राजस्थान का शेयर खत्म, अब प्रकृति से आस
-बांधों के जल ग्रहण क्षेत्रों में बर्फ पिघलने तथा बरसात होने पर ही मरु प्रदेश को राहत मिलने के आसार
-बिन पानी बिजाई कार्य प्रभावित होने की आशंका
पुरुषोत्तम झा. हनुमानगढ़. राजस्थान के दस जिलों की प्यास बुझाने वाली इंदिरागांधी नहर में अगले माह सिंचाई पानी चलेगा या नहीं, इस पर अब तक संशय बना हुआ है। बांधों के जल स्तर को देखेंगे तो यह लगातार नीचे की तरफ जा रहे हैं। शेयर की बात करें तो राजस्थान अपने निर्धारित शेयर से पौंग बांध में ६७००० क्यूसेक अधिक पानी ले चुका है। यानी तस्वीर साफ है कि राजस्थान खुद के निर्धारित हिस्से से अधिक पानी ले चुका है। इस स्थिति में अब सबकी निगाहें बर्फ पिघलने तथा प्री मानसून बरसात पर टिकी हुई है।
वर्तमान में तीनों बांधों का जल स्तर लगातार घटने के कारण बीबीएमबी चैयरमेन अगले माह के शेयर की स्थिति साफ नहीं कर रहे। इस स्थिति में अब सब कुछ बांधों के जल ग्रहण क्षेत्रों में हुई बर्फबारी व प्री मानसून बारिश पर निर्भर करेगा। जून के पहले पखवाड़े तक यदि बर्फ पिघलते हैं तो निश्चित तौर पर यह मरुभूमि के लिए राहत देने वाली होगी। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष औसत रूप से बर्फबारी हुई है। जितनी बर्फबारी हुई है, उसका कुछ हिस्सा भी यदि पिघलकर बांधों में आ जाए तो राजस्थान को काफी राहत मिल सकती है। वहीं प्री मानसून बरसात भी यदि हो जाती है तो इससे भी राजस्थान को काफी राहत मिलने के आसार हैं। सिंचाई पानी मिलने पर ही नहरी क्षेत्रों में खरीफ फसलों की बिजाई समय पर हो सकेगी। अगर मांग के अनुसार सिंचाई पानी नहीं मिला तो क्षेत्र में बिजाई का रकबा कम भी हो सकता है।
हुई थी रिकॉर्ड बर्फबारी
गत वर्ष बांधों के जल ग्रहण क्षेत्रों में अच्छी बर्फबारी हुई थी। बांधों की क्षमता से अधिक पानी के आने की सूचना पर संभावित खतरे को टालने के लिए सुरक्षा दृष्टि से समय पूर्व ही बांधों को खाली कर दिया गया था। हजारों क्यूसेक पानी पाकिस्तान क्षेत्र में प्रवाहित कर दिया था। विभागीय अधिकारियों की मानें तो मई २०२० में बांधों के जल ग्रहण क्षेत्रों में रिकॉर्ड ५८० एमएम मोटाई की बर्फबारी हुई थी। इस बार भी औसत बर्फबारी हुई है।
राजस्थान की मांग पर नजर
जल संसाधन विभाग उत्तर संभाग हनुमानगढ़ कार्यालय के अधिकारियों ने इंदिरागांधी नहर को दस जून के बाद तीन में एक समूह में चलाकर सिंचाई पानी देने की मांग बीबीएमबी से की है। पिछले एक सप्ताह में ड्राइ सीजन में अनुमानित औसत आवक होने के कारण अब सभी बांधों में अधिकाधिक पानी आने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं क्षेत्र के किसान चार में दो समूह में इंदिरागांधी नहर को चलाने की मांग कर रहे हैं। अगर चार में दो समूह में नहरें नहीं चली तो खरीफ फसलों की बिजाई प्रभावित होगी। इंदिरागांधी नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, जैसलमेर, नागौर सहित दस जिलों को जलापूर्ति होती है।
यह है बांधों की स्थिति
१९ मई २०२० को भाखड़ा बांध का जल स्तर १५६६.४० फीट था। वहीं १९ मई २०२१ को इस बांध का जल स्तर घटकर १५१३.२६ फीट ही रह गया है। यही हालात पौंग बांध के हो रहे हैं। पौंग बांध का जल स्तर १९ मई २०२० को १३४९.८२ फीट था। जो १९ मई २०२१ को घटकर महज १३००.२१ फीट रह गया है। भाखड़ा बांध की पूर्ण भराव क्षमता १६८० फीट तथा पौंग बांध की पूर्ण भराव क्षमता वर्तमान में १३९० फीट निर्धारित है।
...फैक्ट फाइल.....
-राजस्थान क्षेत्र में इंदिरागांधी नहर की लंबाई ४४५ किमी है।
-इस नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, चूरू व नागौर सहित प्रदेश के १० जिलों की प्यास बुझ रही है।
-1958 में इंदिरागांधी फीडर का निर्माण शुरू हुआ था।
-पौंग बांध में सर्वाधिक शेयर राजस्थान का करीब ५० प्रतिशत निर्धारित है।
......वर्जन.....
हिस्से से अधिक पानी ले चुके
पौंग बांध में निर्धारित शेयर की तुलना में राजस्थान करीब ६७००० क्यूसेक पानी अधिक ले चुका है। इस स्थिति में आगे दस जून के बाद इंदिरागांधी नहर में रेग्यूलेशन की स्थिति क्या रहेगी, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। बीबीएमबी की आगामी बैठक से पहले आवक की स्थिति सुधरने पर ही राजस्थान को मांग के अनुसार पानी मिलना संभव होगा।
-विनोद मित्तल, मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग हनुमानगढ़
source https://www.patrika.com/hanumangarh-news/rajasthan-s-share-is-over-now-there-is-hope-from-nature-6853976/