अजमेर.
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में कॉपियों के केंद्रीयकृत मूल्यांकन की 'रामपाल Óयोजना पर पानी फिर गया है। साल 2019 में पूरक परीक्षा में शिक्षकों को बुलाकर कॉपियां जंचवाने का प्रयोग हुआ था। इसके बाद 2020 की मुख्य परीक्षाओं में इसकी शुरुआत होनी थी। लेकिन कोरोना संक्रमण और घूसकांड भारी पड़ गया।
विश्वविद्यालय स्नातक और स्नातकोत्तर विषयों के नियमित और प्राइवेट विद्यार्थियों की पूरक और मुख्य परीक्षा कराता है। परीक्षा के बाद कॉपियों के सीलबंद बंडल विश्वविद्यालय पहुंचाए जाते हैं। यहां से गोपनीय-परीक्षा विभाग इन्हें परीक्षकों को जांचने भेजते हैं। परीक्षक जांच के बाद कॉपियां और गोपनीय लिफाफे में अवार्ड लिस्ट भेजते हैं। इससे कॉपियों की जांच, परिणाम तैयारी में देरी होती है।
यह थी केंद्रीयकृत मूल्यांकन योजना
बीते साल 12 फरवरी को शिक्षकों की बैठक हुई थी। घूसकांड में निलंबित रामपालसिंह ने पूरक परीक्षाओं की तर्ज पर मुख्य कॉपियों को केंद्रीयकृत मूल्यांकन कराने को कहा था। माइक्रोबायलॉजी की प्रो. मोनिका भटनागर को इसकी जिम्मेदारी दी गई। लेकिन मार्च में कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते विवि को परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी।
कोरोना ने रोके कदम
कोरोना संक्रमण के चलते सरकार और यूजीसी ने प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने के आदेश दिए। केवल तृतीय वर्ष और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं गई। विवि ने परम्परागत ढंग से शिक्षकों को बंडल भेजकर कॉपियां जंचवाई। शिक्षकों को कैंपस में बुलाने से परहेज किया गया। इस साल भी कोरोना संक्रमण के चलते हालात खराब हैं। परीक्षा फार्म नहीं भरवाने और परीक्षाएं स्थगित होने से स्थिति सामान्य नहीं है। विश्वविद्यालय को शिक्षकों के पास बंडल भेजकर कॉपियां जंचवाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
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