कस्बे में जगह जगह गंदगी के ढेर से ग्रामीणों में बीमारियां फैलने का डर है। नगरपालिका की घोषणा हुए चार-पांच माह हो गए। अधिशासी अधिकारी एवं कर्मचारियों ने पदभार भी ग्रहण कर लिया लेकिन सफाई व्यवस्था ज्यों की त्यों बनी हुईं है। नगरपालिका बनते ही तत्कालीन अधिशासी अधिकारी सुरेशचंद्र शर्मा ने भोपालगढ़ की सफाई व्यवस्था सुचारू करने के लिए सफाई के टेंडर किये थे और टेंडर भी हुए लेकिन फिर फर्म ने कदम पीछे खींच लिए।
श्रमिक ठेके पर काम करने के इच्छुक ना होकर संविदा पर काम करने के इच्छुक है। इस कारण ग्रामीणों को स्वयं झाड़ू लेकर सफाई करनी पड़ रही है। ग्रामीण मूला राम प्रजापत ने बताया कि भोपालगढ़ में नगरपालिका बनने से पहले गांव के श्रमिक आकर सफाई कर देते थे लेकिन अब यह श्रमिक मासिक वेतन पर भी सफाई नहीं कर रहे हैं। इसी तरह पुराना बस स्टैंड पर बालिका स्कूल के पास गंदगी का ढेर लगा हुआ है। मुख्य बस स्टैंड पर बने सुलभ काम्प्लेक्स की सफाई नहीं हो रही। गंदे पानी का तालाब बना हुआ है।
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