लाॅकडाउन में लाेग भले ही अपनी ड्यूटी करने काे लेकर चिंतित रहें हाे, लेकिन काेटा में ऐसे भी शिक्षक हैं जिन्हाेंने काेराेना काल में दाेहरी भूमिका निभाई। काेराेना के कारण हाेम क्वारेंटाइन या अस्पताल में एडमिट हाेने के बावजूद इन टीचर्स ने स्कूलाें के मैनेजमेंट व अन्य कार्याें काे बखूबी अंजाम दिया।
कुछ शिक्षकाें ने जेब से पैसा खर्च करते हुए रंग-राेगन कराकर स्कूल का हुलिया बदल दिया। साथ ही बच्चाें के घर जाकर पढ़ाई की जानकारी दे रहे हैं। ऐसे शिक्षकाें के जज्बे काे सलाम करती ये कहानियां :
अस्पताल से ऑनलाइन काम किया, ठीक होने पर किया प्लाज्मा डाेनेट
1.दीगाेद स्कूल के प्रिंसिपल क्रांतिप्रकाश मीणा ने बताया कि 14 जुलाई काे हल्का बुखार आया, ताे उसी दिन सैंपल दे दिया। 15 जुलाई काे मेरी रिपाेर्ट पाॅजिटिव आई, बेटा भी पाॅजिटिव आया। इसके बाद हम दाेनाें मेडिकल काॅलेज में एडमिट हाे गए। इस दाैरान अस्पताल से ही स्कूल मैनेजटमेंट से लेकर सभी सरकार काम ऑनलाइन निपटाए।
स्कूल प्रभारी और स्टाफ से हमेशा संपर्क रहा। हर तरह की समस्या से लेकर विभागीय याेजनाओं और व्यवस्थाओं के संबंध में हर दिन समाधान किया। 22 जुलाई काे निगेटिव रिपाेर्ट आने के बाद 15 अगस्त काे प्लाज्मा डाेनेट किया।
मैंने 6 अगस्त काे ज्वाइन कर लिया है। सबसे बड़ी बात है कि इस दाैरान स्कूल की समुचित व्यवस्थाएं देखने में काेताही नहीं बरती।
2.मेरे साथ परिवार के आठ सदस्य थे पाॅजिटिव, फिर भी स्कूल काे संभाला
वाेकेशनल गवर्नमेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल प्रिंसिपल सपना चतुर्वेदी 11 अगस्त काे पाॅजिटिव अा गई थीं। उन्हाेंने बताया कि उस समय स्कूल में एडमिशन प्राेसेस जारी था। हमारा स्कूल कुछ समय पहले ही इंग्लिश मीडियम हुआ है, इसलिए पेरेंट्स, स्टाफ और उच्चाधिकारियाें से संपर्क करके एडमिशन प्राेसेस करवाया। इसके अलावा भी सारा काम ऑनलाइन किया। स्कूल इंचार्ज से लेकर स्टाफ का पूरा सपाेर्ट मिला।
सबसे बड़ी बात यह रही कि परिवार के आठ सदस्याें के पाॅजिटिव आने के बाद चिंता बढ़ गई थी। सभी तरह से मैनेज किया। खाना बनाने से लेकर बच्चाें की पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान रखा। हर तरह की परेशानी आई, लेकिन सबकाे खुशी-खुशी जिम्मेदारी के साथ पूरा किया।
3. स्कूल में कराया पेंट, घर-घर जाकर जांचते हैं बच्चाें की पढ़ाई
रानक्याखेड़ी के प्राइमरी स्कूल के हैडमास्टर सतीशचंद्र भट्ट बताते हैं कि काेटा से 23 किमी दूर हमारे स्कूल में 60 बच्चाें का नामांकन है। लाॅक डाउन के दाैरान सतीशचंद्र ने स्कूल की हालत ही बदल दी है। उन्हाेंने अपने खर्चे पर स्कूल के बाहर और कमराें में पेंट करा दिया है। कमराें में अंग्रेजी व हिन्दी में राेचक जानकारियां लिखवाई।
बाहर की ओर से स्वच्छता के संदेश की पेंटिंग बनाई। कैंपस में खुदाई कर 61 पाैधे लगवाए और हर दिन निराई-गुड़ार्ई कर रहे हैं। भट्ट ने बताया कि बच्चाें काे अाॅनलाइन सब्जेक्ट मटेरियल भिजवाने के अलावा बच्चाें की पढ़ाई के हाल जानने राेज गांव जाता हूं। चाैथी और पांचवीं कक्षा के लिए फर्नीचर की व्यवस्था कर दी है।