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मंगलवार, 15 सितंबर 2020

अधीक्षक ने जताई चिंता- मार्च 2021 तक एमडीएम में राेज 200 मरीज हाेंगे भर्ती, 94 लाख का बजट मांगा

संभाग में सर्वाधिक कोरोना मरीजों को भर्ती करने वाले शहर के मथुरादास माथुर अस्पताल ने कोरोना संक्रमित मरीजों को मार्च 2021 तक संभालने की तैयारी में जुट गया है। अस्पताल अधीक्षक की मानें तो सितंबर 2020 से मार्च 2021 तक प्रतिमाह मरीजों की संख्या में 20 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है।

इस लिहाज से मरीजों के लिए चद्दर, उनके सुबह की चाय से रात के खाने तक का इंतजाम और कोरोना से होने वाली मौतों के लिए बॉडी कवर चाहिए। इनकी खरीद पर करीब 96 लाख रुपए खर्च होने का आकलन किया गया है। दरअसल, काेराेना वायरस संक्रमण काे जाेधपुर में दस्तक दिए छह माह अगले सप्ताह पूरे हो जाएंगे।

बीते कुछ दिनों में जिले में पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा सैंपल के हिसाब से करीब 25 फीसदी तक पहुंच गया है। मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में मथुरादास माथुर अस्पताल ने अगले सात माह के लिए तैयारी शुरू कर दी है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी ने डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को 96.64 लाख का तकमीना बनाकर भेजा है।

अधीक्षक के मुताबिक अस्पताल में भर्ती मरीज (वर्तमान में 86) व मार्च 2021 तक मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उनके खाने-पीने, बेडशीट व डेड बॉडी कवर की ज्यादा जरूरत पड़ेगी। प्रतिदिन औसत 200 मरीजों के लिए यह सामग्री चाहिएगी।

इसमें 20 फीसदी की वृद्धि होने का आकलन भी जोड़ा गया है। मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य व नियंत्रक डॉ. जीएल मीणा ने जिला कलेक्टर एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अध्यक्ष को 94.64 लाख की अनुशंसा के साथ वित्तीय स्वीकृति के लिए अनुरोध कर दिया है।
मरीजों के खाने-पीने पर ही खर्च करने पड़ेंगे 84 लाख रुपए
एमडीएमएच अब तक 2,341 मरीजों को भर्ती कर चुका है। कायदे से हर दिन कोरोना संक्रमित मरीज की बेडशीट बदल कर उसे तरीके से धोना चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने अपने तकमीना में एक मरीज के लिए सात दिन तक बेडशीट उपलब्ध करवाने पर 1995 रुपए खर्च आने के हिसाब से संभावित प्रतिदिन 200 मरीज के लिए करीब 4 लाख रुपए मांगे हैं।

वहीं, संक्रमित मरीजों को चाय, दूध, नाश्ता, दो समय का खाना, पानी की बोतल व डिस्पोजल आइटम दिए जा रहे हैं। प्रति मरीज पर प्रतिदिन इस मद में 200 रुपए का खर्च होता है। इसके लिए ही 84 लाख की जरूरत बताई है। वहीं, आगामी 7 माह में प्रति माह संभावित 100 मौत होने के अंदेशे के तहत 700 डेड बॉडी कवर के लिए 6.65 लाख रुपए मांगे गए हैं।

कहां है काेराेना...!

यहां तो कुर्सी की कवायद और कारवां-ए-सफर इस तरह जारी है

पंचायत चुनाव की घोषणा तो हो चुकी, लेकिन सभाओं एवं रैलियों पर रोक है। हालांकि सरपंच की कुर्सी पाने की कवायद में कई स्थानों पर लोगों ने मास्क का मखौल और सोशल डिस्टेसिंग की धज्जियां उड़ा रखी है। ऐसा ही नजारा पाल गांव में दिखा। यहां एक सरपंच प्रत्याशी ने इस तरह नियमों को तोड़ते हुए अपने समर्थन में भीड़ जुटाकर सभा की। इस दौरान चंद लोगों को छोड़ किसी के चेहरे पर मास्क नहीं दिखा। सोशल डिस्टेंसिंग की जगह सब सट-सटकर बैठे रहे।

आमजन की सुविधा संचालकों के आर्थिक हालात देख सिटी बस संचालन की अनुमति तो दी गई है। हालांकि संचालकों की सतर्कता की बानगी चौपासनी-मंडोर रूट की सिटी बस की ये फोटो है। बस प्रमुख चौराहों से भी निकली, लेकिन किसी ने नहीं रोका। सिटी बस ऑनर्स एसो. अध्यक्ष हरिसिंह आर्य ने कहा कि बसें आधे से कम सवारी में चल रही हैं। वहीं जिला परिवहन अधिकारी गजेंद्र ओझा ने अलग-अलग जगह कार्रवाई की। यह फोटो जिम्मेदार नागरिक चंदू देवासी ने लिया है।

पीपीई किट पहन स्कूटर लेकर खड़े मिले दो शख्स, पूछने पर बोले- चैकअप करवाने जा रहे

जालाेरी गेट के अंदर उस वक्त हैरत भरा माहाैल हाे गया जब पीपीई किट पहने दो शख्स एक एक्टिवा लेकर खड़े मिले। आसपास के लोगों ने जब उनसे मेडिकल स्टाफ होने के बारे में पूछा तो उन्होंने मना कर दिया। फिर सड़क पर पीपीई किट पहनकर निकलने का कारण पूछा तो उसमें से एक ने बताया कि हम चैकअप करवाने जा रहे हैं। जब उनसे कोरोना के लक्षण होते हुए भी खुले में घूमने की शिकायत की गई तो वे एक्टिवा स्टार्ट कर निकल गए।

अस्पताल में जांच के लिए नहीं पहुंचे ऐसे काेई युवक
बाद में अस्पताल में ऐसे किन्हीं लोगों के टेस्ट के लिए आने का पूछा गया तो कोई जानकारी नहीं मिल पाई। बताया जा रहा है कि ये दाेनाें शख्स मूलत: भीतरी शहर में बाेहराें की पाेल के निवासी हैं। कई वर्षों से रोजगार के लिए राजस्थान से बाहर ही रहते हैं। इन दिनाें अपने पैतृक घर आए हुए हैं।



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जालाेरी गेट के अंदर उस वक्त हैरत भरा माहाैल हाे गया जब पीपीई किट पहने दो शख्स एक एक्टिवा लेकर खड़े मिले