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मंगलवार, 1 सितंबर 2020

हार्ट हाॅस्पिटल में 10 महीने के बच्चे का ऑपरेशन; पेटेंट डक्टस आर्टियाेसिस, यानी एक्स्ट्रा नली बंद की, ठीक हाे जाएगा छेद भी

बीकानेर के हल्दीराम हार्ट हाॅस्पिटल की कार्डियाेथाेराेसिक सर्जरी विंग में एक बैड पर मुसकुराते हुए श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र के 10 महीने के दिलखुश (बदला नाम) काे देख काेई नहीं कह सकता कि इसके दिल में छेद है जिसे चिकित्सकीय भाषा में आर्टियल सेप्टल डिफेक्ट यानी एएसडी कहते हैं। पांच हजार में से तीन बच्चाें में यह बीमारी हाेती है। इसलिए यह रेअर नहीं है। ज्यादा चाैंकाने वाली बात यह है कि एएसडी के साथ पेटेंट डक्टस आर्टीयाेसिस यानी पीडीए नाम की एक बीमारी ओर जुड़ गई।


सामान्य भाषा में कहें ताे एक अतिरिक्त नली जाे फेफड़ और दिल के बीच एक्सट्रा कनेक्शन बनी थी। इसकी वजह से बच्चे की हालत खराब थी। बार-बार उसे ऑक्सीजन पर लेना पड़ता था। फेफड़ाें पर खून का अत्यधिक दबाव बढ़ता जा रहा था।

ऐसी स्थिति में बीकानेर के पीबीएम हल्दीराम हार्ट हाॅस्पिटल के इकलाैते कार्डिएक सर्जन डा.जयकिशन सुथार ने संभाग में अपनी तरह के इस पहले ऑपरेशन काे करने का निर्णय लिया। परिजनाें की सहमति के बाद तीन दिन में बच्चे की धड़कन और फेफड़ाें पर खून का दबाव करने की दवाइयां दी गई। एनस्थीसिया, पीडिया, कार्डियाेलाेजी के डाक्टर्स और ट्रेंड नर्सेज की टीम बनी।

बकाैल डा.सुथार, तीन घंटे लंबा ऑपरेशन कर पेटेंट डक्टस आर्टियाेसिस काे बंद कर दिया। दाे दिन में बच्चे की हालत में सुधार हुआ और साेमवार काे फाइनल चैकअप के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। डाक्टर्स के चेहरे पर दिलखुश के परिजनाें से ज्यादा खुशी इसलिए देखी गई क्याेंकि उन्हाेंने एक जटिल ऑपरेशन काे पहली बार बीकानेर में अंजाम दिया। सफल हुए।

डा.जयकिशन एसएमएस की उस टीम में शामिल रहे जिसने दाे हार्ट ट्रांसप्लांट किए

ऑपरेशन करने वाले डा.जयकिशन सुथार काे हाल ही बीकानेर में कार्डिएक सर्जन के ताैर पर नियुक्त किया गया है। ये एसएमएस जयपुर की उस टीम में शामिल रहे जिसने अब तक दाे सफल हार्ट ट्रांसप्लांट किए हैं। इनमें से एक हार्ट बीकानेर के ही ब्रेन डेड युवक का था।

कितनी जटिलता, कैसी टीम
सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चे काे बेहाेश करने यानी एनस्थीसिया देने में थी। छाेटा बच्चा और फेफड़ाें पर रक्त का दबाव बढ़ रहा था, ऐसे में एनस्थीसिया बहुत ही तैयारी के साथ देना पड़ता है। ऐसे में डा.जयकिशन अाैर उनके असिस्टेंट सर्जन डा.सुमित के साथ एनस्थीसिया की डा.कांता भाटी, गिरीश तंवर ने इमरजेंसी की तैयारियां पहले की।

बच्चाें में संभावित जटिलताएं देखते हुए शिशु राेग विशेषज्ञ डा.सारिका का सहयाेग लिया। डा.पिंटू नाहटा, डा.दिनेश चाैधरी, डा.गाैरव गुप्ता जैसे ख्यातनाम कार्डियाेलाेजिस्ट ताे माैजूद ही रहे सर्जरी के सीनियर प्राेफेसर डा.माेहम्मद सलीम का भी सहयाेग लिया गया।
आठ महीनाें में 150 ऑपरेशन

बीकानेर में कार्डियाे थाेराेसिक सर्जरी के शुरुआत आठ महीनाें में अब तक 150 ऑपरेशन हाे चुके हैं।



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डा.जयकिशन एसएमएस की उस टीम में शामिल रहे जिसने दाे हार्ट ट्रांसप्लांट किए ​​​​​​​