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सोमवार, 14 सितंबर 2020

एक दिन में सर्वाधिक 505 नए राेगी 17 हजार पार पहुंचा आंकड़ा, 5 और माैतें यानी राेजाना 350 की औसत से संक्रमित बढ़ रहे

शहर में काेराेना का संक्रमण थमने की बजाए उग्र हाेता जा रहा है। रविवार काे एक दिन में सर्वाधिक 505 नए राेगी मिले व 5 और संक्रमिताें ने दम ताेड़ दिया। कुल संक्रमिताें का आंकड़ा भी 17 हजार के पार पहुंच गया। सितंबर के 13 दिन में 4,550 राेगी मिल चुके हैं। यानी राेजाना 350 की औसत से संक्रमित बढ़ रहे हैं।

अगर संक्रमण की रफ्तार ऐसी ही रही तो सितंबर के पूरे माह में 10 हजार से अधिक लोग कोरोना की चपेट में आ जाएंगे। इन 13 दिनाें में 83 संक्रमित दम ताेड़ चुके हैं। हालांकि 212 और राेगियाें का डिस्चार्ज हाेना राहत की बात रही।

इस माह में अब तक 3,009 राेगी ठीक हाे चुके हैं। शहर में कुल संक्रमिताें का आंकड़ा 17,445 पहुंच चुका है। इनमें से 73.96% यानी 12,903 राेगी डिस्चार्ज हाे चुके हैं। अब तक 254 राेगी दम ताेड़ चुके हैं। एक्टिव केस 4288 बचे हैं, जाे प्रदेश में जयपुर के बाद सर्वाधिक है।
इधर, अंतिम संस्कार से पहले पता लगा- मृतक संक्रमित है


सिंधी कॉलोनी के थावरदास (72), कल्याण सिंहजी का काेट के रूपसिंह (72), मेघाराम (59), चांदपाेल के राजेंद्रप्रकाश बाेराणा (59) व हेमराज (81) ने दम ताेड़ दिया। थावरदास दाे दिन से एमडीएमएच में भर्ती थे। उनका कोरोना सैंपल लिया गया था।

रविवार काे उनका निधन हाेने पर बॉडी परिजनों को सौंप दी। पुत्र विजय व भरत सायानी ने बताया कि अंतिम संस्कार की तैयारी थी, इसी दौरान पिता के पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई। सिंधी समाज मोक्षधाम में अंत्येष्टि की असमर्थता जताई गई। बाद में ओसवाल इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में गाइडलाइन अनुसार अंतिम संस्कार किया गया।


‘प्राइवेट हॉस्पिटल में राउंड के 300 रु. मिलते ताे पेशेंट्स टिकट पर नोट्स डालते ना! फिर यहां क्याें नहीं लिखे?’

हेल्थ रिपोर्टर. जोधपुर| जोधपुर में बेकाबू होते कोरोना की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया जोधपुर पहुंचे। सचिव ने पहले ताे मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, तीनों अस्पताल के अधीक्षक और सीनीयर डॉक्टरों के साथ सर्किट हाउस में मीटिंग की।

इसके बाद वे शाम करीब 4 बजे संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा, कलेक्टर इंद्रजीतसिंह के साथ महात्मा गांधी अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंचे। उन्हाेंने आईएलआई ओपीडी की व्यवस्था देखी और वहीं पास में बने संदिग्धाें के मेल मेडिकल वार्ड-3 में पहुंचे।

वार्ड में मरीजों की देख-रेख के लिए नियुक्त रेजिडेंट नहीं मिलने पर उन्हाेंने नाराजगी जताई। सचिव ने वार्ड के सारे रजिस्टर और नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर के ड्यूटी रजिस्टर देखे। प्राचार्य डॉ. जीएल मीणा, एमजीएच अधीक्षक डॉ. राजश्री बेहरा से पूछे सवालों के जवाब संतोषजनक नहीं मिलने पर वे नाखुश दिखे।

सचिव ने वहां ड्यूटी पर कार्यरत रेजिडेंट को बुलवाया तो वह नहीं मिला। काफी देर बाद जब रेजिडेंट आया तो सचिव ने कहा कि- तुम्हारे प्रिंसिपल, डिपार्टमेंट सचिव, कलेक्टर आए हुए हैं तो तुमको वार्ड में नहीं होना चाहिए था? इस पर रेजिडेंट ने कहा कि मैं दूसरे वार्ड में मरीज को देख रहा था।

सचिव ने पूछा कि कोई इमरजेंसी थी क्या? रेजिडेंट के इनकार पर सचिव ने फिर पूछा, फिर तुम यहां क्यों नहीं थे? बाद में उन्हाेंने रेजिडेंट से वार्ड और प्रत्येक मरीज के बारे में पूछा। रेजिडेंट्स के राउंड के बाद मरीजों के टिकट पर नोट्स नहीं मिलने पर भी सचिव ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा- किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में होते, राउंड के 300 रुपए मिलते तो मरीज के टिकट पर नोट्स डालते या नहीं! इस पर क्यों नहीं डाला?

बेड नंबर ही नहीं लिखे थे, मरीज ढूंढने में 10 मिनट लगे
संभागीय आयुक्त ने वार्ड में भर्ती टिकट पर बेड नंबर नहीं लिखा हाेने पर मरीज हीराचंद का पूछा। नर्सिंग स्टाफ से पूछा कि ये मरीज कहां पर है ? करीब 10 मिनट ताे मरीज काे ढूंढने में ही लग गए। मरीज मिला तो उन्हें दी जा रही दवा और दूसरे अन्य ट्रीटमेंट के लिए मरीज से पूछा।

संभागीय आयुक्त ने बाद में नर्सिंग स्टाफ और वहा कार्यरत रेजिडेंट्स से पूछा कि बिना बेड नंबर कैसे मरीजों को देखते हो ? किसी भी मरीज के टिकट पर बेड नंबर क्यों नहीं है? इस पर जवाब मिला कि वार्ड रिनोवेशन के बाद ही मरीजों को शिफ्ट किया गया है, इसलिए बेड नंबर अभी नहीं हैं।

पीपीई किट में कोविड मरीज के परिजन जा सकेंगे वार्ड में
बैठक में निर्णय लिया गया कि कोविड मरीज का परिजन मिलने वार्ड में जाना चाहता है तो पीपीई किट देकर जाने दिया जाए। अभी केवल गंभीर मरीजों व उन मरीजों में किया जाएगा जो खुद का काम करने में असमर्थ हैं। सफल रहा तो अन्य मरीजों के लिए शुरू करेंगे।

पावटा हाॅस्पिटल में 150 बेड तक बढ़ाने का कहा
वे मेडिकल कॉलेज गए, विभागाध्यक्ष की मीटिंग में जयपुर की तर्ज पर एग्रेसिव ट्रीटमेंट व सीनियर डॉक्टरांे की रोस्टर ड्यूटी लगाने की बात की। एमडीएम जनाना विंग व पावटा अस्पताल की व्यवस्थाएं भी जांची। पावटा में जल्द ही 150 बेड तक बढ़ाने की बात की।

लिस्ट में गड़बड़ के सवाल पर बिना जवाब दिए निकले
कोरोना पॉजिटिव-निगेटिव की लिस्ट में स्टेट और स्थानीय आंकड़ाें में गड़बड पर भास्कर ने सचिव से सवाल किया। इस पर वे बिना कोई जवाब दिए ही बचकर निकल गए। पीछे से अाए संभागीय आयुक्त ने कहा कि- मैं बात करुंगा।

जोधपुर का भरोसा लौटाने आए चिकित्सा सचिव, लौटा पाएंगे...?

  • सचिव बोले एमजीएच-एमडीएम में भी जूनियर डॉक्टर ही इलाज करें तो मरीज गांवों से आए ही क्यों....सीनियर डॉक्टर होना ही चाहिए
  • अब जिम्मेदारी प्रिसिंपल पर...

एमजीएच-एमडीएम दोनों अस्पतालों में कोविड प्रबंधन के लिए एक प्रभारी नियुक्त करें

हेल्थ रिपोर्टर. जोधपुर| शहर में बढ़ते कोरोना संक्रमण के साथ बिगड़ती अव्यवस्थाओं की शिकायतें जब रोज मुख्यमंत्री के पास पहुंचने लगी तो चिकित्सा सचिव को जोधपुर भेजा गया ताकि वे यहां इंतजाम और इलाज काे दुरुस्त कर लोगों का भरोसा फिर से लौटा सकें।

चिकित्सा सचिव वैभव गलेरिया रविवार को जोधपुर सर्किट हाउस पहुंचे और बैठक ली तो फोकस रहा कि सीनियर डॉक्टर्स वार्ड में इलाज के लिए जाएं। बाद में उन्होंने एमजीएच का दौरा किया, रेजिडेंट नहीं मिला तो उसको डांट लगाई, लेकिन सीनियर डॉक्टर्स से कोई बात नहीं की।

बाद में मेडिकल कॉलेज में सीनियर डॉक्टर्स और सभी विभागाध्यक्षों की बैठक में फिर सीनियर डॉक्टरों को इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि जिले के आस-पास के मरीजों को मेडिकल कॉलेज स्तर के अस्पतालों में आकर भी जूनियर डॉक्टर से इलाज कराना पड़े तो उसे यहां तक आने की क्या ज़रूरत है? हम सबकी रिक्वेस्ट है कि सीनियर डॉक्टर वार्ड में जाकर मरीजों का इलाज करें।

सचिव तो कह गए, लेकिन अब मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल की जिम्मेदारी है कि वे सीनियर डॉक्टर्स से कैसे काम कराएं। वे चाहें तो यह संभव है कि एमजीएच एमडीएम दोनों कोविड मरीजों के प्रबंधन के लिए सीनियर डॉक्टर्स को कोविड प्रभारी नियुक्त करें। बाकी डॉक्टरों काे रोजमर्रा की बैठकों से मुक्त कर इलाज करने में लगाएं।

काेविड की स्थितियां सुधारने व मरीजाें काे समुचित इलाज के लिए करने हाेंगे ये काम...

सीनियर डॉक्टर्स काे मीटिंगाें से मुक्त कर इलाज में लगाएं
कोविड के बेहतर इलाज के लिए जरुरी है कि प्रशासन ने आरएएस लगा रखे हैं, जो सुबह-शाम डॉक्टरों को मीटिंग में व्यस्त रखते हैं। जबकि सीनियर डॉक्टर को इलाज में व्यस्त रहना चाहिए। वर्तमान में अभी इलाज से ज्यादा रिपाेर्टिंग और मीटिंग में व्यस्त हैं।

असिस्टेंट प्राे. स्तर के डॉक्टर वार्ड प्रभारी के रूप में काम करें
असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के डॉक्टरों को प्रत्येक वार्ड का प्रभारी नियुक्त कर व्यवस्थाओं को सहीं करें। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स 24x7 ड्यूटी करें। इससे कोविड और नॉन कोविड मरीज दोनों काे ही बेहतर इलाज होगा। साथ ही जिम्मेदारी भी एक ही व्यक्ति की तय होगी।

वार्ड मे सीनियर नर्स लगें
अस्पतालों के वार्डों में नर्स ग्रेड प्रथम की ड्यूटी लगाई जाए। वर्तमान में नई ज्वाइनिंग नर्सिंगकर्मियों की ड्यूटी लगाई जा रही है, जो खुद कोविड से डर रहे हैं। कोविड मरीजों की बेहतर इलाज के लिए प्रत्येक वार्ड में दो-दो नर्सिंग स्टाफ लगाया जाए। वर्तमान में दो वार्डों पर एक नर्सिंग स्टाफ कार्यरत है।

सीएचसी पीएचसी मजबूत करें
शहर व आसपास सीएचसी, पीएचसी, जिला अस्पताल और सेटेलाइट अस्पतालों को भी कोविड के लिए तैयार कराने की जरूरत है। इससे कम गंभीर मरीजों को इन चिकित्सा संस्थानों में इलाज मिल सकेगा। मेडिकल कॉलेज स्तर के अस्पतालों में गंभीर मरीजों का इलाज पर फोकस हो सकेगा।



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एमजीएच अधीक्षक से रोस्टर रजिस्टर के बारे में पूछते चिकित्सा सचिव गालरिया।