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मंगलवार, 23 मार्च 2021

West Bengal Assembly Elections 2021: मछुआरों के वोट पर सबकी नजर, मगर उनकी परेशानियों से किसी को मतलब नहीं!

देवेंद्र गोस्वामी/दीघा (पूर्वी मेदिनापुर) .

देशभर में सालाना 450 करोड़ रुपए और दुनियाभर में 600 करोड़ रुपए की सप्लाई करने वाले दीघा मोहना बाजार में सुबह 3 बजे से ही चहल-पहल शुरू हो जाती है। समुद्र से लौटने वाले मछुआरों के साथ जितनी मछलियां आती हैं, उसी अनुसार रेट तय होता है। आवक अधिक तो रेट कम।

हालांकि अब ऑफ सीजन है, इसलिए आवक कम है तो रेट ज्यादा है। हिलासा, टाइगर, चांदी पम्पलेट मछलियां सिर्फ इसी क्षेत्र में मिलती हैं इसलिए केरल, तमिलनाडु, गुजरात, ओडिशा, आंध्र प्रदेश समेत देशभर में सप्लाई होती है। रोजाना औसतन तीन करोड़ रुपए की मछली बिकती है। पूरे बाजार और मछुआरों को मैनेज करने का काम दीघा फिशरमैन एंड फिश ट्रेडर्स एसोसिएशन करती है।

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50 हजार लोग जुड़े हैं इस बाजार से

एसोसिएशन के चेयरमेन प्रणव कुमार कर बताते हैं कि 50 हजार लोग इस बाजार से जुड़े हैं। इनमें से 17500 रजिस्टर्ड मछुआरे हैं। मछुआरे एक बार निकलते हैं तो पांच-छह दिन बाद लौटते हैं। 200 किलोमीटर दूर तक बांग्लादेश बॉर्डर तक मछली पकडऩे निकल जाते हैं। एक बार बोट में दो से तीन टन तक मछली लेकर आते हैं। बाजार में मछली बेच रहे देबु दास ने बताया कि सरकार की तरफ से कोई सुविधा नहीं मिलती। कुछ वर्ष पहले केंद्र सरकार की तरफ में मत्स्यजीवि कार्ड बनाया गया था लेकिन आज तक इसके तहत कोई सुविधा नहीं मिली।

राज्य सरकार से कोई सुविधा नहीं मिलती

सुविधाओं के बारे में प्रणव ने बताया कि पक्का मकान, महिलाओं को सीलाई मशीन और मुर्गी के चूजे देने की बात कही गई थी। राज्य सरकार से भी कोई सुविधा नहीं मिलती। राहत इस बात से केवल है कि पहले बाउंड्रीवॉल नहीं होने के कारण बारिश के मौसम में गांवों में पानी घुस जाता था। अभी तक तृणमूल को इस वर्ग का समर्थन मिल रहा था लेकिन इस बार लोग अलग-अलग राय रख रहे हैं। यह क्षेत्र रामनगर विधानसभा में आता है।

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देश का पहला इंटरनेशनल फीश मार्केट बनाने की घोषणा
मौजूदा बाजार के पास ही इंटरनेशनल फीश मार्केट का काम चल रहा है। एसोसिएशन के डायरेक्टर प्रवीर कुमार गिरि ने बताया कि देश का पहला इंटरनेशन फीश मार्केट बन रहा है, जो यूरोपियन यूनियन के स्टैंडर्स के अनुसार होगा। राज्य सरकर ने इसकी घोषणा की है लेकिन इसके निर्माण में कोई मदद नहीं मिली। एसोसिएशन खुद अपनी तरफ से निर्माण करवा रहा है। प्रवीर बताते हैं कि ड्रेजिंग (तट पर जमा रेत को हटाना) नहीं करने से दुर्घटनाएं होती हैं। मछुआरों की जान चली जाती है। सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है। मछली पकडऩे का काम अप्रैल-मई दो महीने बंद रहता है। इस दौरान मछुआरे बेरोजगार हो जाते हैं। उन पर सरकार का ध्यान नहीं है। भाजपा ने दुर्घटना में मौत पर 3 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है लेकिन मांग 5 लाख रुपए की है।

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भाजपा से दुश्मनी नहीं, टीएमसी से दोस्ती नहीं
पूरे पश्चिम बंगाल में 30 लाख मछुआरे हैं। सरकार बनाने में इनकी भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रहेगी। ये किसे समर्थन करेंगे, इस पर एसोसिएशन के सेके्रटरी श्याम सुंदर दास का कहना है कि जो पार्टी डीजल के टैक्स में छूट देगी उसे ही सपोर्ट करेंगे। न भाजपा से दुश्मनी है और न ही टीएमसी से दोस्ती है। अन्य राज्य में डीजल में मछुआरों को छूट दी जा रही है। यहां भी 10 से 15रुपए टैक्स में छूट मिले। सरकार इंश्योरेंस तक नहीं देती, दुर्घटना होने पर एसोसिएशन की तरफ से दो लाख रुपए तक की मदद करते हैं। दो रुपए चावल और गेहूं से मछुआरा वर्ग को फायदा नहीं है, रोजगार चाहिए। दो महीने खाली बैठना पड़ता है, इसके लिए किसी पार्टी से मदद नहीं मिली। केंद्र और राज्य सरकार का रवैया एक ही है।



source https://www.patrika.com/elections-news/everyone-eye-on-fishermen-vote-but-no-concerned-with-their-condition-6760774/