ग्वालियर। डाइ अमोनिया फस्फेट (डीएपी) खाद पर सब्सिडी के लिए धरने पर बैठे किसानों के कारण ये राहत दी गई है। इस पर केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (union agriculture minister narendra singh tomar) ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसान आंदोलन से इसका कोई लेना-देना नहीं है। किसान तो बिल वापस लेने के आंदोलन कर रहे हैं।
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उन्होंने एक बार भी फर्टिलाइजर और किसान के खातों में राशि डालने के बारे में बात नहीं की है। डीएपी पर सब्सिडी देना तो प्रधानमंत्री मोदी का अपना फैसला है जो किसानों के हित में लिया गया है।
ग्वालियर प्रवास के दौरान मीडिया चर्चा करते हुए खाद पर सब्सिडी मामले पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, मोदी सरकार किसानों के हितों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
पहले पीएम किसान सम्मान निधि किसानों के खाते में डाली गई और जब फर्टिलाइजर के अंतरराष्ट्रीय दाम बढ़े तो बैठक बुलाकर सुनिश्चित किया गया कि किसानों पर इसका भार ना पड़े। पहले डीएपी का बैग की कीमत 1700 थी और केंद्र सरकार 500 रुपए सब्सिडी देती थी इसलिए किसान को 1200 रुपए का मिलता था।
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उन्होंने बताया, अंतरराष्ट्रीय कीमत बढऩे से डीएपी के बैग की कीमत 2400 रुपए हो गई थी, एक डीएपी बैग की कीमत 2400 रुपए होने से किसान के लिए मुश्किल होती इसलिए एक डीएपी बैग पर 1200 रुपए सब्सिडी कर दी गई अब डीएपी का एक बैग किसान को 1200 रुपए का ही मिलेगा। इससे केन्द्र सरकार पर इस सीजन में 15 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
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मंत्री तोमर ने कहा, किसान आंदोलन करने वाले नेताओं से कहना चाहता हूं, वह किसानों की नुमाइंदगी करें, लेकिन कोविड की गाइड लाइन में प्रोटोकॉल का पालन करें, किसानों की जान को जोखिम में नहीं डाले और किसान नेता आंदोलन को खत्म करें। जो भी मांगें है उसका प्रस्ताव लेकर सरकार के पास आए हम बात करने के लिए तैयार है।
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