कोटा बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और सदस्य इन दिनों सुर्खियों में हैं। समिति के सदस्य आपस में बच्चों की तरह लड़ रहे हैं। समिति में आपसी सदस्यों में मतभेद इतने बढ़ गए कि इनमें दो गुट बन गए हैं। दोनों गुट एक-दूसरे के निर्णयों को सही-गलत ठहराते हैं और एक-दूसरे की शिकायतें जिला स्तर और राज्य स्तर पर कर चुके हैं। अब झगड़ा नांता स्थित ऑफिस से निकलकर अब सड़क पर आ गया हैं। एक-दूसरे के खिलाफ साजिशों का चक्रव्यूह रचा जा रहा है।
ताजा मामला एक बालिका द्वारा बालिका गृह की छत से कूदने, बालिका द्वारा अधीक्षक पर मारपीट के आरोप लगाने और उसी बालिका को सीडब्ल्यूसी द्वारा रिलीज करने से जुड़ा है। दैनिक भास्कर यह दावा नहीं करता कि चारों सदस्यों, अध्यक्ष और अधीक्षक में से कौन गलत हैं और कौन सही। इसका निर्णय जिम्मेदार एजेंसी और अधिकारी करेंगे। लेकिन, जिम्मेदार पदों पर बैठकर यूं आपस में लड़ना पद की गरिमा के खिलाफ हैं। ऐसे में निश्चित रूप से बालकों के हितों का ध्यान रखना प्रभावित होगा।
इनसाइड स्टोरी: 30 जुलाई को बालिका ने किया था भागने का प्रयास
एक बालिका दूसरे जिले से भागकर कोटा आई, जिसने रिश्तेदार पर गंभीर आरोप लगाए। इस संबंध में महावीर नगर थाने में केस दर्ज हुआ, जो बाद में वापस ले लिया गया। यह लड़की वापस घर से भाग गई और फिर बालिका गृह में आई। जिसे नांता के क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया।
30 जुलाई को नांता बालिका गृह में बालिका ने छत से कूदकर भागने का प्रयास किया और दूसरी बालिकाओं को भागने का प्रयास किया, जो चौकीदार की सजगता से टल गया। बालिकाएं छत से कूदी थी, जिसमें दो के पैर फैक्चर हुए। बालिकाओं को भगाने के पीछे मास्टर माइंड के रूप में इसी बालिका का नाम आया। ऐसा बार-बार हो रहा था और बालिका काफी शातिर हैं।
विवाद: पांच दिन बाद दो सदस्यों के साइन से इसे छोड़ना बना मुख्य वजह
इसी बालिका को 19 अगस्त को बाल कल्याण समिति अध्यक्ष कनीज फातिमा और सदस्य मधु शर्मा द्वारा रिलीज कर दिया तो विवाद बढ़ गया। सामान्य परिस्थितियों में तीन सदस्यों की सहमति अनिवार्य शर्त हैं। मतभेद पहले से था, लेकिन विवाद इसलिए पैदा हुआ क्योंकि बाकी तीन सदस्य विमल जैन, आबिद अब्बासी और अरूण भार्गव बालिका को छोड़ने में उसका हित नहीं मानते थे। जबकि फातिमा बालिका को छोड़ना सही मानती हैं।
एफआईआर: बालिका की शिकायत पर अध्यक्ष की टिप्पणी से हंगामा
इस बालिका ने कुन्हाड़ी थाने में क्वारेंटाइन सेंटर की प्रभारी व बालिका गृह की अधीक्षक श्वेता शर्मा, स्टाफ आरती और अंतिमा के खिलाफ शिकायत दी। शिकायत में कहा कि तीनों मारती-पीटती हंै और परेशान करती हैं। यहां तक कि खाने में नींद की गोलियां मिलाती हैं। शिकायत के कवर लेटर पर सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष कनीज फातिमा ने साइन किए, जिस पर 14 अगस्त को मुकदमा दर्ज हुआ।
बालिका को छोड़ना उसके हित में नहीं जो बालिका इतनी बार भागी हुई है और जिसने बालिका गृह में उत्पात मचाया है, मैं उसे छोड़ने के लिए कैसे राजी हो सकता हूं। मैं मानता हूं कि बालिका की पहले पूरी तरह काउंसलिंग होनी चाहिए, उसके बाद आराम से छोड़ो। उसके पिता भी नहीं हैं और मां से भी झगड़ा है, ऐसे में वो वापस गलत संगत में निश्चित रूप से फंसेगी। -विमल जैन, सदस्य सीडबल्यूसी
मैं सत्य का साथ दे रही हूं
मैं पुलिस सीआई से रिटायर्ड हूं और समाज सेवा से जुड़ने के लिए यहां आई थी। मैं यहां पद, पैसों या विवादों के लिए नहीं आई। 30 जुलाई को जब यह कांड हुआ, मुझे सूचना तक नहीं दी। मुझसे क्या छिपाना चाहते थे, बालिका गृह में बालिका को सताया जा रहा है, इसलिए उसके साथ हूं। बालिका इतनी परेशान हो गई थी कि सुसाइड करना चाहती थी। - कनीज फातिमा, अध्यक्ष सीडबल्यूसी
मेरे पर लगाए आरोप मनगढ़ंत और झूठे
मेरे व मेरे स्टाफ पर मारपीट करने के आरोप मनगढ़ंत और झूठे हैं। बालिका काफी नोटोरियस हैं, जिसने यहां इतना हंगामा किया और अब मुझ पर आरोप लगा रही हैं। यह पहले 5 बार अलग-अलग जगहों से भाग चुकी हैं। इसने खुद ने कई एफआईआर करवाई हुई हैं। यह मेरे क्वारेंटाइन सेंटर पर 7 अगस्त तक रही। इसके बाद वो बालिका गृह में चली गई, जहां अभी मेरा कोई लेना-देना नहीं। उल्टा, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष व सदस्य बच्चों से बालिकाओं से गंदा व्यवहार किया, जिस वजह से उन्हें नोटिस मिले। - श्वेता शर्मा, अधीक्षक बालिका गृह
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