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शुक्रवार, 29 मई 2020

बीकानेर में क्ले-जिप्सम-बजरी के रायल्टी ठेके नहीं हाेने से प्रतिमाह कराेड़ाें रुपए का नुकसान, ‘सरकार’ बेपरवाह

बीकानेर में क्ले-जिप्सम-बजरी के रायल्टी ठेके नहीं हाेने से प्रतिमाह कराेड़ाें रुपए का नुकसान, ‘सरकार’ बेपरवाह
बीकानेर : जिले में क्ले, जिप्सम और बजरी की रायल्टी वसूली के ठेके नहीं हाेने के कारण सरकार काे प्रतिमाह कराेड़ाे रुपए का नुकसान हाे रहा है। खान विभाग के अधिकारी राजस्व जुटाने की चिंता करने के बजाय आपसी खींचतान और मीन-मेख निकालने में जुटे हैं।
बीकानेर जिले में खान एवं भूविज्ञान विभाग की ओर से क्ले, जिप्सम और बजरी की रायल्टी वसूली का काम ठेके पर दिया जाता है जिससे सरकार काे प्रतिवर्ष करीब 150 कराेड़ रुपए की आय हाेती है। वर्तमान में अधिकारियाें की आपसी खींचतान, अव्यावहारिक निर्णय और उसकी वजह से मामले काेर्ट तक जाने के कारण एक भी रायल्टी अस्तित्व में नहीं आ पाया है। इससे सरकार काे ताे प्रतिमाह कराेड़ाें रुपए का नुकसान हाे ही रहा है, कामकाज भी ठप है और लाेग राेजगार से वंचित हैं।
इसके बावजूद अधिकारियाें काे परवाह नहीं और सरकार बेखबर है। अधिकारी पू्र्व में दिए गए ठेकाें में सवाल खड़ा कर एक-दूसरे से पत्राचार में उलझे हैं। कई बार निविदा जारी करने के बाद जिप्सम की रायल्टी वसूली का ठेका 44.81 कराेड़ रुपए में हुआ था जिसे स्वीकृत करने में निदेशालय स्तर पर देरी की गई।
बाद में लाॅकडाउन के कारण एग्रीमेंट नहीं हाे पाया और फिर संबंधित फर्म पर 9 प्रतिशत की पैनल्टी ठाेंकने के कारण उसने हाथ पीछे खींच लिए। ‘भास्कर’ ने सरकारी कमाई के बड़े स्राेत तीनाें रायल्टी ठेकाें के हालाताें की पड़ताल की और पूरी जानकारी जुटाई।
क्ले :
खनिज बाल क्ले, फायर क्ले, चाइना क्ले, रेड ओकर, येलाे ओकर, सिलिका सेंड पर अधिक अधिशुल्क और डीएमएफटी वसूली के लिए 9 मई, 19 से 31 मार्च, 21 तक के लिए 39 कराेड़ 48 लाख 32,898 रुपए वार्षिक में ठेका स्वीकृत किया गया था।
बाद में ठेकेदार की ओर से बकाया राशि जमा नहीं करवाने पर 24 फरवरी, 20 काे ठेका निरस्त कर दिया गया। ठेकेदार ने इसके खिलाफ जाेधपुर हाईकाेर्ट में याचिका लगा दी जिस पर 16 अप्रैल काे सुनवाई हाेनी थी। लेकिन, लाॅकडाउन के कारण सुनवाई नहीं हाे पाई और अब काेर्ट आगामी तारीख लिस्टेड करेगा। निर्णय हाेने तक दूसरे ठेके के लिए निविदा जारी नहीं की जा सकती।
बजरी :
बीकानेर तहसील (शहरी सीमा काे छाेड़कर), काेलायत, नाेखा और लूणकरणसर की राजस्व सीमा क्ले की खानाें से ओवरबर्डन के रूप में निकलने वाली बजरी, कंकर, ग्रेवल और बजरी के स्वीकृत खनन पट्टाें से निकलने वाली बजरी का अधिक अधिशुल्क और डीएमएफटी व परमिट फीस वसूलने का ठेका एक अप्रैल, 18 से 31 मई, 20 तक के लिए मैसर्स सांगियाराय काे प्रतिवर्ष 54 कराेड़ एक लाख 51 हजार रुपए में दिया गया था। बाद में 29 नवंबर, 19 काे इसे संशाेाधित कर 43 कराेड़ 20 लाख 38750 रुपए कर दिया गया। इसकी अवधि 31 मार्च, 20 काे खत्म हाे गई।
फर्म की ओर से 25 नवंबर, 19 काे संशाेधित ठेका राशि और ठेका अवधि में संशाेधन करने के संबंध में खान मंत्री काे प्रतिवेदन दिया और जाेधपुर हाई काेर्ट में वाद दायर किया। हाई काेर्ट ने 20 फरवरी काे प्रतिवेदन का निस्तारण करने के निर्देश दिए।
इस बीच फर्म की ओर से 31 मार्च काे ठेका अवधि में बढ़ाेतरी के लिए आवेदन किया। तीन अप्रैल काे निदेशालय ने आवेदन काे उचित नहीं माना। दूसरी ओर, ठेका राशि संशाेधित किए जाने और नए ठेके की आरक्षित राशि तय करने के लिए अधिकारियाें में एकराय नहीं बन पा रही है और आपसी खींचतान चल रही है।
जिप्सम :
खनन पट्टाें और भूमि सुधार के लिए जारी परिमट से निर्गमित जिप्सम के अधिशुल्क, प्रीमियम फीस, डीएमएफटी वसूली का ठेका देने के लिए 20 दिसंबर, 19 से निविदा जारी की गई। मैसर्स श्रीकृष्णा ट्रेडिंग कंपनी की सर्वाधिक बाेली पर 44 कराेड़ 81 लाख रुपए में ठेका हुआ। खनि अभियंता ने 31 दिसंबर, 19 काे स्वीकृति के लिए प्रस्ताव निदेशालय भेज दिए। निदेशक ने सचिवालय से अनुमति मांगी कि ठेका दिया जाए या नहीं।
करीब तीन महीने तक राेकने के बाद निदेशालय स्तर पर 20 मार्च, 20 काे स्वीकृति जारी कर दी गई। 15 दिन में एग्रीमेंट हाेना था, लेकिन काेविड 19 महामारी के कारण लाॅकडाउन हाे गया। बाद में आदेश जारी हुए कि ठेकेदार से वार्षिक राशि का 9 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से पैनल्टी वसूल की जाए जिसकी वजह से ठेका अटक गया।
सरकार के मंत्री और काेलायत विधायक भंवरसिंह भाटी से बातचीत
Q| रायल्टी ठेके नहीं हाेने से सरकार काे प्रतिमाह कराेड़ाें रु. का नुकसान हाे रहा है। क्या कहेंगे?
A| इस संबंध में खान मंत्री से बात कर अवगत करवाएंगे। उन्हें और खान निदेशक काे शीघ्र ही रायल्टी ठेकाें की प्रक्रिया पूरी करने के लिए पत्र लिख जाएगा।
Q| काेलायत में खनन कार्य ठप है। कैसे पटरी पर आएगा?
A| खनन कार्य शुरू करवाए जाएंगे। व्यवसायियाें से बात कर परेशानियां दूर करेंगे। नए पट्टे देने के काम में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा।
Q| लंबे समय से खनि अभियंता ही नहीं है। ऐसा क्याें?
A| 150 कराेड़ रु. से ज्यादा राजस्व वाले बीकानेर जिले के लिए एमई हाेना जरूरी है। इसके लिए खान मंत्री से बात की जाएगी।
  • बीकानेर में रायल्टी ठेके नहीं हाेने से राजस्व का बड़ा नुकसान हाे रहा है। निदेशालय स्तर पर निर्णय लिया जाना है। उनके निर्देशानुसार प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। - एन. के. बैरवा, एसएमई बीकानेर वृत्त