बूंदी : पिछले साल बाढ़ के हालात झेल चुके शहर की महावीर कॉलोनी, बहादुरसिंह सर्किल, शास्त्री नगर, जवाहर कॉलोनी, न्यू कॉलोनी, गुरुनानक कॉलोनी, रेलवे कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड मालवीय नगर, देवपुरा, पुलिस लाइन इलाका, गणेशबाग, नैनवां रोड,शिव कॉलोनी, अड़िसालसिंह कॉलोनी, मजिस्ट्रेट कॉलोनी, गुलाबविहार, केशरीसिंह नगर सरीखी 20-22 कॉलोनियों के 25 हजार से ज्यादा लोगों की सांसें फिर अटकने लगी हैं, क्याेंकि पिछले साल आसमानी आफत टूटी थी। वो 28 जुलाई की रात थी।
6 घंटे में साढ़े 10 इंच पानी गिरा। आधा शहर टापू बन गया। हजारों लोगों ने कई दिन तक रतजगा किया। घर-गलियों, सड़कों पर घुटनों तक पानी, तैरते बर्तन, बिस्तर, अनाज। घरों में कैद, भूख से बिलखते बच्चे। करोड़ों का कारोबार ठप। इन मुसीबतों की जड़ जैतसागर नाला था। दोष नाले का नहीं था। लोगों ने 72 फीट चौड़े और 40 फीट तक गहरे नाले पर अतिक्रमण कर नाली बना दिया था। पूरे नाले की सफाई तक नहीं की गई। नाले की चौड़ाई-गहराई 5 से 10 फीट रह गई। आखिर पानी कहां जाता।
फिर आंदोलन हुए, जनदबाव में नगरपरिषद ने नाले पर अतिक्रमण का सर्वे कर 125 मकान चिह्नित किए, जो नाले पर बने थे, नोटिस दिए, पर कुछ नहीं हुआ। मानसून फिर सिर पर है। वर्ष में एक बार भी नाले की सफाई नहीं करवाई। जैतसागर नाले को चौड़ा-पक्का करने के लिए 3-3 बार एस्टीमेट बने, पर होता कुछ नहीं। सबसे पहले 1985, फिर वर्ष 2012-13 में सभापति सदाकत अली के कार्यकाल में, फिर वर्तमान बोर्ड के कार्यकाल में एस्टीमेट बने, पर हुआ कुछ नहीं।
नाले पर कहां, कितने अतिक्रमण
जनआंदोलन के बाद पिछले साल नाले के सर्वे में महावीर कॉलोनी में नाले पर 26, शास्त्रीनगर में 22, गणेशबाग में 20, गुलाबविहार कॉलोनी में 18, मानसरोवर में 12, सूर्यमल्ल कॉलोनी में 4, पोल्ट्रीफॉर्म के पास तीन अतिक्रमण मिले थे। रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाले की चौड़ाई अलग-अलग जगह अलग-अलग है। जैतसागर के पास नाले की रिकॉर्ड में चौड़ाई 72 फीट है, अभी भी उतनी ही है। इसके आगे पोल्ट्री फार्म के पास 50 फीट की जगह 20, मीराबाग पुलिया के पास 25 की जगह 20 फीट, महावीर कॉलोनी जमातखाना के पास 30 फीट की जगह 15 तो कहीं 20 फीट, महावीर नगर पुलिया के पास 93 फीट की जगह 33 फीट, शास्त्रीनगर के पास 50 फीट की जगह 12 से 30 फीट, नैनवां रोड पुलिया के पास 50 फीट पूरा है।
मानसरोवर कॉलोनी में 50 की जगह 30, बीबनवा रोड पुलिया गुलाबविहार के पास 50 की जगह 18 से 20 फीट, तहसील तक 50 फीट की जगह 27 फीट चौड़ा रह गया है।
कोई सबक, कोई तैयारी नहीं
अतिवृष्टि-बाढ़ से निबटने की कोई तैयारी नहीं है। नगरपरिषद के पास जलभराव वाले पाॅइंट चिह्नित नहीं। न बचाव के साधन हैं, न प्लान। 2 खटारा जेसीबी-डंपर, एक डोजर, 3 ट्रैक्टर ट्रॉलियां हैं। हर बार यही जवाब है जैतसागर नाले की सफाई करा रहे हैं। नाले-नालियों की सफाई की फाॅर्मेलिटी हर साल होती है, इस बार भी होगी। कल कलेक्टर ने आपदा प्रबंधन की बैठक लेकर तैयारी करने के निर्देश दिए, पर नगरपरिषद के पास जैतसागर की सफाई कराने और अतिक्रमण हटाने के लिए न पूरे संसाधन है और न दृढ़ इच्छाशक्ति।
छतों पर रहकर बचाई थी जान, आज भी याद है वो मंजर
1. पुलिस लाइन के पास गणेशबाग रोड की मीनाक्षीबाई की सुनिए...पिछले साल की बारिश को भूल नहीं सकते। 4 दिन तक घुटनों तक पानी में घर के 8 जने कैद रहे। बाहर से संपर्क टूट गया था। शहर की गंदगी पानी के साथ घर में आ रही थी। दुर्गंध में रतजगा किया। बरसात के पहले सफाई के नाम पर लीपापोती कर देते हैं। हम यहां रहने लगे थे, तब नाला 25 फीट चौड़ा, 15 से 17 फीट गहरा था। 10 साल में गहराई 3 से 4 फीट रह गई। पानी घरों में घुसता है।
2. शांतिनगर, जवाहर कॉलोनी की अर्चनाकंवर बताती हैं...पिछले साल पूरी कॉलोनी जलमग्न हो गई थी। हम घरों में कैद हो गए थे। खाने-पीने की व्यवस्था नहीं रही। छतों पर रहना पड़ा था। कॉलोनी में सप्ताहभर तक पानी भरा रहा। कई लोग चर्मरोगी हो गए। पैरों की चमड़ी तक गल गई थी। छोटे बच्चों को किस तरह संभाला, हम जानते हैं। तब प्रशासन ने भी खूब वादे किए पर कुछ नहीं हुआ। सारा पानी कॉलोनी में घुस जाता है।
नैनवां रोड निवासी एडवोकेट मोहम्मद मुश्ताक कहते हैं...नाला गंदगी से अटा पड़ा है। उसमें कचरे के पहाड़ खड़े हैं। पिछले वर्ष महावीर कॉलोनी में बाढ़ के हालात हो गए थे, फिर भी नगर परिषद ने सुध नहीं ली। नाला गंदगी से अटा है। नाला जाम होने से महावीर कॉलोनी, शास्त्री कॉलोनी, जवाहर कॉलोनी, बाबा दरेशाह के चौक में पानी भर जाता है। दुकानदार कलेक्टर, आयुक्त, सभापति, पार्षद को कई बार कह चुके। कोई भी जायजा लेने नहीं आया।
3. जवाहर कॉलोनी के राजू गुर्जर बताते हैं...पिछले साल की बारिश में तीन-चार दिन तक घरों में पानी रहा। 10 सदस्य ऊपर की मंजिल पर रहे। बच्चों की हालत बुरी थी, न दूध-न बिस्किट। घरों में 4 दिन तक चूल्हे नहीं जले। पानी भरे रहने से दरारें आ गई थी। अतिक्रमण मुक्त नाले के लिए आंदोलन चलाया। दबाव में नगर परिषद ने नाले का नाप, जीपीएस सर्वे कराया। कलेक्टर, आयुक्त से मिले, कुछ नहीं हुआ। फिर मानसून की चिंता सताने लगी है।
शहर और दो झीलों का पानी समेटता है नाला
बरसात में ओवरफ्लो के हालात में जैतसागर-नवलसागर झीलों के गेट खोलने पड़ते हैं। नवल झील का पानी सदर बाजार होकर मीरागेट की तरफ-जैतसागर का पानी मीरा का बाग होकर गुजरता है। मीरागेट के पास से नवलसागर का पानी जैतसागर के नाले में मिलता है। यहां से एक नाला बनकर महावीर कॉलोनी, पुलिस लाइन गणेशबाग, तहसील होकर 10 किमी आगे मांगली नदी में मिलता है। पहले बिना अड़चन पूरा पानी नाले से गुजर जाता था, तब शहर सुरक्षित रहता था।
15 जून तक जैतसागर नाले की सफाई होगी
^ नालों की सफाई का काम चल रहा है। 15 जून तक जैतसागर नाले की सफाई भी करा दी जाएगी। पिछली बार जैसी स्थिति आई तो लोगों के लिए व्यवस्थाएं करेंगे।
अरुणेश शर्मा, कार्यवाहक आयुक्त, नगपरिषद