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शनिवार, 26 सितंबर 2020

पहली बार बिन पावणे सब सून, जहां पहले पीक सीजन में होटलों में कमरे मिलना मुश्किल था, वहां अब खाली कमरों को पर्यटकों का इंतजार

प्रदेश की जीडीपी में 12 से 13 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली टूरिज्म इंडस्ट्री सर्वाइवल के लिए संघर्ष कर रही है। अक्टूबर से शुरू होने वाला टूरिज्म का पीक सीजन अबकी बार ऑफ सीजन से भी बुरे हालात वाला दिखाई पड़ रहा है। इंडस्ट्री में सर्वाधिक बुरा हाल होटल, गाइड, टेक्सटाइल, ट्रेवल से जुड़े लोगों को हुआ है।

जहां सीजन के साथ पुराने लोगों को अप टू-डेट कर कुछ नई भर्तियां की जाती थीं, वहां अब पुराने चावल भी छंटनी हो रहे हैं। इस बीच जयपुर सहित कुछ शहरों में वीकेंड पर स्थितियां सुधरने का नाम ले रही हैं। होटल इंडस्ट्री ने पावणों के दीदार में अपने स्तर पर प्रयास शुरू किए हैं। लोगों को महामारी से सुरक्षा के साथ सफर कराने के जतन किए जा रहे हैं। होटल में कमरों की दरें पहली बार 60-70 प्रतिशत तक कम की गई हैं।

पिछले पांच साल में राजस्थान में पर्यटकों की यह रही स्थिति
2015

प्रदेश - 36662884

जयपुर - 1797908

2016

प्रदेश - 43008844

जयपुर - 2110708

2017

प्रदेश - 47526536

जयपुर - 2336655​​​​​​​

2018

प्रदेश - 51989991

जयपुर - 2469063

2019

प्रदेश - 53825991

जयपुर - 2374097

कोरोनाकाल में राजधानी-प्रदेश की स्थिति

माह जयपुर प्रदेश
जून 5259 8806
जुलाई 12655 19329

माह जयपुर प्रदेश
अगस्त 42650 55743

जयपुर में सभी सितारा होटलों के रूम 12000

  • प्रदेश में: 40000 सीजन में होटल ऑक्यूपेंसी लगभग 80% एंड अबाउ
  • रोजगार: प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से 25-30 लाख लोगों को। ​​​​​​​

अक्टूबर से मार्च का बिजनेस: पीक सीजन 3-5 हजार करोड़ प्रति माह औसतन बिजनेस

इन शहरों में वीकेंड के हालात सुधरते दिख रहे: जयपुर में कुछ हद तक कमरों की बुकिंग दिख रही है। इसके साथ ही माउंट आबू, उदयपुर, एनसीआर से लगे अलवर आदि शहरों में वीकेंड पर पावणों की कुछ रौनक दिखाई पड़ रही है, जहां 50 प्रतिशत तक होटल बुकिंग दिख रही है। माउंट आबू में आरटीडीसी की होटल वीकेंड पर 70-80 प्रतिशत चल रही है। अक्टूबर से रणथंभौर, सरिस्का में स्थितियां सुधरने के आसार हैं।

70 साल में पहली बार इंडस्ट्री को जरूरत

  • 70 साल में टूरिज्म इंडस्ट्री ने दिया ही है। पहली बार हम इतना कह रहे हैं कि कुछ दो मत लेकिन कुछ लो भी तो मत। इंडस्ट्री का 95% तक टूरिज्म लगभग खत्म हो चुका है। सर्वाइवल के लिए सबसे बड़ी मांग मोरिटोरियम पीरियड 2 साल बढ़ाया जाए। बार लाइसेंस फीस माफ की जाए। बिजली की दरें इंडस्ट्री दरों पर लागू हो और फिक्स चार्जेज को माफ किया जाए। - कुलदीप सिंह, टूरिज्म एक्सपर्ट और प्रेसिडेंट होटल-रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ राजस्थान

पर्यटकों को हवाई यात्रा आदि में छूट दी जाए

  • केरल में सरकार ने फील्ड से जुड़े लोगों को कुछ राहत देते हुए 10 हजार रुपए दिए हैं। फिलहाल यहां इस तरह की पहल नहीं हो पाई है। सरकार कम से कम दो साल स्मारकों की फीस और कमतर रखे। पर्यटकों को भरोसा दिलाते हुए हवाई यात्रा आदि में छूट दी जाए। स्मारकों पर खाली दीवारों के साथ कुछ दिलचस्प एक्टीविटी शुरू हों। कोरोना के लिए बेहतर सुरक्षा माहौल की गारंटी मिले। - दौलत सिंह, संरक्षक, फेडरेशन ऑफ टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन

भरोसा: पर्यटन नीति से होगा प्रदेश को लाभ

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  • राज्य जीडीपी में पर्यटन की हिस्से 12-13 प्रतिशत है। फिलहाल कुछ शहरों में ऑक्यूपेंसी वीकेंड पर 40-50 प्रतिशत पहुंच रही है। सही टाइम में पर्यटन नीति घोषित हुई है, इसके लाभ दूरगामी होंगे। इसमें सभी आयामों को छुआ है। नीति को लागू होने की प्रक्रिया शुरू हो रही है। - संजय पांडे, एडिशनल डायरेक्टर, पर्यटन विभाग


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