कोरोना काल में डूबते पर्यटन और इसको उबारने के लिए किए जाने वाले विकास कार्यों पर जिम्मेदार निर्णय नहीं ले पा रहे। ऐसी ही स्थिति राजस्थान पर्यटन विकास निगम की ओर से तालकटोरा में किए जाने वाले कामकाज को लेकर हो रही है। निगम की ओर से 18 करोड़ 18 लाख के टेंडर के बाद इसकी तकनीकी और फाइनेंशियल बिड खोली जा चुकी। काम के लिए बिलों दरें करीब 13 करोड़ आने के बाद निर्णय के लिए कमेटी ने फाइल एमडी को भेजी है, जिस पर कोई महीनेभर से अनिर्णय की स्थिति है।
दोनों ही स्थितियों में विकास कार्यों को देरी
सामने आया कि प्रक्रिया को लेकर ‘डिस्कस’ भी किया जा चुका। अब न तो इसे खारिज किया जा रहा है ना ही मंजूरी पर कोई फैसला। दोनों ही स्थितियों के लिए ठोस तर्क भी सामने नहीं आए। ऐसे हालात में सवालों के साथ ही कामकाज को देरी का खामियाजा उठाना पड़ेगा। जबकि तकनीकी बिड का काम मध्य जुलाई में ही कर लिया गया था। काम स्मार्ट सिटी की फंडिंग पर बतौर कार्यकारी एजेंसी पर्यटन निगम के पास आया है।
शहर के बीचों-बीच इस ऐतिहासिक वाटर बॉडी के संरक्षण और टूरिज्म से जुड़ी गतिविधियां, विकास कार्य होने से एक नया पर्यटन स्थल उभरेगा। इसका फायदा शहरवासियों के साथ पर्यटन निगम के डूबते जहाज को भी होगा। देरी से निर्णय लेने के चलते पर्यटन निगम केंद्र सरकार की ओर से पोषित प्रोजेक्ट को लेकर भी किरकिरी झेल चुका।
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