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शुक्रवार, 29 मई 2020

कोविड संदिग्ध वार्ड में तड़पता रहा युवक; दूसरा मरीज वीडियाे बनाता रहा, समय पर किसी काे बुला लेता ताे बच जाती जान

कोविड संदिग्ध वार्ड में तड़पता रहा युवक; दूसरा मरीज वीडियाे बनाता रहा, समय पर किसी काे बुला लेता ताे बच जाती जान
कोटा : काेराेना आउटब्रेक के बीच अस्पतालाें से लापरवाही की भी खबरें आरही हैं। नाॅन काेविड मरीजाें काे ताे काेई पूछ ही नहीं रहा, लेकिन अब काेराेना वार्ड में भी मरीजाें की दुर्गति हाे रही है। नए अस्पताल के काेराेना संदिग्ध मरीजाें के वार्ड से ऐसा ही केस सामने आया है। यहां भर्ती एक मरीज की वार्ड में ही तड़प-तड़पकर माैत हाे गई, लेकिन ड्यूटी पर तैनात स्टाफ काे पता तक नहीं चला। हाॅस्पिटल प्रशासन ने मृतक का शव परिजनाें काे साैंप भी दिया। इस मामले का सबसे दर्दनाक पहलू ये रहा कि सामने के बेड पर भर्ती मरीज स्टाफ काे सूचना देने की बजाए, वीडियाे बनाता रहा। यदि वाे समय पर स्टाफ काे सूचित कर देता ताे युवक की जान बच सकती थी।
कैथून निवासी लालचंद मालव (40) को 21 मई काे नए अस्पताल के काेराेना संदिग्ध वार्ड में एडमिट कराया गया था। लालचंद को सांस में तकलीफ हुई तो परिजनाें ने से ईएसआई हॉस्पिटल में दिखाया, जहां से कोरोना जांच व चेस्ट एक्सरे के लिए नए अस्पताल रैफर कर दिया। वहां उसे काेराेना संदिग्ध के वार्ड में भर्ती कर लिया गया। 23 मई काे देर रात करीब 3 बजे उसकी तबीयत खराब हाे गई। तड़पते हुए वाे बेड से नीचे गिर गया। संदिग्ध मरीजाें के वार्ड में ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग स्टाफ काे भनक तक नहीं लगी और उसने वहीं दम तोड़ दिया। इस दौरान वहां मौजूद किसी मरीज ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना लिया। वीडियो वायरल हुआ तो मृतक के परिजनों ने महावीर नगर थाने में शिकायत दी है।
मृतक का भाई बोला- कोरोना रिपोर्ट के इंतजार में 6 घंटे रोककर रखा शव
मृतक के भाई सुरेश मालव ने बताया कि हमने 21 मई को लालचंद को एडमिट कराया तो स्टाफ ने कहा कि यहां मरीज के साथ कोई नहीं रहता तो हम वापस गांव चले गए। अगले दिन हम खाना भी देकर आए और 23 मई की रात को भी उससे बात हुई, तब तक वह स्वस्थ था। हम 3 दिन यह जानने का प्रयास करते रहे कि उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट का क्या हुआ? लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। 24 मई की सुबह हमारे पास अस्पताल से कॉल आया कि आपके भाई की डेथ हो गई, डेड बॉडी गेट नंबर-4 से ले जाना। हम सुबह 6 बजे नए अस्पताल पहुंच गए। डेड बॉडी देने की बात आई तो पता चला कि रात में ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ ने पर्चे पर यह नहीं लिखा कि मरीज की कोरोना रिपोर्ट का स्टेटस क्या था? जबकि उसकी रिपोर्ट एक दिन पहले ही निगेटिव आ चुकी थी। ऐसे में 6 घंटे तक अस्पताल में ही बैठे रहे और दोपहर 12 बजे हमेंडेड बॉडी दी गई, जबकि उसकी मौत तड़के 3 बजे ही हो गई थी।
इस पूरे प्रकरण पर उठ रहे हैं 2 बड़े सवाल
नाइट ड्यूटी स्टाफ कहां था : प्रत्येक वार्ड में राउंड द क्लॉक ड्यूटी स्टाफ लगाया हुआ है। यह घटनाक्रम तड़के 3 बजे का है, इस वक्त नाइट ड्यूटी स्टाफ होगा, लेकिन वह कहां था और क्या कर रहा था?
वीडियो ज्यादा अहम था या जान बचाना: आंखों के सामने एक व्यक्ति तड़पकर मर रहा हो तो वीडियो बनाने से ज्यादा अहम है उसकी जान बचाना, जिसने भी वीडियो बनाया, क्या उसे स्टाफ को नहीं बुलाना चाहिए था?
इस वीडियो के बारे में जैसे ही जानकारी मिली तो हमने संबंधित वार्ड में ड्यूटी पर मौजूद नर्सिंग कर्मचारी ओमप्रकाश से जवाब मांगा था। उसने बताया कि मैं वार्ड में ही था और जैसे ही मरीज गिरा तो मुझे पता लगा और दौड़कर वहां गया। इसके बाद मरीज को बेड पर लेटाया और करीब ढाई बजे डॉक्टर को कॉल भेजी, जीरियाट्रिक्स क्लीनिक में मौजूद रेजीडेंट ने आकर मरीज को मृत घोषित कर दिया। इस मरीज को टीबी थी और दौरे भी आ रहे थे। किसी तरह की लापरवाही की बात गलत है। उसके इलाज में लापरवाही नहीं रही। अब यदि मरीज को दौरे आ रहे हैं तो उनमें ऐसी दिक्कतें हो सकती हैं। -डॉ. सीएस सुशील, अधीक्षक, नया अस्पताल