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सोमवार, 21 सितंबर 2020

कोरोना का वायरस बदला, फेफड़े डैमेज कर रहा, 1 माह में 9 रोगियों की माैत

कोरोना वायरस लगातार स्ट्रेन बदल रहा है। फिलहाल कोरोना की सातवीं पीढ़ी का वायरस सक्रिय है। एक्सपर्ट्स का कहना है यह वायरस सीधे रोगी के फेफड़ों पर अटैक करता है। चपेट में आए रोगी के फेफड़े सफेद हो जाते हैं।

फेफड़ों के छेद बिल्कुल बंद और झिल्लियां मोटी होने से ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। इससे राेगी काे सांस लेने में तकलीफ होती है। ऑक्सीजन नहीं मिलने से हालत बिगड़ती चली जाती है। वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ता है। इस वायरस के चपेट में आए मरीज की इम्युनिटी अपने आप कम होती चली जाती है। अंततः मरीज की मौत हो जाती है। फिलहाल कोरोना पॉजिटिव जो रोगी मिल रहे हैं, उनमें से

रोजाना 4 से 5 निमोनिया से ग्रस्त हो रहे हैं। कोरोना का ये बदला हुआ रूप फेफड़ों काे ज्यादा नुकसान कर रहा है। एक महीने में ही कोराेना पॉजिटिव 9 रोगियों की मौत हाे चुकी है। मई से अब तक 17 की मौत हो चुकी है। इसमें से 50 प्रतिशत मौत के मामले एक महीने में सामने आए।

एक्सपर्ट्स व्यू : पहले जो मरीज आते थे, उनके फेफड़े इतने खराब नहीं होते थे, सर्दियों में यह समस्या और बढेंगी

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन व पूर्व पीएमओ डॉ. पवन सैनी का कहना है कि फिलहाल पॉजिटिव मरीज के फेफड़ों की जो दशा मिल रही है। वो पहले की अपेक्षा ज्यादा खराब है। पहले जो मरीज आते थे, उनके फेफड़ों की दशा ऐसी नहीं मिलती थी। तब संक्रमण का स्तर कम होता था। कोरोना वायरस से डैमेज हुए फेफड़े जल्द रिकवर नहीं कर पाते है। आरटी-पीसीआर जांच के बजाए सीटी स्कैन जांच की वैधता ज्यादा है। इससे पता चल पाता है कि संक्रमण कितना है। ऐसे मरीजों को सांस में लेने में ज्यादा दिक्कत आती है। वहीं आरटी पीसीआर जांच से सिर्फ ये पता चलता है कि मरीज पॉजिटिव है या निगेटिव।

फिजिशियन डॉ. प्रेम अरोड़ा के अनुसार वायरस की प्रकृति के संबंध में दुनिया में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन यह तय है कि वायरस लगातार बदल रहा है। अब बिना लक्षण वाले मरीज ज्यादा मिल रहे हैं। पहले ऐसा नहीं था। जाे पॉजिटिव मरीजों की शुगर, गुर्दों की खराबी सहित अन्य गंभीर रोगों से पीड़ित हैं, उनकी मृत्यु हाेने की आशंका ज्यादा रहती है। शुरुआत में जो वायरस था, वो कमजोर था। अब जो है, वो मरीज के लिए ज्यादा खतरनाक है। वायरस की प्रवृत्ति बदल रही है, ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। अगले दिनों में गर्मी कम होगी और ठंड बढ़ बढ़ेगी। सर्दियों में निमाेनिया के मरीजों की संख्या बढ़ने की आशंका है।

आरटी पीसीआर कोरोना होने का पता चलता है, संक्रमण का स्तर जानने के लिए सीटी स्कैन जरूरी
स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइड लाइन के मुताबिक फिलहाल संदिग्ध मरीजों की आरटी पीसीआर जांच कर संक्रमण का पता लगाया जा रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरटी पीसीआर जांच में सिर्फ यह पता चलता है कि मरीज पॉजिटिव है या निगेटिव। मरीज में वायरल लोड कितना है। इसकी जानकारी नहीं मिलती। इसलिए मरीज की हालत बिगड़ी है तो वेंटिलेटर का सहारा दिया जाता है। इसके बाद उसके फेफड़ों की जांच

की जाती है, तब तक काफी देर हो जाती है। विशेषज्ञ का मानना है कि आरटी पीसीआर जांच की वैधता 70 फीसदी तक है। 30 प्रतिशत मामलों में पॉजिटिव होने पर ही टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है। सीटी स्कैन से ही संक्रमण के स्तर की जानकारी मिल सकती है। जाे फेफड़ों के संक्रमण के बेहतर इलाज के लिए मददगार साबित होती है।



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