डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा पर्स प्रोग्राम में मिलने वाली ग्रांट के लिए राजस्थान यूनिवर्सिटी अब क्राइटेरिया से भी बाहर हो गई है। इसकी एक बड़ी वजह एनआईआरएफ ए रैंकिंग में राजस्थान यूनिवर्सिटी का पिछड़ना है। यूनिवर्सिटी टॉप 200 में भी नही है। ऐसे में अब करोड़ों का नुकसान होना तय है।
प्रमोशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च एंड साइंटिफिक एक्सीलेंस (पर्स) के तहत यूनिवर्सिटीज को शोध, गुणवत्ता, वर्कशॉप, कांफ्रेंस के लिए ग्रांट मिलती है। इस बात एनआईआरएफ रैंक प्राप्त करने वाली यूनिवर्सिटीज के लिए तीन कैटेगरी बनाई गई है। जिसमें 30 करोड़ तक कि ग्रांट के लिए टॉप 40, 41- 60 और 61- 100 रैंक को शामिल किया गया है।
आरयू में शोध के हालात देखकर पहले भी कई ग्रांट लैप्स हो चुकी है। 4 साल के लिए यूनिवर्सिटी को पहले भी इस पर्स प्रोगाम में 32 करोड़ रुपये की ग्रांट मिलनी थी। लेकिन समय पर पैसा खर्च नही होने और शोध पर काम नही होने से सिर्फ 6 करोड़ मिले। यह ग्रांट 2 बार मिल चुकी है। राजस्थान यूनिवर्सिटी इस साल भी एनआईआरएफ रैंक की लिस्ट में जगह नही बना पाई थी। 2017 में आरयू की रैंक 79 थी।
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