करीब पांच महीने बाद मंदिर खुलने के पहले ही दिन बतौर उपभोक्ता सांवलियाजी प्राकट्य स्थल के हक में एक न्यायिक फैसला हुआ। जिसमें कोर्ट ने मंदिर को 8 टीन देशी घी व 2100 रुपए परिवाद व्यय के दिलाने का आदेश दिया।अधिवक्ता मोहित सोनगरा के अनुसार श्री सांवलिया मंदिर प्राकट्य स्थल बागुंड के सीईओ प्रहलादराय सोनी ने चित्तौड़गढ़ प्रतापगढ़ दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के विरूद्ध जिला उपभोक्ता आयोग में एक वाद पेश किया था।
जिसके अनुसार मंदिर ने प्रसाद बनाने के लिए 2016 में 150 और 2017 में 50 टीन घी का आदेश देते हुए निर्धारित दर से भुगतान भी कर दिया था। इसके बाद भी डेयरी ने दोनों बार मिलाकर करीब 8 टीन कम दिए। डेयरी ने जवाब में कहा कि डिलेवरी की तारीख पर घी की कीमत बढ़ चुकी थी।
इसलिये डिब्बे कम दिए गए। अदालत अध्यक्ष प्रभुलाल आमेटा, सदस्य राजेश्वरी मीणा व अरविंद भट्ट ने सुनवाई के बाद आदेश में कहा कि क्रेता भुगतान के साथ ही माल प्राप्त करने का अधिकारी है। यदि विक्रेता के पास उस समय पर्याप्त माल नहीं था तो भुगतान भी नहीं लेना था।
बाद में कम डिब्बे देना सेवादोष की श्रेणी में आता है। इसलिए मंदिर प्रबंधन को कम प्राप्त 8 देशी घी के टीन व 2100 रूपये परिवाद व्यय के अदा करें।
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