कोरोना का डर श्राद्ध पक्ष पर भी है। बिना लक्षण वाले कोरोना रोगियों की वजह से पंडित भी अब श्राद्ध भोज का निमंत्रण लेने से कतरा रहे हैं। इस कारण यजमानों को पंडित तलाशने में काफी परेशानी आ रही है। इसकी पुष्टि ज्योतिषी पंडित राम भरोसी भारद्वाज, गोपाल प्रसाद शास्त्री और जितेंद्र पोपा गुरु आदि ने भी की है।
इनका कहना है कि बिना लक्षण वाले कोरोना रोगियों के सामने आने का दौर अभी जारी है। उदाहरण के लिए बृज विश्वविद्यालय में 3 लोगों को खांसी-बुखार था। लेकिन, स्टाफ की जांच कराई तो 13 लोग पॉजीटिव आए। इसीलिए पंडितों के दिलो-दिमाग में भी कोरोना का डर है।
इसलिए वे उन्हीं लोगों के निमंत्रण स्वीकार कर रहे हैं, जिनके यहां बरसों-बरस से आ-जा रहे हैं और वहां सभी लोग स्वस्थ हैं। ज्योतिषी राम भरोसी ने बताया कि पहली बार उन्होंने सभी 16 दिन के निमंत्रण अस्वीकार कर दिए हैं। ज्योतिषी गोपाल प्रसाद शास्त्री ने कहा कि बुजुर्ग ब्राह्मणों को उनके परिजन निमंत्रण लेने से मना कर रहे हैं।
ज्योतिषी जितेंद्र पोपा गुरु ने बताया कि कोरोना का डर है। इसीलिए जांच-पूछ कर ही निमंत्रण ले रहे हैं। इससे जजमानों को परेशानी तो हो ही रही है।
विकल्प... 3 बार मंत्र पढ़कर अग्यारी करें और भोजन गाय को खिलाएं
ज्योतिषियों का कहना है कि श्राद्ध पक्ष में भोजन करने वाले ब्राह्मणों की कमी तो पहले से ही रहती थी। लेकिन इस बार स्थिति और जटिल है।
इस मुश्किल दौर में विकल्प के तौर पर भोजन सामग्री अग्नि को समर्पित कर शेष सामग्री गाय को खिला दें।
भिखारी को भी भोजन कराए जाने का विधान है। राम भरोसी भारद्वाज का कहना है कि अग्यारी करें। यानी उपला/कंडे को जलाकर कोर बनाएं और भोजन प्रसादी का सूक्ष्म भाग ओम भू पतये स्वाह:, ओम भुवन पतये स्वाह:, ओम भूता नाम पतये स्वाह: का मंत्र जापकर अर्पित करें। इसमें समस्त भू मंडल, 14 भुवन/लोक तथा सभी चर/अचर प्राणी का आह्वान और भोज्य मान्य है। शेष सामग्री गाय को खिलाएं। गाय ब्रह्म का स्वरूप है।
इसमें 33 करोड़ देवी/देवताओं का वास बताया है। जरूरतमंद यानी भूखे या भिखारी को भी भोजन कराने का विधान है। पंडित गोपाल शास्त्री ने कहा कि पंच ग्रास निकाल आहुति दें और उसे आकाश, जल, भू, ग्राम्य और पशु के निमित्त कौवा, मछली, स्वान, चींटी और गाय को खिला दें।
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