जयपुर। कोरोना महामारी के संकट के बीच इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आज लगने जा रहा है। तीन घंटे 18 मिनट की अवधि के दौरान यह जयपुर व राजस्थान सहित समूचे भारत तथा एशिया महाद्वीप के सभी देशों में दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह ग्रहण उपच्छायी रहेगा। अर्थात् इसका धार्मिक असर नहीं होगा तथा ग्रहणकाल के दौरान सूतक भी नहीं लगेगा। इस वजह से पूर्णिमा से जुड़े सभी पूजन कार्य किए जा सकेंगे।
ज्योतिषों की मानें तो चंद्र ग्रहण आज रात 11 बजकर 16 मिनट से शुरू होगा तथा देर रात्रि 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। वहीं, 12 बजकर 55 मिनट पर चन्द्रमा पर अधिकतम काली छाया रहने से इस समय में चन्द्रमा सबसे कम प्रकाशमान रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार, चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि तथा ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा।
पंडित सुरेश शास्त्री ने बताया कि उपच्छायी चंद्र ग्रहण के दौरान चन्द्रमा की छवि मलिन हो जाएगी व यह धुंधला दिखाई देगा।
चंद्रमा दिखाई देगा धुंधला
उपच्छायी चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी की उपछाया चंद्रमा पड़ती है, जिससे चंद्रमा का प्रकाश मद्धम पड़ जाता हैए तथा उस पर कालिमा दिखाई देती है। साथ ही इस चंद्र ग्रहण को सामान्य खगोलीय घटना के रूप में ही माना जाएगा। चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है। उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्र ग्रहण नहीं माना जाता है। ज्योतिष में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है।
मंदिरों में बंद नहीं होंगे कपाट
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इसलिए बाकी ग्रहण की तरह इस उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं लगेगा। सूतक काल मान्य ना होने की वजह से मंदिरों के कपाट बंद नहीं किए जाएंगे और ना ही पूजा-पाठ वर्जित होगी। इसलिए इस दिन आप सामान्य दिन की तरह ही सभी काम कर सकते हैं। चंद्र ग्रहण एक खगोलीय स्थिति है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है। जब पृथ्वी सूर्य की किरणों को पूरी तरह से रोक लेती है तो उसे पूर्ण चंद्र ग्रहण कहते हैं लेकिन जब चंद्रमा का सिर्फ एक भाग छिपता है तो उसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहते हैं।