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गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

बाय में 167 साल में पहली बार राम-रावण की सेना के बीच नहीं होगा युद्ध

बाय में दक्षिणी भारतीय शैली में मनाए जाने वाले दशहरा महोत्सव के 167 वर्षों के इतिहास में पहली बार राम-रावण की सेनाओं के बीच युद्ध नहीं होगा और न ही रावण मारा जाएगा। बाय में रावण को जलाया नहीं जाता है, बल्कि राम व रावण की सेनाओं में युद्ध में राम ही रावण का वध करते हैं। इस बार कोरोना काल के कारण रावण नहीं मारा जाएगा। ऐसा बाय में 167 वर्षों के इतिहास में पहली बार होगा।

दशहरा समिति के अध्यक्ष प्रहलाद सहाय शर्मा, दशहरा समिति के सदस्य मातादीन मिश्रा ने बताया कि इस बार कोरोना काल के कारण दशहरा महोत्सव नहीं मनाया जाएगा। यह निर्णय दशहरा समिति की हुई बैठक में लिया गया। बताया जाता है कि 167 वर्ष पूर्व जयपुर के दरबार ने जजिया कर लगा दिया था। बाय के लोगों ने जजिया कर देने से मना कर दिया। जजिया कर जबरन वसूलने पर लक्ष्मीनाथ मंदिर के सामने सभी ग्रामवासियों ने आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी।

उसके बाद दांता ठाकुर की मध्यस्थता के बाद जयपुर दरबार ने जजिया कर माफ कर बाय को खालसा घोषित कर दिया था। इसी दिन विजयदशमी होने पर ग्रामवासियों ने दशहरा महोत्सव मनाना शुरू किया था। पहले विजयादशमी महोत्सव छोटे रूप में मनाना शुरू किया था। उसके बाद कई ग्रामवासी दक्षिण प्रदेशों व अन्य जगहों पर कमाने के लिए गए तो वहां की शैली को अपनाया गया।

लगातार 24 घंटे चलता है दशहरा महोत्सव
बाय में दशहरा महोत्सव लगातार 24 घंटे चलता है। दशहरे के दिन सुबह से लक्ष्मीनाथ मंदिर के सामने रामलीला का मंचन किया जाता है। शाम को राम-रावण की सेनाएं रथ पर सवार होकर राउमावि के खेल मैदान में पहुंचती हैं, जहां राम-रावण की सेनाओं के बीच युद्ध होता है। युद्ध में राम द्वारा रावण के वध के बाद श्रीराम का विजय जुलूस निकाला जाता है जो लक्ष्मीनाथ मंदिर पहुंचता है। वहां खुशियां मनाई जाती हैं। रातभर झांकियों का प्रदर्शन किया जाता है। सुबह भगवान लक्ष्मीनाथ जी पूजा-अर्चना व भोग के लगाने के बाद प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन होता है।
तीन पीढ़ियां निभाती आ रही है भूमिकाएं : राम का अभिनय 22 वर्षों से रामगोपाल शर्मा करते आ रहे हैं। पहले उनके दादा स्वं. जीवणराम शर्मा अभिनय करते थे। रावण का अभिनय 22 वर्षों से सुरेश मिश्रा, पहले उनके पिता फूलचंद मिश्रा व दादा भूरमल मिश्रा एवं मेघनाद का अभिनय भी तीन पीढ़ियां करती आ रही हैं। पहले दादा रामदयाल कुमावत, पिता बजरंग लाल कुमावत और अब उनका बेटा रमेश कुमावत मेघनाथ का अभिनय कर रहे हैं।



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For the first time in 167 years, there will be no war between Ram and Ravana's army in BY