पाकिस्तान से सटे बाड़मेर जिले के जसोल गांव के रहने वाले जसवंत सिंह राजस्थान के एक मात्र ऐसे राजनेता रहे, जिन्हें देश के विदेश, वित्त और रक्षा मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। तत्कालीन पीएम अटल बिहारी बाजपेयी के बेहद करीबी रहे। वे राजस्थान की राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन उन्हें ज्यादा रास नहीं आया।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से राजनीतिक अनबन जाे बनी, वाे आखिरी सांस तक खत्म नहीं हाे पाई। राज्य और अपने क्षेत्र के विकास के लिए जसवंत सिंह ने ऐसे कई काम किए, जिनके लिए हमेशा उन्हें याद किया जाएगा।
टिकट काटा ताे निर्दलीय चुनाव लड़े
2014 के लाेकसभा चुनाव के दाैरान भाजपा ने बाड़मेर -जैसलमेर में जसवंत सिंंह का टिकट काटकर कर्नल साेनाराम चाैधरी काे दिया गया था। साेनाराम कांग्रेसी रह चुके थे। ऐसे में जसवंत सिंह ने नाराजगी जाहिर करते हुए निर्दलीय मैदान में ताल ठाेक दिया। वे चुनाव हार गए। तब चर्चा थी कि जसवंत सिंह के टिकट पर संघ और वसुंधरा राजे की आपत्ति थी। चुनाव हारने के बाद ही सिंह का स्वास्थ्य ऐसा खराब हुआ कि वे फिर ठीक ही नहीं हो पाए।
मैं कोई फर्नीचर नहीं हूं, मैंने कभी एडजस्टमेंट की राजनीति नहीं की
टिकट कटने और पार्टी से बगावत पर जसवंत सिंह काे भाजपा नेताओं ने कहा था कि आपकाे एडजेस्ट करा देंगे। इस पर आहत जसवंत सिंह ने कहा था कि मैं कोई मेज कुर्सी और फर्नीचर नहीं हूं। मैंने कभी एडजस्टमेंट की राजनीति नहीं की। ये बात उन्हाेंने बाड़मेर की एक चुनावी सभा में की थी।
इन भाषाओं के जानकार थे
जसवंत हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व राजस्थानी के अच्छे जानकार थे। उनके भाषणों के दौरान वे हमेशा मारवाड़ी ही बोलते थे। जसवंत सिंह ने फाैज की नाैकरी छाेड़कर जाेधपुर के राजा गजसिंह के यहां निजी सचिव का काम किया था। उसके बाद राजनीति में आकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के हनुमान भी कहलाए थे। जसवंत सिंह ने विदेशाें में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए देश की धमक भी बढ़ाई थी।
जिन्ना विवाद
जिन्ना पर किताब लिखने के बाद उन्हें पार्टी से निकाला गया। आडवाणी जैसे दोस्तों की बदौलत उन्हें सम्मान के साथ पार्टी में वापस लिया गया। पिछले लोकसभा चुनाव में बागी हुए तब भी आडवाणी के संपर्क में रहे। चुनाव से पहले और बाद में आडवाणी से उनकी मुलाकातें जारी रहीं। बाड़मेर से हार के बावजूद पार्टी ने उनके अनुभव का फायदा लेने का प्रयास किया।
2014 में जोधपुर से दिल्ली गए, 6 साल बाद देह ही लौटी
मई 2014 में जसोल जोधपुर से दिल्ली गए। वहां 3 माह बाद घर में गिरे, फिर कोमा में चले गए थे। अब 6 साल बाद उनकी देह ही जोधपुर लौटी।
राजस्थान के लिए जसवंत सिंह की देन
जोधपुर एम्स की स्थापना में सबसे बड़ी भूमिका उनकी थी। तब वे देश के वित्त मंत्री थे। जोधपुर व पूरे मारवाड़ में रेलवे की ब्रॉडगेज लाने का श्रेय भी तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंतसिंह को है।
राज्यपाल, सीएम सहित अन्य नेताओं ने जताई संवेदना संवेदना
जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ समेत प्रदेश के कई नेताओं ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today