
भीलवाड़ा।
एमजीएच के कोविड अस्पताल में भर्ती सैकड़ों मरीजों के परिजनों की रातें आंखों में कट रही है। ऑक्सीजन की चिंता के कारण नींद नहीं आती है। बोझिल माहौल में हमेशा एक डर ही सताता रहता है कि कहीं ऑक्सीजन खत्म न हो जाएं। परिजन बार-बार मरीज के ऑक्सीजन मीटर को देखते रहते हैं। राजस्थान पत्रिका ने एमजीएच के कोविड वार्डो भर्ती मरीज और उनके परिजनों का हाल जाना।
महात्मा गांधी अस्पताल में २०० संक्रमित उपचार ले रहे हैं। उनकी देखभाल के लिए परिजन भी साथ है। मरीज की 24 घंटे देखभाल हो रही है। अधिकांश मरीज गंभीर स्थिति और ऑक्सीजन पर चल रहे हैं। इसके कारण लगातार देखभाल जरूरी भी हो गया है।
सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की चिंता
परिजनों को सबसे अधिक ऑक्सीजन की चिंता रहती है, इसलिए वे सिलेंडर और उसके मीटर पर ध्यान रखते हैं। नर्सिंगकर्मी व चिकित्सक सेचुरेशन के साथ सिलेंडर के प्रेशर पर भी नजर रखते हैं। फिर भी परिजन ऑक्सीजन को लेकर सचेत रहते हैं और तुरंत चिकित्साकर्मी को बता रहे हैं।
संक्रमण के बढ़ते खतरे से भय
कई-कई दिनों से संक्रमण के बीच लगातार बैठै हैं। ऐसे में यह भय भी रहता है कि वे कहीं संक्रमित तो नहीं हो गए। एक-दो परिजनों ने चिंता जताई कि उन्हें स्वाद नहीं आ रहा है, लेकिन और कोई परेशानी नहीं है। ऐसी बातें और चिंताएं यहां परिजनों के बीच आपस में चलती रहती है। हालांकि अस्पताल के बाहर पीपीई किट पहनकर आने-जाने से अन्य लोगों को भी खतरा रहता है। कई लोग तो पीपीई किट को कंटीले तारों पर डाल कर चले जाते है और वापस आकर उसे पहनकर वार्ड में चले जाते है। इससे उन्हें भी संक्रमण का डर रहता है।
बोझिल माहौल में नींद कहां
दिन में तो पता नहीं चलता है, लेकिन रात होते ही माहौल बोझिल हो जाता है। किसी की मौत हो जाने पर माहौल पूरा गमगीन हो जाता है। परिजन की चीख-पुकार भी रात में कई बार सुनाई देती है। लोगों के दम तोडऩे का सिलसिला चलता रहता है। ऐसे में पूरे दिन की थकान के बावजूद कोई चाहकर भी नींद नहीं ले पाता है।
एक युवक ने बताया कि उसकी मां पिछले चार दिन से भर्ती है। रात-दिन मां की देखभाल में बीत जाते हैं। वे बताते हैं कि संक्रमण का डर भी रहता है। लेकिन देखभाल भी उतनी ही जरूरी है। इसके चलते नींद नहीं आती है।
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