जयपुर : कोरोना संक्रमण में बच्चे हाई रिस्क जोन में हैं। जेके लोन में 71 में से 59 बच्चे ऐसे आए जिनमें कोरोना का एक भी लक्षण नहीं था। यानी 84 फीसदी बच्चे बेखबर थे उन्हें भी कोरोना हो सकता है। मेडिकल की भाषा में एसिम्प्टोमेटिक कहा जाता है। डॉक्टरों का कहना है इसका कारण बच्चों में कोरोना को प्रति अधिक इम्यूनिटी और बीसीजी के टीके का असर हो सकता है। वायरल इंफेक्शन भी कॉमन होने के कारण बच्चों में क्रास इम्यूनिटी अधिक होने से लक्षण नहीं सामने आते हैं। इस दिशा में एसएमएस अस्पताल के बच्चों के कोरोना वार्ड में रिसर्च भी किया गया है। डॉक्टरों ने बच्चों में रिपोर्टेड केसेज के मामले में देश में सबसे बड़ी रिसर्च का दावा किया है। इस रिसर्च को विश्व स्तरीय जनरल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित करने के लिए भी भेजा गया है।
जहां चीन और अन्य देशों में संक्रमण की दर 1 से 3 साल की उम्र के बच्चों में ज्यादा मिली थी। जबकि जयपुर में 48 फीसदी बच्चे 10 साल से ज्यादा उम्र के मिले है। जेके लोन अस्पताल के डॉ. योगेश यादव के अनुसार शोध में बच्चों में बुखार के साथ उल्टी-दस्त और पेट दर्द से भी कोरोना हो सकता है। इसके अलावा कुछ बच्चों में बुखार के साथ दौरे एवं सिर दर्द की शिकायत भी 4 फीसदी में मिली है।
कोरोना संक्रमित बच्चों में कुछ ऐसे लक्षण भी सामने आए
पीड़ित बच्चों में लिम्फोसाइट और प्लेटलेट काउंट कम मिले {ऐसे बच्चे भी मिले जिनके लक्षण नहीं थे, पर एक्सरे में निमोनिया मिला ,कुछ को बुखार था पर एक्सरे नॉर्मल निकला। सिम्प्टोमेटिक बच्चों में बुखार व खांसी पर कोरोना पीड़ित कुछ बच्चों में सिम्पटम्स नहीं। 20 दिन के बच्चे को बुखार-दस्त। न तो सांस में दिक्कत ना ही खांसी। पर रिपोर्ट पॉजिविट। तीन अन्य बच्चों में ऐसा ही हुआ। माना जा रहा है कोरोना का संक्रमण पेट के रास्ते से हुआ।
कोरोना वार्ड में भर्ती बच्चों पर रिसर्च में आया है कि 84% बच्चे बिना लक्षण वाले थे। इसलिए छोटे बच्चों को भी ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है।-डॉ.सुधीर भंडारी, प्राचार्य, एसएमएस मेडिकल कॉलेज
बच्चों के मामले में रिपोर्टेड केसेज की रिसर्च की गई है। विश्व स्तरीय जनरल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशन को भेजा है। चीन की तुलना में यहां बिना लक्षणों वाले संक्रमण के बच्चे ज्यादा हैं।-डॉ.अशोक गुप्ता, अधीक्षक, जेके लोन