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सोमवार, 26 अप्रैल 2021

कारगर नीतियों से ही दूर होगा ऑक्सीजन संकट

देश के अस्पतालों में ऐसा हाहाकार पहले कभी नहीं मचा। कई अस्पताल मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। मरीजों की जान पर बन आई है। दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में शुक्रवार रात ऑक्सीजन के अभाव के कारण कोरोना के 20 मरीजों की मौत हो गई। शनिवार को अमृतसर के एक प्राइवेट अस्पताल में भी छह मरीजों की जान गई। हालात इतने गंभीर हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट को चेतावनी देनी पड़ी कि केंद्र, राज्य या स्थानीय प्रशासन का कोई अफसर ऑक्सीजन की सप्लाई में बाधा खड़ी करेगा, तो उसे 'फांसी पर लटका' दिया जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर मौजूदा हालात को 'राष्ट्रीय आपातकाल' के समान बताते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया था।

केंद्र अस्पतालों को निर्बाध ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए बीते गुरुवार आपदा प्रबंधन कानूून के तहत सख्त पाबंदियों का ऐलान कर चुका है। फिर भी हालात काबू में नहीं आ रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में हर दूसरे दिन रेकॉर्ड ध्वस्त कर रहे नए मामलों ने पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को पंगु बना रखा है। बेबसी की इस त्रासद तस्वीर के पीछे की कड़वी हकीकत यह है कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं को चाक-चौबंद बनाना हमारे नीति निर्धारकों की प्राथमिकता में शामिल कभी नहीं रहा। इसीलिए जब कभी अप्रत्याशित हालात पैदा होते हैं, स्वास्थ्य सेवाओं के हाथ-पांव फूल जाते हैं। पिछले साल अप्रेल में कोरोना पर समीक्षा बैठक में अधिकारियों की एक टीम ने आगाह किया था कि मेडिकल ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। बाद में स्वास्थ्य संबंधी मामलों की संसदीय समिति ने भी सिफारिश की थी कि सरकार ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे, ताकि मांग के अनुरूप सप्लाई होती रहे। पिछले साल मई तक रोजाना 2,800 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा था, जो अब 7,000 मीट्रिक टन हो गया है। दूसरी लहर में मांग रोजाना 5,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की है। इस हिसाब से मौजूदा संकट के पीछे उत्पादन की बजाय गैस की असमान आपूर्ति सबसे बड़ा कारण है।

महाराष्ट्र मेडिकल ऑक्सीजन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। कोरोना के सबसे ज्यादा मामले भी इसी राज्य में हैं, इसलिए वह दूसरे राज्यों को ऑक्सीजन देने में आनाकानी कर रहा है। दो अन्य प्रमुख गैस उत्पादकों गुजरात और झारखंड के साथ भी यही मामला है। संकट काल में राज्यों के बीच बेहतर तालमेल और एक-दूसरे की जरूरतों को समझने की भावना की दरकार है। केंद्र सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह सभी राज्यों को भरोसे में लेकर मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति और परिवहन में आ रही बाधाओं को कारगर ढंग से दूर करे। हर अस्पताल में ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना की दिशा में भी कदम उठाए जाने चाहिए। प्राण वायु के मामले में हर अस्पताल को आत्म निर्भर बनाना मौजूदा समय का सबसे बड़ा तकाजा है।



source https://www.patrika.com/opinion/oxygen-crisis-will-be-overcome-only-by-effective-policies-6817673/