में निर्यात किए जाते थे, लेकिन आज निर्यात लगभग खत्म हो गया है। यही कारण है कि धीरे-धीरे इस उद्योग के सालाना टर्न ओवर में गिरावट आनी शुरू हो गई।
हालांकि आज भारत में ही नागौर के हैण्ड टूल्स की इतनी अधिक डिमांड है कि जो भी माल तैयार किया जाता है, उसकी खपत भारत में ही हो जाती है। इसलिए रोजगार की भी काफी संभावनाएं हैं। इन सबके बावजूद नागौर के कारीगरों की स्थिति वर्षों बाद भी वही है, जो आज से 50 साल पहले थी। भारत में हैण्ड टूल्स बनाने की शुरुआत करने वाले नागौर शहर के इस उद्योग में आज करीब 10 हजार से अधिक कारीगर और मजदूर लगे हुए हैं।
32 साल से काम कर रहा एमएसएमई का प्रशिक्षण
नागौर में संचालित हैण्डटूल्स की इकाइयों के उद्यमियों की सहायता के लिए वर्ष 1988 में सरकार ने एमएसएमई की शाखा के रूप में ‘हस्त उपकरण डिजायन विकास और प्रशिक्षण केन्द्र’ की स्थापना की गई। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य कंसल्टेंसी प्रदान करके नागौर और इसके आसपास स्थित छोटे उद्योगों में और छोटे वर्गों में हैण्ड टूल्स इंडस्ट्री विकसित करना था। इन सूक्ष्म और अति सूक्ष्म उद्योगों के लिए टूल रूम, हीट ट्रीटमेंट, मेटल फिनिशिंग, फोर्जिंग और टेस्टिंग, कॉमन फैसिलिटी सर्विसेज के क्षेत्रों में सलाहकार विस्तार सेवाएं प्रदान करके इनके उत्पाद डिजायन, उत्पादन प्रक्रिया और लागत में कमी और लाभप्रदता में सुधार के लिए गुणवत्ता नियंत्रण के क्षेत्र में आधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए लघु स्तरीय इकाइयों की सहायता करना था, लेकिन 32 साल बाद भी यह प्रोजेक्ट अपने काम में पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है।
जनप्रतिनिधि बने मूक दर्शक
केन्द्र एवं राज्य के राजनीति में नागौर के नेताओं की हमेशा ही खास पहचान रही है। नागौर से सांसद बनने वाले दो नेता केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं, वहीं राज्य सरकार में भी नागौर की अहम भूमिका रहती है। गत कार्यकाल में नागौर से तीन-चार मंत्री थे, इसके बावजूद किसी भी जनप्रतिनिधि ने नागौर के हैण्डटूल्स उद्योग को जीवित रखने एवं प्रोत्साहन देने का प्रयास नहीं किया। उद्यमियों का कहना है कि यदि जनप्रतिनिधि प्रयास करें तो हैण्डटूल्स उद्योग को सम्बल मिल सकता है।