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बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

मंत्रियों और आपस में भिड़ने वाले आईएएस पर गिर रही तबादले की गाज, एक साल में कंट्रोवर्सी में रहे 25 से अधिक ब्यूरोक्रेट को कार्मिक विभाग ने चलता किया

कार्मिक विभाग की ओर से सोमवार को रात 11 आईएएस अफसरों की तबादले सूची की जरिए कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को एक बार फिर सख्त मैसेज दिया है। मंत्रियों और सीनियर से भीड़ने वाले आईएएस अफसरों के विवाद को राज्य सरकार किसी भी सूरत में लंबे समय तक हवा नहीं देगी।

तबादले सूची में मंजू राजपाल, पी रमेश और काना राम तीन ऐसे अफसरों के स्थानांतरण किए गए, जिनका किसी न किसी रूप से विवादों से नाता रहा। पिछले एक साल में ऐसे ही विवादों में रहे 25 से अधिक आईएएस अफसरों पर कार्मिक की ओर से विभाग बदलकर ‘विवाद’ को चलता किया गया।

7 आईएएस आपस में भिड़े और विवादों में आए, सात मंत्रियों से 9 आईएएस अफसरों ने ली टक्कर, कंट्रोवर्सी बढ़ी तो इधर से उधर कर दिए गए

सुबोध vs संदीप
1988 बैच के आईएएस सुबोध अग्रवाल का उद्योग विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव रहते हुए राजस्व विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव संदीप वर्मा के साथ जमीन आवंटन के अधिकार को लेकर विवाद हो गया था। इतना ही नहीं बल्कि सुबोध और उद्योग विभाग के तत्कालीन निदेशक मुक्तानंद अग्रवाल के बीच भी अनबन रही। जुलाई 2020 में तीनों ही अफसरों को सरकार ने अपने-अपने पदों से हटाकर दूसरे विभागों में लगा दिया।

राजेश्वर vs आरुषी
1989 बैच के आईएएस एवं पंचायतीराज विभाग के तत्कालीन एसीएस राजेश्वर सिंह और 2005 बैच की आईएएस एवं विशेष सचिव आरुषी मलिक के बीच कई मामलों को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद राज्य सरकार ने दो बार में दोनों ही अफसरों को हटा दिया।

कलेक्टर काना राम
पिछले दिनों शिक्षक भर्ती को लेकर हुए बवाल को समय रहते डूंगरपुर के कलेक्टर काना राम कंट्रोल नहीं कर पाए। आंदोलन के कितना बड़ा हो सकता है इसे भी नहीं समझ पाए। इससे सरकार की किरकिरी हुई। अब उन्हें हटा दिया गया है।

नरेशपाल vs उदयलाल
प्रमुख सचिव सहकारिता रहते हुए आईएएस नरेशपाल गंगवार और मंत्री उदयलाल आंजना के बीच कंट्रोवर्सी हुई, जिसके बाद जुलाई में गंगवार को सहकारिता से हटाकर उद्योग में लगा दिया गया।

कुंजीलाल vs भाया
खान विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव और मंत्री प्रमोद जैन भाया के बीच विवाद तत्कालीन निदेशक गौरव गोयल के अधिकार कम करने को लेकर हुआ। कुंजीलाल मीणा और निदेशक गौरव गोयल को जुलाई में हटा दिया।

श्रेया गुहा vs विश्वेंद्र
पर्यटन विभाग की प्रमुख श्रेया गुहा और तत्कालीन पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बीच विवाद हुआ। मंत्री की ओर से लगाए आरोप के बाद राज्य सरकार ने गुहा को पर्यटन से हटाकर वन एवं पर्यावरण विभाग की कमान दे थी।

दिनेश कुमार vs भाया
कुछ माइंस के मामलों को लेकर खान विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव दिनेश कुमार और मंत्री प्रमोद जैन भाया से विवाद के चलते महज छह माह में ही ट्रांसफर कर दिया गया।

मंजू राजपाल vs डोटासरा

सचिव स्कूल शिक्षा एवं भाषा मंजू राजपाल और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बीच लंबे समय से कागज खरीद को लेकर अनबन चल रही थी। इसको देखते हुए राज्य सरकार की ओर से मंजू राजपाल को हटा दिया गया है।

पी रमेश vs अजिताभ शर्मा

विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी और ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव अजिताभ शर्मा के बीच ईआरपी प्रोजेक्ट को लेकर विवाद हुआ। इस मामले में पी रमेश को हटाकर सीएमडी के पद से संभागीय आयुक्त उदयपुर के पद पर लगाया गया है।

राजेश यादव vs प्रताप सिंह
परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव एवं आयुक्त राजेश यादव व मंत्री प्रताप सिंह खाचरिचास के बीच काफी समय तक अनबन रही। इसके चलते सरकार ने राजेश यादव को परिवहन से हटाकर जलदाय विभाग में लगा दिया।

मुग्धा सिन्हा vs रमेश मीणा
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की सचिव मुग्धा सिन्हा और तत्कालीन मंत्री रमेश मीणा के बीच भी पटरी नहीं बैठी। इसके बाद वहां से मुग्धा को हटा दिया गया था।

समित शर्मा vs रघु शर्मा
एनएचएम के तत्कालीन निदेशक समित शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के बीच नियुक्तियों को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद वहां से समित शर्मा को हटा दिया गया।

विवादों के चलते ये भी हटाए गए
सीकर के तत्कालीन कलेक्टर यज्ञमित्र सिंहदेव, आरटीडीसी के तत्कालीन एमडी डा.कुंज बिहारी पांड्या, चूरू के तत्कालीन कलेक्टर संदेश नायक, बाड़मेर के तत्कालीन कलेक्टर हिमांशु गुप्ता, बाड़मेर के तत्कालीन कलेक्टर अंशदीप, कोटा के तत्कालीन कलेक्टर ओम प्रकाश को हटाया गया।



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फाइल फोटो