सनातन धर्म में यूं तो अनेक देवी देवता हैं। लेकिन इनमें भी हर देवी देवता के अपने कुछ कार्य निश्चित माने गए हैं। त्रिदेवों में जहां ब्रह्मा जी का कार्य सृष्टि की उत्पत्ति है तो वहीं भगवान विष्णु सृष्टि का पालन करते हैं, जबकि भगवान शिव संहार के देव माने गए हैं। इसी प्रकार देवी माता लक्ष्मी ( Goddess laxmi ) को धन-धान्य की देवी माना गया है।
ऐसे में माता लक्ष्मी के प्रमुख त्यौहारों में से एक लक्ष्मी पंचमी ( lakshmi panchami ) का पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष के दौरान पंचमी तिथि (chaitra lakshmi panchami) को मनाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को की गई श्री आराधना मनोवांछित फल प्रदान करती है। ऐसे में इस बार 2021 में लक्ष्मी पंचमी ( devi lakshmi ) का पर्व 17 अप्रैल (lakshmi panchami date) यानि शनिवार के दिन आ रहा है।
वहीं जानकारों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष के दौरान पंचमी तिथि को कल्पदी तिथियों के रूप में भी जाना जाता है। लक्ष्मी पंचमी ( lakshmi panchami 2021 ) का यह त्यौहार हमारे देश के कई हिस्सों में बड़े स्तर पर मनाया जाता है। इस त्यौहार धन व समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। माना जाता है कि लक्ष्मी जी का नित्य पूजन, आरती कष्टों से मुक्ति प्रदान करती है।
लक्ष्मी पंचमी पूजा समय -
पंचमी तिथि का प्रारंभ : 16 अप्रैल 2021 को शाम 06 बजकर 05 मिनट से
पंचमी तिथि का समापन : 17 अप्रैल 2021 को शाम 08 बजकर 32 मिनट तक
श्री लक्ष्मी पंचमी पूजन | Sri Laxmi Panchami Worship
धन-संपदा व समृद्घि की प्राप्ति के लिए श्री लक्ष्मी पंचमी ( lakshmi panchami ) का पूजन किया जाता है। लक्ष्मी जी को धन-सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। लक्ष्मी जी जिस पर भी अपनी कृपा दृष्टि डालती हैं वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, के रूपों से मुक्त हो जाता है, समस्त देवी शक्तियों के मूल में लक्ष्मी ही हैं जो सर्वोत्कृष्ट पराशक्ति हैं।
पंडितों व जानकारों के अनुसार देवी लक्ष्मी ( Goddess ) का आशीर्वाद लेने के लिए इस दिन सख्त उपवास किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं जो इस दिन उनकी पूजा करते हैं। लक्ष्मी पंचमी हिन्दू नव वर्ष ( Hindu NavVarsh ) की शुरुआत के दौरान आती है और इस दिन इसे पूजा करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस दिन चाहे घर पर हों या आफिस में, देवी लक्ष्मी की अत्यधिक भक्ति के साथ पूजा करनी चाहिए।
इन मंत्रों का जाप करें: lakshmi panchami mantra
1. लक्ष्मी बीज मंत्र: ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
2. महा लक्ष्मी मंत्र : ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र : ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
अन्य मंत्र:
: ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
: ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
: ॐ आं ह्रीं क्रौं श्री श्रिये नम: ममा लक्ष्मी
नाश्य-नाश्य मामृणोत्तीर्ण कुरु-कुरु
सम्पदं वर्धय-वर्धय स्वाहा:।
: पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।।
: ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,
धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
श्री लक्ष्मी उपासना विधि | Sri Lakshmi Panchami poojan vidhi
लक्ष्मी पंचमी ( lakshmi panchami date ) का व्रत विशेष विधि से किया जाता है। मान्यता है कि चैत्र मास ( Chaitra Maas ) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए और रात्रि में दही व भात भोजन के तौर पर ग्रहण करने चाहिए। इसके बाद पंचमी के दिन श्री लक्ष्मी पंचमी व्रत को विधि को आरंभ करने से पहले ब्रह्ममुहूर्त में स्नान आदि कार्यो से निवृत होकर, व्रत का संकल्प लें। व्रत का संकल्प लेते समय मंत्र का उच्चारण करें।
वहीं पूजा के दौरान माता का विग्रह सजाकर उसमें माता की प्रतिमा की स्थापना ( lakshmi panchami poojan ) की जाती है। श्री लक्ष्मी ( laxmi temple ) को पंचामृत से स्नान कराएं फिर उनका विभिन्न प्रकार से पूजन करें, इस दौरान सोने, तांबे या फिर चांदी से मां लक्ष्मी जी की कमल के फूल सहित पूजा करेें।
पूजा सामग्री में अनाज, हल्दी, गुड़, अदरक आदि मां को अर्पित करने चाहिए। वहीं सामर्थ्य के अनुसार कमल के फूल, घी, बेल के टुकड़े इत्यादि से हवन भी करवा सकते हैं। इसके अलावा पूजन सामग्री में चन्दन, ताल, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल तथा नाना प्रकार के भोग रखे जाते हैं। इसके बाद व्रत करने वाले उपवासक द्वारा ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है और दान- दक्षिणा दी जाती है व इस प्रकार यह व्रत पूरा होता है।
मान्यता है कि जो भी भक्त इस व्रत को करता है, उसे अष्ट लक्ष्मी ( Lakshmi puja ) की प्राप्ति होती है। ध्यान रखें इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। केवल फल, दूध, मिठाई का सेवन किया जा सकता है। समस्त धन संपदा की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी कोमलता की भी प्रतीक हैं, लक्ष्मी परमात्मा की एक शक्ति हैं वह सत, रज और तम रूपा तीन शक्तियों में से एक हैं।
महालक्ष्मी के संबंध में माना जाता है कि यह एक प्रवर्तक शक्ति हैं जीवों में लोभ, आकर्षण, आसक्ति उत्पन्न करती हैं वहीं धन, सम्पत्ति लक्ष्मी का भौतिक रूप है।
लक्ष्मी पंचमी महत्व : Sri Lakshmi Panchami importance
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार जो भी भक्त लक्ष्मी पंचमी ( lakshmi panchami 2021 ) के दिन विधि-विधान से मां की पूजा अर्चना कर उपवास रखता है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वह अपने 21 कुलों के साथ मां लक्ष्मी के लोक में जगह पाता है। इसके अलावा जो स्त्रियां इस दिन व्रत को रखती हैं वह सौभाग्यवती ( benefits of lakshmi panchami ) होती हैं। उनकी संतान भी रूप, गुण व धन से संपन्न होती हैं।
वहीं चैत्र शुक्ल पंचमी की तिथि सात कल्पादि तिथियों में से भी एक मानी जाती है जिस कारण यह दिन और भी सौभाग्यशाली होता है। नवरात्रि ( Navratri ) का पांचवा दिन होने से भी यह देवी मां की पूजा का ही दिन होता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नव वर्ष का आरंभ होता है और कहा जाता है कि नव वर्ष के आरंभ में ही मां लक्ष्मी ( Laxmi puja ) की पूजा करने से पूरे वर्ष मां लक्ष्मी मेहरबान रहती हैं।
लक्ष्मी पंचमी व्रत कथा : Sri Laxmi Panchami mythological story
पौराणिक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी एक बार देवताओं से रूठ गई और सागर में जा मिली। मां लक्ष्मी के चले जाने से देवता मां लक्ष्मी यानि श्री विहीन हो गये। तब देवराज इंद्र ने मां लक्ष्मी को पुन: प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या कि व विशेष विधि विधान से उपवास रखा।
उनका अनुसरण करते हुए अन्य देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा, देवताओं की तरह असुरों ने भी मां लक्ष्मी की उपासना की। अपने भक्तों की पुकार मां ने सुनी और वे व्रत समाप्ति के बाद पुन: उत्पन्न हुई, जिसके बाद भगवान श्री विष्णु ( Lord vishnu ) से उनका विवाह हुआ और देवता फिर से श्री की कृपा पाकर धन्य हुए। मान्यता है कि यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि ( chaitra lakshmi panchami ) थी। इसी कारण इस तिथि को लक्ष्मी पंचमी ( lakshmi panchami ) के व्रत के रूप में मनाया जाने लगा।
लक्ष्मी पंचमी: लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti) :-
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो , ताँहि में हैं सद् गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता ।
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ।।
ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ।।
source https://www.patrika.com/festivals/lakshmi-panchami-2021-17-april-aarti-mantra-puja-vidhi-6800533/