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गुरुवार, 13 मई 2021

वैक्सीन की दूसरी डोज बड़ी चुनौती

देश में आम लोगों को कोविड वैक्सीन की डोज उपलब्ध कराना चुनौती बनता जा रहा है। वैक्सीन सेंटरों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। 18 साल से ज्यादा और 45 साल से कम उम्र के लोगों को वैक्सीन फिलहाल मुश्किल से मिल पा रही है, लेकिन इन सबके बीच में उन लोगों के लिए भी मुश्किल खड़ी होने लगी है, जिनको कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज दी जानी है। मई महीने में वैक्सीन की दूसरी खुराक के तौर पर करीब 7.3 करोड़ वैक्सीन की जरूरत होगी। देश में वैक्सीन का क्षमता से कम उत्पादन होने के कारण बड़ी मुश्किल खड़ी हो रही है। राज्यों के पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की उपलब्धता नहीं है। ऐसे में सवाल यही है कि आखिर लोगों को कैसे दूसरी डोज उपलब्ध होगी और देश में कैसे तेजी के साथ कोविड के विरुद्ध टीकाकरण अभियान आगे बढ़ेगा।

सरकार भी दूसरी डोज को लेकर चिंतित है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राज्य अपने हिस्से की खुराक में से 70 फीसदी हिस्सा दूसरी खुराक लेने वाले लोगों के लिए आरक्षित रखेंगे, जबकि 30 फीसदी में से ही पहली डोज उपलब्ध कराएंगे। अगर ऐसा नहीं करेंगे, तो उन राज्यों को अगली खेप की वैक्सीन नहीं दी जाएगी। हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही अपने यहां पर 18 से ज्यादा और 45 से कम उम्र के लोगों का टीकाकरण बंद करने का ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि राज्य में 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों का टीकाकरण जारी रहेगा और दूसरी डोज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इस बीच में राज्यों में ग्लोबल टेंडर के जरिए वैक्सीन की ज्यादा से ज्यादा डोज जुटाने की होड़ भी शुरू हो गई है।

हालांकि मुश्किल हालात में यह निर्णय सही या गलत के तराजू पर नहीं तोला जा सकता है, लेकिन केंद्र सरकार को इस पर विचार जरूर करना चाहिए। आखिर इस मुश्किल वक्त में राज्यों के बीच ही प्रतिस्पर्धा होना शायद सही कदम नहीं होगा। हालांकि इसके साथ ही सरकार को दूसरी डोज के लिए पर्याप्त इंतजामों के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि अगर कोई एक भी व्यक्ति दूसरी डोज लेने से चूक गया, तो यह केवल उस व्यक्ति का ही नहीं, बल्कि देश का बड़ा नुकसान है। उस व्यक्ति की पहली खुराक बेकार चली जाएगी। ऐसे में टीकाकरण का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। इस मुश्किल वक्त में हम सबको मिलकर कोरोना की इस चुनौती से लडऩा होगा। इसके लिए आपसी पूर्वाग्रह छोडऩे और एक मंच पर खड़े होकर प्रयास करने की जरूरत है।