शहर के प्रतिष्ठित व प्राइम लाेकेशन पर स्थित चेतक कांपलेक्स क्षेत्र के लाेगाें काे अाज भी सुविधाएं नहीं मिल रही है। डवलपर ने 20 साल बाद भी नगर परिषद काे इसे हस्तांतरित नहीं किया है। इसकी पीड़ा यहां के निवासी व व्यवसाई भुगत रहे हैं। शहर की सबसे मंहगी दरांे पर यहां फ्लैट व दुकानाें की रजिस्ट्री कराने के बावजूद यहां सीवरेज व पार्किंग की बड़ी परेशानी आज भी बनी हुई है। चेतक कांपलेक्स का ड्रेनेज सिस्टम
व्यवस्थित नहीं है। नगर परिषद ने इसे अपने नालाें से जाेड़ा नहीं, नतीजा यह हुअा कि यहां के नाले चाेक हाे चुके हैं। सीवरेज का पानी सड़कों पर बहता रहता है। क्षेत्रवासी नगर परिषद में शिकायत करे ताे जवाब मिलता है कि यह एरिया हमारा नहीं है, बिल्डर व डवलपर से बात कराे। जबकि डवलपर से पूछने पर जवाब मिलता है कि पांच सात साल पहले ही हम नगर परिषद काे यह पूरा क्षेत्र हस्तांतरित कर चुके। हस्तांतरण
शुल्क भी जमा करा चुके। जबकि हकीकत यह है कि कराेड़ाें रुपए मूल्य का हस्तांतरण शुल्क अाज दिन तक जमा नहीं हुअा। नगर परिषद कई बार पत्र लिख कर हस्तांतरण कराने की बात कह चुकी, लेकिन डवलपर ध्यान नहीं देते।
80 फीसदी क्षेत्र ने व्यवसायिक रूप ले लिया
चेतक कांपलेक्स क्षेत्र में चारभुजा ए, बी, सी, डी, ई, एफ, गणपति सदन, शिव सदन, अरिहंत सदन, लक्ष्मी भवन, चारमीनार टावर ए व बी सहित कुल 12 मल्टीप्लेक्स टाॅवर हैं। इनमें से अधिकांश में ग्राउंड व फर्स्ट
फ्लाेर व्यवसायिक परिसर हैं। उनके ऊपर सैकंड व थर्ड फ्लाेर पर रेजिडेंशियल फ्लैट्स हैं। वहीं चेतक कांपलेक्स व महावीर प्लाजा ए, बी के नाम से तीन व्यवसायिक परिसर हैं। यहां अस्सी प्रतिशत एरिया व्यवसायिक रूप ले चुका है। अाश्चर्य की बात यह है कि इनमें से किसी में भी पार्किंग की सुविधा नहीं है। जबकि नियमानुसार प्रत्येक कांपलेक्स के लिए पार्किंग हाेना अनिवार्य है। यहां के बिल्डर व डवलपर ने फ्लैट व दुकानें बेचे
जाते समय नक्शे में पार्किंग स्पेस बताया था, जाे अाज कहीं नहीं है। किसी भी कांम्लेक्स में बेसमेंट नहीं है। ग्राउंड फ्लाैर काे व्यवसायिक रूप देकर दुकानें बना बेच दी गई। एेसे में सड़काें पर जहां जगह मिले वहीं दुपहिया व चार पहिया वाहन पार्क कर दिए जाते हैं।
वन विभाग की बाउंड्री व नाले पर कर लिया अतिक्रमण
यहां वन विभाग की बाउंड्री तक पर अतिक्रमण है। नर्सरी से सटे कांपलेक्स में सेट बेक छाेड़ना ताे दूर, नर्सरी की एक तरफ की दीवार पर छत खड़ी कर दी। इसमें नगर परिषद की भूमिका भी सामने अाई है। राजतालाब से लेकर श्रीराम काॅलाेनी की अाेर अाने वाले नाले जिसकी चाैड़ाई करीब पैंतीस से चालीस फीट थी, उसे पाट कर मात्र छह फीट कर दिया गया। बाकी अतिक्रमण की गई जगह पर दाे अावासीय टावर खड़े कर दिए गए।