जेएनवीयू की एकेडमिक काउंसिल ने मंगलवार को दो बड़े फैसले लिए हैं। पहला- विवि में पीजी स्टूडेंट्स के लिए अब दोहरी परीक्षा प्रणाली लागू की जाएगी। दूसरा- स्टूडेंट्स का तनाव कम करने व उन्हें समाजसेवा के लिए प्रेरित करने के लिए आनंदम पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। कुलपति प्रो. पीसी त्रिवेदी की अध्यक्षता में एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज मेें 4 घंटे से ज्यादा चली मीटिंग में अन्य निर्णय भी लिए गए।
काउंसिल की ओर से निर्णय लिया गया है कि जिन पाठ्यक्रमों में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू है, उनमें अब डिविजन के स्थान पर ग्रेड दिया जाएगा, लेकिन इससे एक असमंजस खड़ा हो गया। असमंजस यह कि वर्तमान में केवल पीजी के वे नियमित स्टूडेंट्स जो यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं, उनके लिए ही सीबीसीएस से परीक्षा ली जा रही है। लेकिन विवि से संबद्ध निजी कॉलेजों के पीजी स्टूडेंट्स व स्वयंपाठी स्टूडेंट्स की परीक्षा सीबीसीएस से नहीं ली जाती।
सीबीसीएस में सेमेस्टर व शेष की एनुअल परीक्षा होती है। ऐसे में टॉपर किसे बनाया जाए। हालांकि विवि ने इसका फॉर्मूला तय करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया है। दूसरे निर्णय के तहत विवि ने हर स्टूडेंट के लिए आनंदम कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया है। इसमें स्टूडेंट्स का पढ़ाई का तनाव कम करने के लिए उन्हें समाजसेवा के लिए प्रेरित किया जाएगा।
आनंदम के तहत स्टूडेंट्स को संभाग व राज्य स्तर पर सम्मानित भी किया जाएगा। बैठक में राजस्थान सरकार के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय को एक इकाई मानते हुए शैक्षिक पदों के लिए रोस्टर के पुननिर्धारण के संबंध में चर्चा की गई तथा इस संबंध में गठित समिति की प्रगति को सदन में रखा गया।
आनंदम पाठ्यक्रम में मदद व सामाजिक सेवा के अंक मिलेंगे
आनंदम पाठ्यक्रम में सामाजिक सरोकार से स्टूडेंट्स को जोड़ा जाएगा, जिससे वे तनावरहित रहें। इसके लिए ग्रेडिंग सिस्टम बनाया है। स्टूडेंट को एक डायरी दी जाएगी। जिसमें वो अपने कार्य नोट करेगा। अगर उसके 128 पॉइंट आते हैं तो उसे पुरस्कृत करने के साथ राज्यस्तर पर आगे भेजा जाएगा।
64 पॉइंट पर आउटस्टैंडिंग ग्रेड व 48 पॉइंट पर ए और उससे कम पाॅइंट आते हैं तो बी और सी ग्रेड मिलेगा। यह पाॅइंट स्टूडेंट्स को दूसरे की मदद करने, सामाजिक सेवा करने, पशु-पक्षियों की सहायता करने व अपना दायित्व निभाने पर मिलेंगे। उद्देश्य यह है की स्टूडेंट्स रुटीन कोर्सेज से तनाव में ना आकर आनंद में होकर स्टडी करें।
ये भी हुए निर्णय
- शैक्षिणिक सत्र 2020-21 की परीक्षाओं में नकल संबंधी प्रकरणों के निस्तारण के लिए कमेटियां गठित करने के लिए कुलपति को अधिकृत किया।
- विश्वविद्यालय के सभी संकायों की ओर से अनुमोदित आगामी परीक्षाओं के पाठ्यक्रमों पर चर्चा कर उन्हें अनुमोदित कर दिया गया।
- विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए अधिक से अधिक स्ववित्त पाेषित पाठ्यक्रमों के कोर्स चलाने पर बल दिया गया।
- बैठक में रिसर्च काउंसिल की सिफारिशों को भी अनुमोदित किया गया। एमफिल, पीएचडी की अस्थायी उपाधि के लिए प्रारूप भी अनुमोदन हुआ।
- शोध स्तर को सुधारने शोध कार्यों को सुगम एवं सरल बनाने के लिए निदेशक (शोध) मनोनीत करने का निर्णय पारित किया गया।
इन निर्णयों पर नहीं बनी सहमति
- विवि के छात्रसेवा मंडल के स्थान पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण पद करने का प्रस्ताव आया तो मौजूद शिक्षकों ने विरोध जताया। उनका कहना था कि अधिष्ठाता एक संवैधानिक पद है, ऐसे में यह पदनाम दिया जाना उचित नहीं।। इसलिए इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाए।
- प्राणीशास्त्र विभाग के डॉ. हेमसिंह गहलोत द्वारा प्रस्तुत ‘वन्य जीव संरक्षण अनुसंधान’ केंद्र की स्थापना के संबंध में प्रस्ताव पर प्रो. अखिलरंजन गर्ग ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र खोलने का प्रस्ताव देने वाले सरकार से फंड भी लाएं तथा केंद्र में नियुक्ति संबंधी अधिकारों में राज्य सरकार के पास अधिकार होने का भी घोर विरोध जताया गया। इस पर प्रस्ताव को पुन: गहलोत के पास भेजने का निर्णय लिया गया।
- राजभवन के पत्रानुसार शिक्षक एवं अन्य स्टाफ के लिए आचार संहिता लागू करने के संबंध में विचार किया। प्रो. डीएस खींची ने कहा, इसमें कई कमियां है। इसमें विवि के प्रस्ताव भी शामिल किए गए। इस पर एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया।
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