कोटा,आर्मी एरिया की अर्जुन विहार कॉलोनी में दो मासूम भांजों का गला रेतने की वारदात से पूरा शहर हैरान है। सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर कोई मामा इतना निर्दयी कैसे हो गया कि उसने अपने 2 साल और 5 साल के भांजों का गला रेतकर डाला। आखिर गौरव के मन में ऐसी क्या उथल-फुथल मची हुई थी, जिससे वह इतना निर्दयी हाे गया। इसके पीछे की हकीकत जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर दोनों मासूमों के पिता और सिपाही नीरज सिंह तक पहुंचा और उनसे बातचीत की।
गौरतलब है कि भीमगंजमंडी थाना क्षेत्र स्थित आर्मी एरिया की अर्जुन विहार कॉलोनी में मामा ने अपने दो मासूम भांजों (5 व 2 साल) का चाकू से गला रेत दिया। मामा सिर्फ इसलिए गुस्से में था क्योंकि दोनों भांजों के पिता यानी उसके जीजा ने उसे 30 हजार रुपए देने से इनकार कर दिया था। मासूमों को समय रहते अस्पताल पहुंचा दिया गया, जिससे उनकी जान बचा गई। वारदात के बाद आरोपी भागने में नाकाम रहा तो खुदकुशी की कोशिश की। आर्मी के जवानों ने कमरे का दरवाजा तोड़कर उसे बचा लिया। बच्चों को आर्मी हॉस्पिटल और मामा को एमबीएस में भर्ती करवाया। पढ़िए, दर्दभरी कहानी घायल बच्चों के पिता नीरज सिंह की जुबानी।
मैंने 10 हजार दिए, लेकिन वह 30 हजार मांग रहा था : नीरज
ने लॉकडाउन के पहले चंड़ीगढ़ से एक कार खरीदी थी, लेकिन मुझे कार सही तरीके से चलानी नहीं आती। मेरा साला गौरव दिल्ली में कैब चलाता था, तो मैंने उससे कहा कि वो मेरी कार लेकर कोटा चले। मन में सोचा कि कोटा में गौरव कुछ दिन हमारे पास रह लेगा तो वो बच्चों व बहन से भी मिल लेगा और मैं उससे कार चलाना भी सीख जाऊंगा। गौरव (25) अपने दोनों भांजों व मेरे बेटों निकुंज (5) और क्यान (2) से बेहद प्यार करता है। सबकुछ बढ़िया चल रहा था और इसी दौरान लॉकडाउन लग गया।
गौरव मेरे पास कोटा ही रुक गया, क्योंकि कोई ऑप्शन नहीं था। इसी दौरान मुझे पता चला कि वो कुछ परेशान सा रहता है, उस पर बैंक का करीब 3 लाख का लोन है और वो किश्तें नहीं भर पा रहा है। बैंक वाले लगातार प्रेशर बना रहे हैं और अब उन्होंने गौरव के रिश्तेदारों को फोन करना शुरू कर दिया, जिससे उसकी बदनामी हो रही थी। इसके चलते वह अचानक छोटी-मोटी बातों पर गुस्सा करने लगा था। लेकिन, मैं उसे मना करता तो वो मान जाता और शांत हो जाता था।
मतलब वो गुस्सैल तो शुरू से था, लेकिन थोड़ा बहुत गुस्सा करता था। हां, वो कभी बच्चों से गुस्सा नहीं होता था। मैं उसकी हमेशा उसी तरह हेल्प करता था। उसने मुझसे बैंक लोन के पैसे चुकाने के लिए मदद मांगी थी, मैंने क्योंकि कार खरीदी थी, इसलिए मेरे पास पैसे नहीं थे। लेकिन, मैंने उसे मना नहीं किया और 10 हजार की मदद की थी। वो चाहता था कि 30-40 हजार या इससे ज्यादा की मदद करूं। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि गौरव ऐसा कदम भी उठा सकता है।
दोनों बच्चे खतरे से बाहर, लेकिन गले में गहरे घाव
बेरहम मामा गौरव ने दोनों बालकों का सब्जी काटने के चाकू से ही बच्चों पर वार किया था। बड़े भांजे निकुंज (5) के गले पर 10 सेंटीमीटर तक गहरा घाव है। वहीं, क्यान (2) के गले पर 5 सेंटीमीटर गहरा घाव है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की किस्मत अच्छी थी कि वे बच गए, वरना बच्चों के लिए इतने बड़े घाव के बाद सर्वाइव करना बहुत मुश्किल हाे जाता है। भीमगंजमंडी सीआई हर्षराज सिहं खरेड़ा ने बताया कि वे खुद दोनों बच्चों से मिलकर आए हैं।
दोनों मासूम बच्चे फिलहाल बोल नहीं पा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दोनों बालक अब आउट ऑफ डेंजर हैं और अब धीरे-धीरे यह सही होने लगेंगे। वो भी आउट ऑफ डेंजर है। पुलिस जांच के लिए बालकों व आरोपी दोनों से बात करने की परमिशन पुलिस को फिलहाल मेडिकल डिपार्टमेंट से नहीं मिल पाई है। वहीं, माता-पिता भी सदमे से बाहर नहीं आ सके हैं, इसलिए पुलिस ने शुक्रवार को उनके भी बयान नहीं लिए हैं।
खून के सैंपल लिए, चाकू और कपड़े जब्त किए
सीआई खरेड़ा ने बताया कि शुक्रवार को पुलिस वापस से क्राइम सीन पर गई थी। पुलिस ने नक्शा-मौका बनाने, हथियार बरामद करने, कपड़े बरामद किए। पुलिस ने मौके से सब्जी काटने का चाकू बरामद किया। मौके से खून के सेंपल लिए। वहीं, जिस फंदे से गौरव ने सुसाइड का प्रयास किया, उस कपड़े को भी जब्त किया है। गौरतलब है कि आर्मी के चित्ताैड़ गेट की अर्जुन विहार कॉलोनी निवासी सिपाही नीरज सिंह पत्नी संजना और दो बेटों के साथ रहता है। संजना की बुआ का लड़का गौरव कुमार सिंह कोटा आया हुआ था, जिसने गुरुवार को वारदात की।