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बुधवार, 19 अगस्त 2020

62 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में चलनी हैं प्री-प्राइमरी कक्षाएं, 35 हजार केंद्रों में न खुद के भवन, न टीचर... नई शिक्षा नीति कैसे लागू करेंगे?

देशभर के लिए हाल में जारी नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के 62 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों में ही प्री-प्राइमरी की कक्षाएं शुरू होनी हैं। मगर भास्कर की पड़ताल में सामने आया है कि कुल 62,020 केंद्र महज ढाई हजार शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस कमजोर बुनियाद पर नई शिक्षा नीति की बुलंद इमारत कैसे खड़ी हो पाएगी?

यही नहीं, प्रदेश में 62,020 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 61,593 संचालित हैं। इनमें 35 हजार केंद्रों के पास खुद का भवन नहीं है। 27,318 केंद्रों में शौचालय तक नहीं है। 13,186 केंद्रों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। 10,553 किराए के भवनों में, 18,565 सरकारी स्कूलों में, 4020 अन्य सरकारी भवनों में और 2645 सामुदायिक भवनों व मंदिरों में संचालित हैं। एक हजार से ज्यादा केंद्रों के भवन जर्जर हैं। कोरोना के कारण करीब 5 महीने से ये केंद्र बंद पड़े हैं। ऐसे में इनकी हालत और बदतर हो गई है।

कोटा; तिरपाल के नीचे नाले की बदबू में चलाए जाते हैं

कोटा शहर के दादाबाड़ी सेक्टर एरिया में स्थित गांधी गृह आंगनबाड़ी केंद्र तिरपाल से ढकी छत वाले एक झोपड़ीनुमा कमरे में चलता है। पास में ही गंदा नाला बहता है, जिसके कारण बदबू और गंदगी रहती है। इस केंद्र में भी बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। बारिश के दौरान छत भी टपकती रहती है।

डूंगरपुर; जर्जर भवन गिरने के कगार पर, छत उधड़ चुकी है

डूंगरपुर की जर्जर आंगनबाड़ी।

डूंगरपुर जिले का डूंगरा फला आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर होकर गिरने के कगार पर है। बरामदे की छत टूटकर गिर रही है। स्कूल परिसर में चल रहे इस आंगनबाड़ी की हालत ऐसी है कि बच्चों को बाहर बिठाना पड़ता है। भीषण गर्मी हो या कड़कड़ाती सर्दी...इनकी कक्षाएं खुले आसमान के नीचे ही लगती हैं।

अजमेर; न पंखा, न पेयजल, शौचालय का भी प्रबंध नहीं

अजमेर के त्रिलाेकनगर आशागंज के कुम्हार पाड़ा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र।

अजमेर के त्रिलाेकनगर आशागंज के कुम्हार पाड़ा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की चाबी सामने स्थित चाय की दुकान पर रहती है। इसके अंदर कबाड़ भरा है। एक कमरे में चल रहे इस आंगनबाड़ी केंंद्र में पंखा तक नहीं है। न बच्चों के बैठने की कोई ठीकठाक व्यवस्था है। उन्हें जमीन पर ही बैठना पड़ता है।

आंखों देखा हाल; एक कमरे के केंद्र भी कबाड़ से भरे, बच्चे बाहर बैठते हैं

  • जोधपुर जिले के सांडघर व रावाें का बास, कोटा शहर के रंगबाड़ी व मैग्जीन स्कूल, झुंझुनूं जिले के धमाेरा, भाेडकी, सिंगनाैर आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन जर्जर हैं।
  • अजमेर के धौलाभाटा अानंदपुरी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र का ताला पिछले पांच महीने से नहीं खुला है।
  • अजमेर के पहाड़गंज गुर्जर बस्ती स्थित बूकण निवास आंगनबाड़ी केंद्र का 8 माह से किराया नहीं दिया।
  • भरतपुर के एक दर्जन आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन नहीं। कई में कोई कमरा नहीं है। पूरा सामान बक्सों में रखा है।

प्रदेश में अभी कहां-कितने केंद्र

परियोजना आंगनबाड़ी केंद्र मिनी आंगनबाड़ी केंद्र कुल
ग्रामीण 45345 4967 50312
शहरी 3378 174 3552
जनजाति 7093 1063 8156
कुल 55816 6204 62020


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कोटा शहर के दादाबाड़ी सेक्टर एरिया में स्थित गांधी गृह आंगनबाड़ी केंद्र।