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मंगलवार, 1 सितंबर 2020

सर्वाधिक 66 हजार हैक्टेयर में बीकानेर में बैठी टिड्डी, सबसे कम धौलपुर में 80 हैक्टेयर

अप्रैल से राजस्थान में दस्तक देने वाली टिड्डियों ने अगस्त तक प्रदेश के 5 लाख 38 हजार 419 हैक्टेयर में पांव पसारे। कहीं नुकसान किया तो कहीं सिर्फ अंडे देकर चली गईं। टिड्डी नियंत्रण विभाग और कृषि विभाग ने मिलकर 4 लाख 9 हजार 172 हैक्टेयर में टिड्डी को मार गिराया।

फिर भी करीब एक लाख हैक्टेयर से ज्यादा स्थानोें पर न तो कृषि विभाग पहुंच पाया और न ही टिड्डी नियंत्रण विभाग। इसलिए वहां टिड्डी ने अंडे दिए, फसलों को नुकसान पहुंचाया और वापस चली गई। टिड्डी प्रदेश में सबसे ज्यादा बीकानेर के 66 हजार 784 हैक्टेयर में बैठी, जबकि सबसे कम 80 हैक्टेयर धौलपुर में।

पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर, नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर, चूरू जिले में सर्वाधिक टिड्डियों ने कोहराम मचाया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इंडो-पाक बॉर्डर पर टिड्डी के आतंक का इशारा किया था और हुआ भी वैसा ही। इसीलिए केंद्र सरकार ने प्रदेश को करीब 15 ड्रोन और दो हेलिकॉप्टर भी मुहैया कराए थे, ताकि टिड्डी से किसानों का कम नुकसान हो। बावजूद इसके किसानों को भारी नुकसान हुआ।

सरकारों की निष्क्रियता इससे ज्यादा और क्या होगी कि टिड्डी आपदा कैटेगरी में आती है और इससे नुकसान की भरपाई भी सरकार करती है, लेकिन ज्यादातर जिलों में न तो नुकसान की गिरदावरी हुई और न ही किसानों को मुआवजा मिला। आपदा राहत प्रबंधन विभाग ने 5.45 करोड़ रुपए प्रदेश के सभी कलेक्टर को भेजे थे, जिसमें टिड्डी नियंत्रण का काम हुआ।

राहत: पाक ने अपने एरिया में मारे फाके
अगस्त की शुरुआत में ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने टिड्डी के बाद उनके बच्चों से भारत-पाक सीमा के आसपास बड़ी संख्या में वापस टिड्डी आने की चेतावनी दी थी। राहत की बात यह रही कि भारत-पाक रेंजर्स वार्ता के बाद पाकिस्तान ने अपनी सीमा में पनप रहे टिड्डी के बच्चों को वहीं मार गिराया। टिड्डी नियंत्रण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर टिड्डी के बच्चे वहां मारे जा चुके हैं। इसलिए उतनी तादाद में टिड्डी अब सीमा पार से नहीं आ पाएगी।

किस जिले में कितने हैक्टेयर तक फैली टिड्डी

बीकानेर 66784, जोधपुर 60675, नागौर 47131, बाड़मेर 44388, जैसलमेर 29254, चूरू 29687, जयपुर 15 174,अजमेर 14664, श्रीगंगानगर 13192, 25041, सीकर 10174, झुंझुनूं 10514, हनुमानगढ़ 15798, प्रतापगढ़ 5970, चित्तौड़गढ़ 3830,पाली 5247, भीलवाड़ा 3342, अलवर 2849, जालौर 2508, टॉक 1600, कोटा 1357, झालावाड़ 1237, उदयपुर 1185,बूंदी 970, भरतपुर 812, सिरोही 709, सवाई माधोपुर 592,करौली 445, राजसमंद 183, बारां 125, और धौलपुर 80 हेक्टेयर में फैली,जबकि डूंगरपुर एकमात्र ऐसा जिला जहां टिड्डी नहीं पहुंची।

  • मुझे आए दो माह हुए हैं, लेकिन अब तक कोई किसान टिड्डी से हुए नुकसान के भरपाई के लिए नहीं आया। फिलहाल फसलों से नुकसान का कोई बजट भी नहीं है। इसकी वजह है कि बीकानेर में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। यदि हुआ भी तो किसानों ने उस खेत में दोबारा बिजाई कर ली। - नमित मेहता, कलेक्टर बीकानेर
  • टिड्डी आपदा राहत क्षेत्र के अधीन आती है और उससे पहले नुकसान की गिरदावरी होती है। जो सरकार के निर्देश के बाद होती है। यदि बजट आया होगा तो आपदा राहत कोष से सीधे जिला प्रशासन के पास आएगा। फिलहाल मुझे खबर नहीं कि किसानों के नुकसान का पैसा आया या नहीं। - डॉ. उदयभान, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग


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Locust seated in Bikaner in 66 thousand hectare maximum, 80 hectare in Dholpur