शहर में वर्षों से काफी जर्जर इमारतें हैं जिन्हें सार्वजनिक निर्माण विभाग भी नाकारा घोषित कर चुका है। इन दिनों बरसात का सीजन चल रहा है। ऐसे में जर्जर इमारतें हादसे के रुप में शासन-प्रशासन के लिए आफत का सबब बन सकती है। गंभीर बात ये है कि अभी भी इन जर्जर इमारतों में लोग निवास कर रहे हैं। जर्जर हो चुके भवनों पर खतरा मंडराया हुआ है। गौरतलब है कि 15 दिन पूर्व क्षेत्र के कैर गांव में बारिश के दौरान जर्जर दुमंजिला मकान ढहने से 11 वर्षीय एक बालिका की मौत हो गई थी जबकि उसकी मां व बड़ी बहन गंभीर रुप से घायल हो गई थी।
इसके बाद उपखंड प्रशासन ने नपा ईओ व पंचायत समिति बीडीओ को क्षेत्र में जर्जर भवनों का सर्वे कर चिन्हित करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सात दिन से अधिक का समय गुजर जाने के बावजूद अभी तक सर्वे नहीं हो पाया है। अगर प्रशासन ने समय रहते इन नाकारा भवनों को खाली कराकर गिराने का निर्णय नहीं लिया तो भविष्य में बड़ी जन-धन हानि हो सकती है। जर्जर भवनों में कई सरकारी इमारतें भी है तथा कई निजी भवन भी हैं। आर्थिक तंगी के कारण निजी भवन मालिक अपने जर्जर मकानों की मरम्मत तक नहीं करा पा रहे हैं। मजबूरी में उन्हें जर्जर भवनों में ही जीवन के खतरे के साथ रहना पड़ रहा है।
सड़क पर भारी वाहन गुजरने पर होता है कंपन
कस्बे के कचहरी परिसर का मुख्य गेट रियासतकालीन समय का बना हुआ है। परिसर में न्यायालय सहित थाना, तहसील, जेल, पोस्ट ऑफिस, ट्रेजरी आदि सरकारी कार्यालय बने हुए हैं जिसके कारण यहां रोजाना सैंकड़ों लोगों का आवागमन रहता है। इस गेट की ऊपरी मंजिल पर पूर्व में डीएसपी कार्यालय संचालित था लेकिन जर्जर होने के कारण डीएसपी कार्यालय को भीमनगर रोड पर निजी भवन में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन इस गेट के ठीक नीचे कई अधिवक्ता अभी भी बैठकर अपना वकालत संबंधी कार्य करते है तथा एपीपी कार्यालय है।
जर्जर होने के बावजूद खाली हुए डीएसपी कार्यालय में कुछ पुलिसकर्मियों ने अपना निवास बना लिया है। इस भवन की छतों को लकड़ी की बल्लियां लगाकर रोका हुआ है। इसी तरह कचहरी परिसर में ही एसडीएम कार्यालय का पुराना भवन भी जर्जर हालत में है। लेकिन इसमें भी एक कर्मचारी ने अपना आवास बनाया हुआ है। ऐसे में ये जर्जर इमारतें कभी भी परेशानी का सबब बन सकती हैं।
पुलिसकर्मियों के क्वार्टरों, कचहरी गेट, पुराना एसडीएम कार्यालय भवन को काफी पहले नाकारा घोषित कर प्रशासन को रिपोर्ट दी थी। लेकिन अभी उस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे हादसों का खतरा बना है। प्रशासन को फिर से रिमांइडर भेजा जाएगा।--छैलबिहारी शर्मा, एईएन, पीडब्लूडी बयाना
< कैर की घटना के बाद नपा ईओ व पंचायत समिति बीडीओ को क्षेत्र के सभी जर्जर भवनों का सर्वे कर चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन अभी सर्वे रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। इसके लिए ईओ व बीडीओ को रिमाइंडर भेजा जा रहा है।--सुनील आर्य, एसडीएम बयाना
पुलिसकर्मियों के क्वार्टर जर्जर, सरिया भी बाहर निकले
पुलिस थाना परिसर में पुलिसकर्मियों के रहने के लिए बने क्वार्टर काफी सालों से जर्जर हालत में हैं। इनमें करीब 30 पुलिसकर्मी निवास कर रहे हैं। पीडब्लूडी विभाग सालों पहले इन्हें डिसमेंटल (नाकारा) घोषित कर चुका है। आवासों की हालत ये है कि इनकी छतों से चूना व सीमेंट झड़ गया है तथा आरसीसी के लोहे के सरिए बाहर निकल गए हैं। पुलिसकर्मी आवासों के गिरने के भय के साए में रहने को मजबूर हैं।