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रविवार, 27 सितंबर 2020

विद्युत उत्पादन निगम में पावर प्लांटों के ईआरपी प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ी की जांच अब एसीबी करेगी

विद्युत उत्पादन निगम में पावर प्लांटों में फाइलों को ऑनलाइन व ई-फाईल करने के लिए इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सिस्टम के टेंडर व वर्कऑर्डर में की गई गड़बड़ी का मामला तूल पकड़ लिया है। इस काम को सरकार के आईटी डिपार्टमेंट से कराया जाना चाहिए था, लेकिन हैदराबाद की एक चहेती कंपनी को टेंडर और वर्कऑडर दे दिया गया था।

वित्त विभाग की ओर से जांच कराने के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ, जिसके बाद वर्कऑर्डर ही निरस्त कर दिया। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव अजिताभ शर्मा ने पूरे मामले की जांच एसीबी से कराने की सिफारिश कर दी है। सूत्रों के अनुसार हैदराबाद की कंपनी को वर्कआर्डर देने से पहले बिजली कंपनियों में आईटी कार्य करने के लिए गठित प्रोजेक्ट ई मिशन टीम से अनुमति नहीं ली गई।

यहां तक की ऊर्जा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव से भी अनुमति नहीं ली गई। बताया जा रहा है कि उक्त प्रोजेक्ट के लिए अनुमानित लागत 50.68 करोड़ थी, जिसे बढ़ाकर 114.68 करोड़ से अधिक राशि पर वर्कआर्डर दिया गया। इसको लेकर पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा हो रहा है कि किस तरह से प्रोजेक्ट के नाम पर बिजली कंपनियों पर गडबड़ी की जा रही है, जिसका भार अप्रत्यक्ष तौर पर बिजली उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ता है।

आईटी डिपार्टमेंट बना चुका ऐसे प्रोजेक्ट
आईटी डिपार्टमेंट ऐसे नौ प्रोजेक्ट बहुत ही कम लागत पर बना चुका हैं। इसमें आरआरवीपीएनएल, आरवीयूएनएल, जेवीवीएनएल, जयपुर मेट्रो आदि शामिल है। इतना ही नहीं बल्कि आईटी डिपार्टमेंट राज्य सरकार के लिए अन्य बड़े प्रोजेक्ट को भी पूरा कर चुका हैं। इसके बावजूद निजी कंपनी से काम कराया गया।

  • इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग सिस्टम के टेंडर व वर्कऑर्डर को लेकर वित्त विभाग के पास शिकायत आई थी। इसके बाद इसकी जांच शुरू हुई थी, जिसमें खामियां पाए जाने पर वर्कऑर्डर निरस्त किया गया अब पूरे मामले की जांच एसीबी से करने की सिफारिश की गई है। जिससे पूरा सच सामने आ सकेगा। - अजिताभ शर्मा, प्रमुख सचिव, ऊर्जा

ऐसे हुआ वर्कऑर्डर में खेल
बिजली उत्पादन कंपनी में ईआरपी काम के लिए पहली बार सितंबर 2018 में 14.2 करोड़ की अनुमानित लागत का टेंडर जारी किया, लेकिन जून 2019 में इसे निरस्त कर दिया। जुलाई 2019 में 50.68 करोड़ का टेंडर किया। जिसे नवंबर 2019 में कैंसिल कर दिया।

इसके बाद दिसंबर 2019 में ईआरपी के नाम पर 50.68 करोड़ की अनुमानित लागत मानते हुए टेंडर लगाया और प्रक्रिया के बाद हैदराबाद की मैसर्स कैल्ट्रोन टैक्सोल्यूशन लिं. को 114.68 करोड़ में वर्कऑर्डर दे दिया। यह टेंडर अनुमानित लागत से दो गुनी से अधिक रेट पर दिया गया।



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फाइल फोटो