जयपुर। 17 अप्रैल को चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी है। आज नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है, साथ ही इस दिन श्री लक्ष्मी पंचमी व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मीजी की विधिविधान से पूजा—अर्चना से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
शास्त्रों के अनुसार धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भक्तों को इस दिन व्रत रखकर रात्रि में माता लक्ष्मी का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। देवी लक्ष्मी की पूजा से दरिद्रता दूर होती है। जीवन में धन की कमी हो, आर्थिक तंगी से परेशान हों तो इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष मंत्र उपासना से लाभ अवश्य मिलता है।
इससे नौकरी या व्यवसाय में सफलता भी प्राप्त होती है। पंडित सोेमेश परसाई बताते हैं कि श्रीपंचमी के दिन देवी के स्तोत्रों जैसे कनकधारा, लक्ष्मी और लक्ष्मीसूक्त का पाठ करना चाहिए। मान्यता है, लक्ष्मी पंचमी पर की गई आराधना लक्ष्मी का स्थायित्व प्रदान करती है। इस दिन की गयी माता लक्ष्मी की आराधना कभी निष्फल नहीं होती।
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