एमडीएस यूनिवर्सिटी में घूसखाेरी मामले में एसीबी के शिकंजे में फंसे निलंबित वीसी प्रो. आरपी सिंह के हाैंसले इस कदर बुलंद थे कि उसे राज्यपाल के नाम का भी खाैफ नहीं था। एंटी करप्शन ब्यूराे की तफ्तीश में यह चाैंकाने वाला तथ्य सामने आया है।
एसीबी ने यूनिवर्सिटी में घूसखाेरी के इस मामले में आराेपी आरपी सिंह, रणजीत सिंह और अन्य लाेगाें के माेबाइल फाेन सर्विलांस पर रखे थे, इसमें यह बात सामने आई कि बदनाैर के एक काॅलेज काे सम्बद्धता देने के लिए भीलवाड़ा के उप जिला प्रमुख रामचंद्र सेन ने निलंबित वीसी काे फाेन काॅल कर कहा था कि वे खुद और पंजाब के राज्यपाल वीपीसिंह बदनाैर के ही हैं और राज्यपाल भी चाहते हैं कि बदनाैर के कालेज काे सम्बद्धता दे दी जाए।
इस पर निलंबित वीसी ने कहा कि काॅलेज संचालक काे उनके पास भेज दें, वे पूरी मदद करेंगे, लेकिन हुआ इसका उल्टा। जब बदनाैर के कालेज संचालक वीसी से मिले ताे उनसे डीएस चाैहान के माध्यम से डेढ़ लाख रुपए रिश्वत की डिमांड कर दी। निलंबित वीसी की घूसखाेरी की लिप्तता के बारे में एसीबी के पास ऐसे कई पुख्ता सबूत हैं।
ब्यूराे की जांच में यह भी सामने आया है कि निलंबित वीसी का निजी ड्राइवर व बाॅडी गार्ड रणजीत यूनिवर्सिटी के बड़े अधिकारियाें के नाम से भी घूस वसूलता था। रणजीत के माेबाइल सर्विलांस में यह बातचीत रिकार्ड हुई है, जिसमें वह एक काॅलेज संचालक से साैदेबाजी करते हुए कह रहा है कि पांच नहीं छह लाख रुपए लगेंगे सिस्टम में सबकाे जाता है, रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रार और वीसी व कमेटी भी हैं...।
दलाल रणजीत मुकुल से कहता है...आते समय टीचर्स-50 ब्रांड की शराब भी मेरे लिए लेकर आना
एसीबी आराेपियाें की सर्विलांस के दाैरान बातचीत की रिकार्डिंग के आधार पर संदिग्ध लाेगाें काे खंगाल रही है। एसीबी की अब तक की जांच में यह सामने आया है कि घूसखाेर निलंबित वीसी आरपीसिंह ने इस रैकेट के दलाल रणजीत सिंह काे घूस राशि की वसूली और काॅलेज संचालकाें से साैदेबाजी की जिम्मेदारी साैंप रखी थी।
एसीबी ने सर्विलांस के दाैरान रणजीत और कई कालेज संचालकाें के बीच घूस राशि के लेनदेन काे लेकर वार्ता रिकार्ड की है। 27 जून काे रणजीत के माेबाइल नंबर 9837755554 से एक काॅलेज के प्रतिनिधि मुकुल से माेबाइल नंबर 8504922222 पर बातचीत में रणजीत ने मुकुल से छह लाख की डिमांड की, इस पर मुकुल ने कहा कि वह पांच लेकर आ रहा है।
इसपर रणजीत कहता है कि सिस्टम में सबकाे जाता है, रजिस्ट्रार, असिस्टेंट रजिस्ट्रर, वीसी और कमेटी भी है।
दलाल रणजीत मुकुल से कहता है कि आते समय टीचर्स-50 ब्रांड की शराब की बाेतल भी मेरे लिए लेकर आना।
29 जून काे दलाल रणजीत मुकुल से कह रहा है कि सीधे वीसी के बंगले पर आ जाओ।
इसी तरह दलाल रणजीत, यूनिवर्सिटी के एलडीसी रवि जाेशी के बीच बातचीत हुई। रवि ने रणजीत से कहा कि उसने 58 नई फाइलाें का हिसाब डायरी में लिखकर तैयार कर लिया है, साहब से पूछकर प्रत्येक फाइल के 50 हजार रुपए सेट कर लाे। इस पर रणजीत सहमति जताता है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन से एसीबी ने मांगी कई जानकारी, 45 पत्रावलियों की जांच
जांच अधिकारी एडिशनल एसपी हिमांशु के अनुसार एसीबी काे गिरफ्तार आरोपी आरपी सिंह, रणजीत और महिपाल से रिमांड के दाैरान की गई पूछताछ में कई महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई है। इनके बयानाें की तस्दीक कर साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। आरोपी निलंबित वीसी के कार्यकाल में उनके द्वारा लिए गए निर्णय और कार्य की पत्रावलियाें का भी अवलाेकन किया जा रहा है।
साेमवार काे आराेपी रणजीत काे अदालत में पेश करने के बाद जांच अधिकारी ने बताया कि करीब 45 पत्रावलियाें पर जांच की जा रही है। एफआईआर में निलंबित वीसी आरपी सिंह, उनके निजी ड्राइवर व बाॅडीगार्ड रणजीत, निजी काॅलेज संचालक महिपाल, यूनिवर्सिटी के कनिष्ठ सहायक रवि जाेशी, विभिन्न निजी काॅलेज के संचालक राजेन्द्र, मुकुल, अविनाश जैन, मनीष सेठी, सुरेश भाकर काे भी नामजद किया है।
एसीबी अधिकारियाें के अनुसार जून से ही इस मामले में संदिग्ध लाेगाें के फाेन सर्विलांस पर रखे गए थे। वीसी, उनके निजी ड्राइवर रणजीत से लेनदेन की बातचीत करने वालाें में ये लाेग प्रमुख थे।
दलाल रणजीत की रिमांड अवधि एक दिन बढ़ाई
दलाल रणजीत की रिमांड अवधि पूरी हाेने पर साेमवार काे जांच अधिकारी एडिशनल एसपी हिमांशु ने मय दल के साथ आराेपी काे विशेष अदालत में पेश किया, जहां से काेर्ट ने रणजीत काे एक दिन और एसीबी के रिमांड पर साैंपा है। एसीबी की जांच में चाैंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि वीसी के लिए घूस की राशि की साैदेबाजी और वसूली आराेपी रणजीत करता था।
रणजीत के पास मिली डायरियाें में अजमेर, टाेंक, भीलवाड़ा और नागाैर के चालीस से ज्यादा निजी काॅलेजाें की लिस्ट और घूस की राशि का हिसाब भी मिला है। कालेजाें में परीक्षा केन्द्र बनाने, सम्बद्धता और सीटें बढ़वाने के नाम पर प्रत्येक काॅलेज से करीब दाे से ढाई लाख रुपए की वसूली की जा रही थी।
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