पर्युषण महापर्व के तीसरे दिवस उत्तम आर्जव धर्म को प्रकाशित करते हुए जम्बू स्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा पर वर्षायोगरत दिगंबर जैनाचार्य वसुनंदी महाराज ने कहा कि कपट का त्याग ही आर्जव है अर्थात सरलता को धारण कर जीवन यापन करना उत्तम आर्जव धर्म है। मन, वचन, कर्म से कपट का त्याग कर ह्रदय से सरल व्यवहार करना ही वास्तविक आर्जव है।
जैनाचार्य ने कहा कि पर्युषण पर्व जहाँ विकारों रूपी प्रदूषण को शमित करता है वही तीसरा धर्म आर्जव विश्वास घात, कपट,धोखा, झूठ जैसे अवगुणों को त्यागने का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि मानव के लिए सब कुछ सरल है किंतु व्यवहार में सरल होना ही सबसे कठिन कार्य है।
हर परिस्थिति में जिसने समता भाव अर्थात समान व्यवहार रखना सीख लिया समझो उसने अपने जीवन का सही मार्ग पकड़ लिया है। प्रत्येक व्यक्ति को कुटिल मुस्कुराहट नही अपितु अपने चेहरे पर प्रसन्नता रखनी चाहिए ।
बिना मिलावट के जीवन यापन करना ही मानव का असली और सच्चा धर्म है। तपोस्थली के प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि इस वर्ष कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण पर्युषण पर्व में कोई भी कार्यक्रम आयोजित नही हो रहे हैं।
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