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शनिवार, 5 सितंबर 2020

127 साल बाद पहली बार अपने वैभव में नहीं दिखेगा दशहरा मेला, सीमित दायरे में परंपरा निभाने की तैयारी

127 साल बाद पहली बार अपने वैभव में नहीं दिखेगा दशहरा मेला, सीमित दायरे में परंपरा निभाने की तैयारी

127 वर्षाें से आयाेजित हाेने वाले काेटा दशहरे मेला इस बार काेराेना काल में आयाेजित हाेगा या नहीं, या फिर केवल पूजा-अर्चना व रावण दहन कर परंपराओं का निर्वहन किया जाएगा। इसका निर्णय अब काेटा की दाेनाें नगर निगमाें काे मिलकर करना है।

नगर निगम ने इस संबंध में डीएलबी से मार्गदर्शन मांगने के लिए दाे माह पहले पत्र लिखा था। इसके जवाब में डीएलबी ने गेंद वापस काेटा नगर निगम के पाले में ही डाल दी कि काेराेना गाइड लाइन की पालना करते हुए अपने स्तर पर तय करें। अब नगर निगम द्वारा दाे-तीन दिन में इस संबंध में मीटिंग कर निर्णय करेंगी। अगर मेला नहीं लगा तो 127 साल में पहली दशहरा मेला अपने वैभव में नहीं दिखेगा।

काेटा का ऐतिहासिक दशहरा मेला केवल एक आयाेजन नहीं है, बल्कि इससे राजपरिवार और काेटा की परंपराएं जुड़ी हुई हैं। हर साल 22 दिनाें तक चलने वाले इस मेले काे लेकर केवल हाड़ाैती ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश और देश के अन्य राज्याें के व्यापारियाें काे इसका इंतजार रहता है।

इस बार काेराेना के कारण भीड़ वाले सभी तरह के मेले और बड़े आयाेजन पर राेक लगी हुई है। इस बार 25 अक्टूबर काे दशहरा है। एेसे में हर व्यक्ति जानना चाहता कि इस बार मेला भरेगा या नहीं, रावण दहन हाेगा या नहीं। इसके लिए नगर निगम द्वारा डीएलबी काे पत्र लिखकर पूछा गया था कि दशहरा मेले का आयाेजन किस तरह से किया जाए, करें या न करें। इस पर अब डीएलबी का जवाब अाया है कि अपने स्तर पर ही निर्णय करें कि काेराेना गाइड लाइन का पालन करते हुए किस तरह से आयाेजन किया जा सकता है।

नगर निगम दक्षिण की आयुक्त कीर्ति राठाैड़ ने बताया कि इस संबंध में डीएलबी की तरफ से जवाब अा गया है। उन्हाेंने निगम स्तर पर ही निर्णय लेने के लिए कहा है। इसके लिए दाे-तीन दिन में मीटिंग बुलाकर सभी से चर्चा की जाएगी। हमारी काेशिश यही है कि परंपरा भी नहीं टूटे और काेराेना गाइड लाइन की पालना भी हाे जाए। पूजा अर्चना, रावण दहन आदि जाे जरूरी कार्य हैं वाे एक सीमित दायरे में कर लिए जाएं। भीड़ वाला आयाेजन न किया जाए। इसके लिए मीटिंग में पूरी रूपरेखा तय कर ली जाएगी।

दशहरा 25 अक्टूबर को, तैयारी के नाम पर अभी तक गणेश स्थापना भी नहीं हुई

दशहरे मेले के लिए हर साल जुलाई माह में देव साेने से पहले गणेश स्थापना हाे जाती थी। ये परंपरा इसलिए थी कि काेई भी कार्य करने से पहले प्रथम पूज्य गणेशजी की पूजा करने का विधान है। इसके बाद ही मेले के लिए तैयारियां शुरू की जाती थी। इस बार ये परंपरा टूट गई।

देव साे चुके हैं, लेकिन इस बार गणेश स्थापना नहीं हुई। 25 अक्टूबर काे दशहरा है, अब केवल डेढ़ माह का समय ही बचा है। यदि रावण दहन भी किया जाएगा ताे रावण, मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतले बनाने के लिए अभी तक टेंडर भी नहीं हुए है। पुतले बनाने में भी एक से डेढ़ माह का समय लगता है।