राजस्थान में राजस्थानियाें काे वरीयता देने के मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत के निर्णय काे पदमश्री डाॅ. सीपी देवल ने ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि राजस्थान के सभी युवाओं काे इस निर्णय का स्वागत करना चाहिए। राजस्थानी भाषा प्रचारिणी सभा के सचिव और अखिल भारतवर्षीय राजस्थानी मान्यता संघर्ष समिति के सदस्य डाॅ. देवल ने कहा कि यह मुद्दा विशुद्ध रूप से राजस्थान की नागरिकता के सवाल से जुड़ा है। इस मुद्दे काे लेकर डाॅ. देवल ने भास्कर की मुहिम की सराहना की है।
डाॅ. देवल ने कहा कि प्रांताें का निर्माण भाषायी आधार पर हुआ और राजस्थानी भाषा के आधार पर राजस्थान बना, लेकिन ऐसी काेई याेजना नहीं बनी जिससे राजस्थान के लाेगाें और विशेषकर युवाओं का भला हाेता। राजस्थान के युवा वर्षाें से यह मांग करते रहे हैं कि हमारी नाैकरी के हक काे दूसरा नहीं छीने, इसकी व्यवस्था हाेनी चाहिए, लेकिन यह नहीं हाे पाया।
डाॅ. देवल ने कहा 40 साल पहले राजस्थान लाेक सेवा आयाेग की चयन पद्धति में यह देखा जाता था कि राजस्थान के किसी क्षेत्र की बाेली का ज्ञान है अथवा नहीं लेकिन अब यह विलाेपित हाे गया है। राजस्व, पंचायत, शिक्षा, पुलिस आदि क्षेत्राें में कार्यरत कार्मिकाें काे स्थानीय भाषा का ज्ञान हाेना ही चाहिए।
ऐसे में अब राजस्थान की संस्कृति काे बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने यह महत्वपूर्ण निर्णय किया है जाे आजादी के सात दशक तक नहीं हाे पाया था। वर्तमान में केंद्र की तथाकथित नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में भी स्थानीय भाषा काे वरीयता दिए जाने की जरूरत है।
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