
जिले के पीलवा नदी गांव में हनुमान जी मंदिर की प्रतिमा खंडित करने एवं मंदिर सहित पूरी जमीन किसी दीगर समाज के व्यक्ति के खाते लगाकर प्रशासन ने यहां पर भी हालात पेचीदा कर दिए हैं। इस मामले को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश दिन पर दिन तीव्र होता जा रहा है और प्रशासन अब भी संवेदनशीलता नहीं दिखा रहा है।
इस मामले को लेकर 15 अक्टूबर को कई गांवों के लोग मलारना उपखंड कार्यालय पर प्रदर्शन करेंगे। इसके लिए बुधवार को भी संघर्ष समिति की दो टीमों ने 15 गांवों में लोगों से संपर्क किया। मंदिवर व सिवाय चक भूमि का खातेदार के नाम आवंटन निरस्त करने के लिए इस आंदोलन से जुड़ने का आग्रह किया।
दूसरी तरफ संघर्ष समिति के तेवर एवं ग्रामीणों का आक्रोश देखते हुए बुधवार को पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने दोनों गांवों के लोगों को बुलाकर समझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बन पाई। सैनी समाज के जिलाध्यक्ष सचिन सैनी के अनुसार जिस सिवायचक जमीन पर प्राचीन हनुमान मंदिर है, उसे राजस्व विभाग ने म किस नियम के तहत किसी को आबंटित कर सकता है।
राजाराम पटेल के अनुसार विवाद ने इसलिए तूल पकड़ लिया क्योंकि वर्ष 2012 में भी इसी मंदिर की प्रतिमा को किसी ने खंडित कर दिया था। उस समय गांव के लोगों ने प्रशासन की समझाइश से मामला शांत कर नई प्रतिमा लगा कर पूजा शुरू करा दी थी। लेकिन 2 अक्टूबर की रात को एक बार फिर उसी प्रतिमा को खंडित कर दिया। इस बार इस घटना से लोग आहत है और इस समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं।
प्रदर्शन के बाद ज्ञापन में होंगे तीन अहम मुद्दे
इस मामले को लेकर संघर्ष समिति के बैनर तले 15 अक्टूबर को मलारना डूंगर उपखंड मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे। समिति के अनुसार इसके बाद उप जिला कलेक्टर के माध्यम से सरकार को ज्ञापन दिया जाएगा, जिस में तीन मुद्दे अहम रहेंगे...
- प्रथम जिस सिवायचक जमीन पर सैकडों सालों से हनुमानजी का मंदिर है, उस जमीन को गलत तरीके से लगाई गई खातेदारी को निरस्त कर वापस सिवायचक घोषित करें तथा मंदिर के नाम दर्ज करें।
- मंदिर तक जाने वाले मार्ग से अतिक्रमण हटाया जाए।
- प्रतिमा खंडित करने वालों को गिरफ्तार किया जाए।
एसडीएम ने समझाने का किया प्रयास, नहीं माने
एसडीएम रघुनाथ खटीक ने बताया कि पीलवा नदी एवं बिच्छीदोना गांव के लोगों को बुलाकर समझाने का प्रयास किया गया था। वार्ता के दौरान किसी प्रकार की सहमति नहीं बन पाई है।
प्रशासन को नहीं पता, सिवाय चक भूमि खातेदार को आवंटन कब हुई
- जिस सिवायचक जमीन पर मंदिर है, उसी जमीन को कब दीगर समाज के व्यक्ति के खाते लगा दिया गया।
- खाते लगाते समय क्या इस बात की जांच की गई थी कि इस जमीन पर हनुमान जी का मंदिर सैकडों सालों से मौजूद है।
- खाते लगाने वाले पटवारी एवं गिरदावर ने उस समय क्या रिपोर्ट की थी और क्या रिपोर्ट में इस जमीन पर पुराना मंदिर होने का जिक्र किया गया था।
- अभी तक इस बात का भी पता नहीं लग पा रहा है कि उस समय पटवारी कौन था, गिरदावर कौन था और तहसीलदार कौन।
- प्रशासन अभी भी यह बताने की हालत में नहीं है कि आखिर इस विवाद का जन्म किस सन में किस की लापरवाही से हुआ।
- बार-बार मंदिर की प्रतिमा को तोड़ने का काम कौन कर रहा है।
- प्रशासन का सैकडों साल पुराने इस मंदिर को कहीं दूसरी जगह ले जाने का अव्यवहारिक प्रस्ताव क्यों और किस मजबूरी में रख रहा है।
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