काेराेना संक्रमण के लगातार बढ़ने से शहर में रात आठ से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लागू है। इसका सबसे ज्यादा असर किसी सेक्टर पर पड़ा है ताे वह है होटल, रेस्टाेरेंट, बार और कैफेटेरिया। मार्च में लगे लॉकडाउन के बाद जब अनलॉक में हाेटल-रेस्टाेरेंट काे छूट मिली ताे उम्मीद थी कि खाने के शौकीन जोधपुरी फैमिली के साथ डिनर करने रेस्टाेरेंट में जरूर आएंगे।
लाेग काेराेना के साथ जीना सीख ही रहे थे कि प्रशासन ने रात आठ बजे से पाबंदी लगा दी, जिसने होटल और रेस्टोरेंट की कमर तोड़ दी, क्योंकि अधिकतर लाेग रात अाठ बजे बाद ही परिवार के साथ रेस्टोरेंट में आते थे। हाेटल और रेस्टोरेंट संचालकों का कहना है कि बहुत बुरी सिचुएशन से गुजर रहे हैं। 60% बिजनेस ठप हाे चुका है। स्टाफ कम कर चुके हैं। बिजली का बिल, हाउस टैक्स, वाटर टैक्स देना पड़ रहा है। हाेटल सेक्टर काे ऑक्सीजन देने के लिए संचालकों ने प्रशासन से रात 10 बजे तक छूट देने की मांग की है।
जाेधपुर होटल्स एंड रेस्टोरेंट ने कलेक्टर काे लिखा पत्र
जोधपुर होटल्स और रेस्टोरेंट के अध्यक्ष जेएम बूब ने बताया कि रात आठ बजे की पाबंदी हटनी चाहिए। जब बिजनेस का टाइम आता है, तब बंद करवाना उचित नहीं है। कोविड-19 से विदेशी पर्यटक तो आएंगे नहीं? ऐसे में अगर सरकार रियायत दे तो देशी पर्यटक इंडस्ट्री को मुश्किल समय से बाहर निकाल सकते हैं। देश में 4.23 लाख करोड़ की रेस्टोरेंट इंडस्ट्री है।
आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 में जोधपुर में एक लाख 66 हजार विदेशी और 11 लाख 16 हजार से ज्यादा देशी पर्यटक आए थे। हमें नए रास्ते खोजने होंगे। उन्होंने कलेक्टर काे पत्र भी लिखा है। अभी तक केवल 20% रिकवरी हुई है, उम्मीद है दिसंबर तक 50% हो जाए।
पहले एंट्री के लिए लगता था नंबर, अब ग्राहकों का इंतजार
दुर्गादास ब्रिज के पास वेजिटेरियन रेस्टोरेंट में ग्राहकों की कतारें लगती थी, लेकिन अब यहां ग्राहकों का इंतजार रहता है। यहां कोविड से बचाव के लिए थर्मल स्कैनिंग, सेनेटाइजर, ग्लव्ज, मास्क के साथ-साथ ऑनलाइन मैन्यू भी है, लेकिन रात आठ बजे की पाबंदी ने बिजनेस उठने ही नहीं दिया। मैनेजर कृष्णपाल सिंह तंवर ने बताया कि 80% व्यापार चौपट हो चुका है। रात 10 बजे तक की परमिशन मिले ताे कुछ भरपाई हो सकती है।
दिनभर में बमुश्किल से छह ग्राहक ही आ रहे
रातानाडा स्थित सुख-सागर रेस्टोरेंट के संजय सिंह राठौड़ बताते हैं कि अमूमन ऑफिस से आते हुए लेट होने पर लोग रेस्टोरेंट में खाने के लिए आते हैं। पहले से ही लोग कोरोना से डरे हुए हैं। ऐसे में रात आठ बजे बंद होता है तो कोई नहीं आता। दिनभर में पांच-छह ग्राहक ही आ रहे हैं।
रूम्स कम बुक हो रहे, बार खाली पड़े
सरस्वती नगर की मोनार्च होटल के संचालक कुलदीप मेवाड़ा ने बताया कि अगर जल्द रियायत नहीं दी ताे यह इंडस्ट्री डूब जाएगी। बार का टाइम अाठ बजे बाद ही होता है, इसलिए लोग आते ही नहीं हैं। रूम्स भी कम बुक हो रहे हैं। पाबंदी रात 10 बजे कर देनी चाहिए।
डिलीवरी ऑनलाइन ताे बैठाने पर क्यों पाबंदी
जिप्सी के जगदीश चंदानी ने बताया कि रात आठ बजे बाद टैक अवे ओपन है, डिलीवरी हो रही है तो सिर्फ बैठकर खाने पर पाबंदी क्यों? अगर यह स्थिति नहीं बदली तो और परेशानी आएगी। अनलॉक से अब केवल 40% बिजनेस आया है, 60% अभी भी लॉस है।
खाना खाने आए, देरी हुई तो पैक करवाया
कुड़ी भगतासनी स्थित जीमण रेस्टोरेंट के केयर टेकर दीपक टाक बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद बहुत कम लाेग आ रहे हैं। कोई साढ़े सात बजे आता भी है तो यहां बैठकर खाना खाने के बजाए पैक करवाकर ले जाता है।
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