
जिले के पोक्सो कोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले में पीड़िता और उसके पिता को बयान बदलने पर सजा सुनाई है। कोर्ट ने पिता और पुत्री की जमानत भी निरस्त कर दी। कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 193 के तहत लड़की पर पांच सौ रुपए का जुर्माना किया तथा यह राशि जमा न कराने पर तीन दिन का कारावास भुगतने के आदेश दिए, वहीं उसके पिता को प्रतीकात्मक रूप से दस दिन का कारावास और पांच सौ रुपए जुर्माना लगाया।
जुर्माना जमा न करवाने पर तीन दिन का कारावास भुगतना होगा। इस मामले में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशिष्ट लोक अभियोजक अधिवक्ता लोकेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कुलोद कलां निवासी एक व्यक्ति ने सदर थाने में मामला दर्ज करवाया था कि उसकी नाबालिग बेटी के साथ निराधनू निवासी एक युवक ने उस समय दुष्कर्म किया जब वह शौच के लिए घर से बाहर गई थी। धारा 164 के बयानों में लड़की ने कहा था कि उसकी उम्र 16 साल है और उसके साथ दुष्कर्म हुआ है।
न्यायालय में सुनवाई के दौरान लड़की इस बयान से पलट गई। न्यायालय को बताया कि उसकी उम्र 19 साल से ज्यादा है और दुष्कर्म भी नहीं हुआ। इस पर न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया, लेकिन पिता और पुत्री पर न्यायालय में शपथ लेकर झूठा बयान देने के आरोप में प्रसंज्ञान लेते हुए अलग से कार्रवाई करने के आदेश दिए। इस दौरान पिता और पुत्री को सम्मन जारी किया। तब लड़की ने फिर न्यायालय को बताया कि वह नाबालिग है। न्यायाधीश ने फैसले में लिखा कि बार-बार बयानों से पलटने की प्रवृत्ति अनुचित है। इसलिए सजा देना जरूरी है।
पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश सुकेशकुमार जैन ने फैसले में कहा
पचास फीसदी मामलों में परिवादी पक्ष अपने बयानों से मुकर जाते हैं, इसका कारण दबाव या लालच होता है, यह भी सामने आया है कि दुष्कर्म के मामलों में एफआईआर दर्ज करवाने के बाद सौदेबाजी कर भारी राशि ली जाती है, जिससे अभियोजन के मामले को विफल कर दिया जाता है।
न्यायालय में शपथ लेकर झूठ बोलने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं जाए तो ऐसी प्रवृत्ति में बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि पोक्सो अधिनियम में कानूनन किसी तरह का राजीनामा नहीं हो सकता, लेकिन आरोपी से रुपए लेकर उसे फायदा पहुंचाने की गरज से झूठे बयान दिए जाते हैं।
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