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मंगलवार, 13 अप्रैल 2021

कोरोना का हारना तय, बना रहे आत्मविश्वास

कोरोना की दूसरी लहर का कहर एक बार फिर डराने लगा है। भारतीय शेयर बाजार का सोमवार को डुबकी लगाना उसी डर को दर्शाता है। एक दिन में पौने दो लाख मरीजों का सामने आना वाकई खतरे की घंटी से कम नहीं है। यही कारण है कि सेंसेक्स 1700 से अधिक अंक फिसल गया। शेयर बाजार किसी 'सांप-सीढ़ी' के खेल से कम नहीं। दुनिया में कोई आशंका नजर आई नहीं कि शेयर बाजार फिसल जाते हैं। पछले साल मार्च का महीना शेयर बाजारों के लिए बुरे सपने से कम नहीं था। भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम शेयर बाजारों को कोरोना महामारी ने भयभीत कर दिया था। निवेशकों को लाखों-करोड़ों की रकम गंवानी पड़ी थी। बाजार की रफ्तार को कोरोना लंबे समय तक रोक नहीं पाया। कोरोना के डर से बाजार उबरा तो 50 हजार को पार कर गया।

अब बाजार एक बार फिर सहमा है। ये समय आम निवेशकों के लिए सावधान रहने का है। पिछली बार भारी गिरावट में अनेक निवेशकों का पैसा डूब गया था। इसलिए बाजार के सामने मौजूद तमाम चुनौतियों पर नजर रखनी जरूरी है। बाजार में चंद बड़े निवेशकों को छोड़ दिया जाए, तो छोटे निवेशकों के लिए ये समय कठिन है। देश में कोरोना वैक्सीनेशन का काम प्रगति पर है। दस करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लग चुकी है। उम्मीद है हम कोरोना पर जीत पाने में कामयाब होंगे, लेकिन थोड़े समय के लिए शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। सरकारें भी देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने को लेकर गंभीर हैं। कोरोना के कहर को रोकने के लिए सख्ती तो हो, लेकिन अर्थव्यवस्था सुचारु रूप से चलती रहे, ऐसे उपाय किए जाने चाहिए। उद्योग-धंधों की चिंता भी हो, तो आम आदमी की रोजी-रोटी की भी। सख्ती हो, लेकिन सब कुछ बंद करने से बचा जाए। उन पुरानी गलतियों को ना दोहराया जाए, जिसने आम आदमी को झकझोर दिया था। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय से काम हो।

पिछले साल लॉकडाउन के बाद देश ने दूसरे देशों के मुकाबले अपने आपको जल्दी संभाल लिया था। उद्योग जगत हो अथवा शेयर बाजार अथवा छोटे व्यापारी, सभी ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को समझा भी था और सरकार को पूरा सहयोग भी दिया था। ये दौर भी जल्दी निकल जाएगा।



source https://www.patrika.com/opinion/corona-is-sure-to-lose-remains-confident-6795392/