जेरिया गांव के पपुराम बिश्नोई 5 वर्ष पहले तेजी से दौड़ती इस भाग -दौड़ भरी जिदंगी में अप्रैल 2015 में पैर में चर्म रोग हुआ जिसने ऐसा मर्ज दिया कि अब दोनों पांव खराब हो गए। बिश्नोई दोनों पैरों के सहारे चल नहीं पाए। जिस घर में भविष्य के ताने बाने बुने जा रहे थे वहां आज बेबसी के चलते आंसुओं का दरिया बह रहा है।
पपुराम बिश्नोई के फाइलेरिया हाथीपांव नामक बीमारी से ग्रस्त बीते 5 साल से ऐसे ही हालात से गुजर रहा है। काफी समय तक एमडीएमएच में उपचार चला। इसके बाद एम्स जोधपुर में भी इलाज कराया लेकिन आर्थिक तंगी के कारण अब घर का कमाऊ पूत पिछले पांच से चारपाई पर है। घर में कमाने वाला कोई नहीं है। पपुराम बिश्नोई ने बताया कि परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटा भाई है। माता-पिता उसके साथ ही रहते हैं।
घर खर्च चलाने के लिए मजदूरी करना चाहता है, लेकिन पैर की बीमारी चलते मजदूरी भी नहीं हो रही। पपुराम के पिता कुनाराम जाणी व परिवार नलकूप पर मजदूरी करके भरण पोषण कर रहा है। परिवार व ग्रामीणों ने भामाशाहों से मदद का आग्रह किया है। ताकि बीमारी का इलाज करवा सके।
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