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रविवार, 23 अगस्त 2020

पक्षकारों को मोबाइल पर मिला ओटीपी, सहमति पर हुई वीसी, 1063 मामले राजीनामे से निपटाए

कोरोना के चलते एजुकेशन और खरीदारी के ही तरीके नहीं बदले, लोक अदालत के स्वरूप में भी बदलाव आया है। कोरोना महामारी के कारण पक्षकारों की भीड़ नहीं हो और सोशल डिस्टेंस भी मेंटेन हो, इस उद्देश्य से ऑनलाइन लोक अदालत आयोजित हुई। पहली बार ऑनलाइन के जरिए लोक अदालत में पक्षकारों को सुना और उनके बीच समझाइश की गई।

इसमें 1063 मामले राजीनामे से निस्तारित किए गए और 12.22 करोड़ रुपए के अवार्ड जारी किए गए। पक्षकारों को उनके मोबाइल पर ओटीपी मिला। उनकी सहमति मिलने पर ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्षकारों से वार्ता की गई। राजीनामा होने पर नियमानुसार तस्दीक किया जाकर अवार्ड पारित किया गया।


शुक्रवार को शाम चार बजे तक चली इस लोक अदालत में हालांकि पूर्व की तरह ज्यादा केस तो सूचीबद्ध नहीं हुए, लेकिन पक्षकारों व वकीलों को घर बैठे अपने आपको सुरक्षित रखते हुए लोक अदालत में शामिल होने का मौका जरूर मिला। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लोक अदालत के लिए कुल 7 बेंच गठित की गईं।

संबंधित बेंच ने कंप्यूटर पर ऑनलाइन सुनवाई की और आपसी समझाइश कर मामलों को निपटाया। विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सिद्धेश्वर पुरी ने बताया कि लोक अदालत में कुल 2206 प्रकरण रखे गए। इनमें विभिन्न न्यायालयों में लंबित 2061 मुकदमे राजीनामा योग्य होने से रखे गए व मुकदमा पूर्व स्तर (प्री-लिटिगेशन) के कुल 145 प्रकरण रखे गए थे।

सभी न्यायालयों द्वारा ऑनलाइन लोक अदालत के माध्यम से 1063 प्रकरणों का निस्तारण किया गया और 12 करोड़ 22 लाख 69 हजार 342 रुपए की अवार्ड राशि पारित की गई। साथ ही ऑफलाइन लोक अदालत के माध्यम से 345 प्रकरणों का निस्तारण किया गया, जिसमें 2 करोड़ 18 लाख 18 हजार 36 रुपए की अवार्ड राशि पारित की गई। 4 अगस्त से 21 अगस्त तक प्री-काउंसलिंग बेंच में पक्षकारों व अधिवक्ताओं की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता करवाई गई, जिसमें कुल 945 लंबित प्रकरणों में राजीनामा हुआ।


पहली बेंच एडीजे संख्या एक विश्वबंधु व अधिवक्ता संजीव व्यास, दूसरी बेंच जज एमएसिटी ईसीजी एक्ट केसेज रामेश्वर प्रसाद चौधरी व अधिवक्ता घनश्याम सारस्वत, तीसरी बेंच फैमिली कोर्ट के जज महेंद्र कुमार सिंघल व अधिवक्ता दीनदयाल पुरोहित, चौथी बेंच एसीएमएम संख्या एक के जज युवराज सिंह व अधिवक्ता भोमसिंह चौहान, पांचवीं बेंच एनआई एक्ट संख्या पांच के जज डॉ. मनोज सिंगारिया व अधिवक्ता अशोक कुमार जोशी, छठी बेंच एनआई एक्ट कोर्ट संख्या सात के जज सीताराम चौधरी व अधिवक्ता विक्रम सिंह तथा सातवीं बेंच में डीएलएसए के सचिव सिद्धेश्वर पुरी व अधिवक्ता प्रमेंद्र पुरी गोस्वामी शामिल थे। जिला व सेशन न्यायाधीश रवींद्र कुमार जोशी ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

शादी के दो महीने बाद ही तलाक तक बात पहुंची, ऑनलाइन समझाइश पर हुआ राजीनामा
पाल रोड निवासी कपिल व शिवानी का विवाह इसी साल फरवरी में हुआ था। शुरुआत में विवाद होने लगे और फिर बात तलाक तक पहुंच गई। लोक अदालत में ऑनलाइन ही दोनों से समझाइश की गई और वे फिर से साथ रहने को राजी हो गए।



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ऑनलाइन सुनवाई करते फैमिली कोर्ट के जज महेंद्र कुमार सिंघल।