जयपुर : प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन के कारण 80 फीसदी उद्योग दो महीने से बंद है, इसके बावजूद सरकारी बिजली कंपनियों ने नवंबर, दिसबंर, जनवरी फरवरी व मार्च में प्रोडक्शन के दौरान के बिजली उपभोग का औसत निकाल कर फैक्ट्रियों को 1560 करोड़ रुपए के बिल थमा दिया। जबकि उनके मीटर में रीडिंग ही नहीं आई है। अब जून के पहले व दूसरे सप्ताह से इन उद्योगों पर बिल जमा नहीं करवाने का आरोप लगाते हुए नोटिस थमाने की तैयारी है। इसके बाद मध्य जून से कनेक्शन काटने की कार्यवाही की जाएगी। जबकि सरकार ने उद्योगों को स्थायी शुल्क स्थगित कर रखा है। उद्योगपतियों की दलील है कि बिना रीडिंग का बिल भुगतान नहीं हो सकता है तथा स्थायी शुल्क में छूट भी मिले।
हालांंकि अभी तक उद्योगपतियों ने केवल 754 करोड़ यानि 50 फीसदी राशि ही जमा की है।
रीडिंग की फोटो भेजी, उनको सही बिल बाकी औसत बिजली कंपनियों ने लॉकडाउन में उपभोक्ताओं से मीटर रीडिंग की फोटो भेजने पर 50 रुपए छूट की स्कीम चलाई थी। ताकि औसत के बजाए वास्तविक रीडिंग का बिल दे सके। ज्यादातर उद्योगपतियों ने रीडिंग की फोटो भेज दी थी, ऐसे में सही बिल दिया है। जिन उद्योगपतियों ने फैक्ट्री बंद रखी, उन्हें औसत से बिल चार्ज किया है। 15 जून के बाद कटेंगे कनेक्शन बिजली कंपनियों ने लॉकडाउन के दौरान बिजली बिल जमा नहीं करवाने वाले उद्योगों की लिस्ट बनाना शुरु कर दिया है। इन उपभोक्ताओं को जून के पहले सप्ताह तक नए बिल व नोटिस दिए जाएंगे। इसके बाद भी बिल जमा नहीं होने पर 15 जून से बिजली कनेक्शन काटने की प्रक्रिया शुरु होगी। हालांकि कई उद्योगों की ओर से लोड कम करने का आवेदन किया हुआ है, लेकिन उन्हें भी पहले बकाया बिल जमा करवाना होगा। सरकारी बिजली कंपनियों का औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं का लॉकडाउन से पहले मार्च तक 642 करोड़ रुपए बकाया है। लॉकडाउन से पहले इन उपभोक्ताओं को नोटिस भी दिया था। लेकिन बाद में सरकार ने कनेक्शन काटने से मना कर दिया, तो उद्योगपतियों ने बकाया राशि बी जमा नहीं करवाई। सबसे ज्यादा जोधपुर डिस्कॉम के औद्योगिक उपभोक्ताओं पर 293 करोड़ रुपए बकाया है।